10 घंटे में 21 ऑपरेशन करने वाली डॉक्टर पर उठे सवाल, जच्चा-बच्चा की सुरक्षा पर सरकार ने थमाया नोटिस

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हाइलाइट्स

  • असम की महिला डॉक्टर ने 10 घंटे में 21 सी-सेक्शन ऑपरेशन कर सबको चौंकाया
  • जिला स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किया
  • मोरीगांव जिले के सिविल अस्पताल का मामला, 5 सितंबर को हुई सर्जरी
  • प्रशासन ने सुरक्षा प्रोटोकॉल और नसबंदी नियमों पर उठाए सवाल
  • डॉक्टर का दावा, “मेरी क्षमता पर शक करना गलत, मैंने सभी प्रक्रियाएं नियम अनुसार कीं”

असम की महिला डॉक्टर का कारनामा और विवाद

असम की महिला डॉक्टर ने मोरीगांव जिले के सिविल अस्पताल में केवल 10 घंटे के भीतर 21 सी-सेक्शन डिलीवरी करके सबको हैरान कर दिया। स्वास्थ्य सेवाओं में यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। जहां एक ओर इसे डॉक्टर की क्षमता और तेज कार्यशैली माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जिला स्वास्थ्य प्रशासन ने इसे सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करार दिया है।

जिला स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। मामला केवल चिकित्सा दक्षता का नहीं बल्कि रोगी सुरक्षा और स्थापित मानकों का है।

नोटिस क्यों जारी हुआ?

असम की महिला डॉक्टर पर आरोप

मोरीगांव के अतिरिक्त जिला आयुक्त (स्वास्थ्य) की रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर ने 5 सितंबर की दोपहर 3:40 बजे से लेकर 6 सितंबर की सुबह 1:50 बजे तक लगातार 21 सी-सेक्शन सर्जरी की। प्रशासन का कहना है कि इतनी कम अवधि में इतनी अधिक सर्जरी करना चिकित्सकीय प्रोटोकॉल और नसबंदी नियमों का उल्लंघन है।

प्रशासन के सवाल

  • क्या हर केस में पर्याप्त तैयारी और एनेस्थीसिया प्रक्रिया अपनाई गई?
  • क्या हर ऑपरेशन के बाद सर्जिकल उपकरणों को सही तरीके से स्टरलाइज़ किया गया?
  • क्या मरीजों की सुरक्षा और रिकवरी के लिए आवश्यक समय दिया गया?

इन सवालों का जवाब डॉक्टर से लिखित रूप में मांगा गया है।

डॉक्टर का पक्ष

असम की महिला डॉक्टर का बचाव

डॉ. कंथेश्वर बोरदोलोई ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन पर गलत तरह से उंगली उठाई जा रही है। उनका दावा है कि वह एक सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट हैं और उनके पास इतनी दक्षता है कि वह सीमित समय में कई ऑपरेशन कर सकती हैं।

डॉक्टर का कहना है कि उन्होंने सभी प्रक्रियाओं को तय प्रोटोकॉल के मुताबिक किया है और किसी भी मरीज की सुरक्षा से समझौता नहीं किया गया।

डॉक्टर का बयान

“मेरी क्षमता पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। मैंने सभी केस मेडिकल प्रैक्टिस के अनुरूप किए। अगर अस्पताल में अचानक इमरजेंसी केस बढ़ जाएं तो डॉक्टर को तेजी से काम करना ही पड़ता है।”

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

असम की महिला डॉक्टर का मामला कितना गंभीर?

चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि एक डॉक्टर का इतने कम समय में 21 सर्जरी करना असामान्य जरूर है। हर सी-सेक्शन प्रक्रिया औसतन 30-45 मिनट का समय लेती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई हर मरीज को पर्याप्त समय और देखभाल मिली?

विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही डॉक्टर सक्षम हों, लेकिन अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सभी प्रोटोकॉल का पालन हुआ है।

मरीजों की स्थिति

असम की महिला डॉक्टर की सर्जरी के बाद हालात

फिलहाल जिला स्वास्थ्य विभाग मरीजों की स्थिति की समीक्षा कर रहा है। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, अब तक किसी भी मरीज की जान को खतरा नहीं हुआ है, लेकिन प्रशासन ने सभी मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री और रिकवरी रिपोर्ट मांगी है।

मरीजों के परिवारजन भी इस विवाद में बंटे हुए हैं। कुछ लोग डॉक्टर की मेहनत और तेज़ी की तारीफ कर रहे हैं, जबकि कुछ को यह डर सता रहा है कि कहीं जल्दबाजी में कोई गलती न हुई हो।

प्रशासन की कार्रवाई

असम की महिला डॉक्टर को मिली चेतावनी

मोरीगांव जिला प्रशासन ने डॉक्टर को 7 दिनों के भीतर लिखित स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। यदि जवाब संतोषजनक नहीं मिला तो आगे की कार्रवाई की जाएगी।

जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि यह केवल एक डॉक्टर का मामला नहीं है, बल्कि पूरे अस्पताल तंत्र की जिम्मेदारी है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

बड़ा सवाल: दक्षता या लापरवाही?

असम की महिला डॉक्टर का मामला अब एक बड़े बहस का कारण बन गया है। यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह डॉक्टर की दक्षता का प्रमाण है या फिर मरीजों की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर जोखिम।

दो पहलू

  1. दक्षता का पक्ष – डॉक्टर ने सीमित समय में रिकॉर्ड संख्या में सर्जरी कर अपनी क्षमता साबित की।
  2. लापरवाही का पक्ष – प्रशासन के अनुसार, इतनी जल्दी सर्जरी करने से सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी हो सकती है।

असम की महिला डॉक्टर का यह मामला चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक चुनौतीपूर्ण सवाल खड़ा करता है। स्वास्थ्य सेवाओं में दक्षता के साथ-साथ सुरक्षा भी उतनी ही अहम है। प्रशासन और डॉक्टर दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि मरीजों का विश्वास बना रहे और किसी भी तरह की लापरवाही की गुंजाइश न बचे।

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