सर्जरी के दौरान हो गई मौत, कुछ ही देर में लौटी ज़िंदा महिला, किया ऐसा दावा जिसे सुनकर दिमाग घूम जाएगा!

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 हाइलाइट्स

  • मृत्यु के बाद क्या होता है – अमेरिकी महिला पाम रेनॉल्ड्स का दावा, सर्जरी के दौरान हुई थी असली मृत्यु।
  • ब्रेन सर्जरी के दौरान आत्मा के शरीर से निकलने और फिर वापसी का चौंकाने वाला अनुभव।
  • ‘स्वर्ग’ में मृत रिश्तेदारों से मिलने और एक दिव्य प्रकाश देखने का किया दावा।
  • डॉक्टरों और वैज्ञानिकों में भी इस अनुभव को लेकर गहरी बहस।
  • मस्तिष्क की प्रतिक्रिया या सचमुच आत्मा का अनुभव? वैज्ञानिक भी हुए हैरान।

 अमेरिका की महिला के अनुभव से उठे सवाल: मृत्यु के बाद क्या होता है?

मृत्यु के बाद क्या होता है?” यह सवाल जितना पुराना है, उतना ही रहस्यमय भी। धार्मिक ग्रंथों, दर्शनशास्त्र, और विज्ञान के बीच यह विषय सदियों से चर्चा में बना हुआ है। परंतु 1991 में अमेरिका के जॉर्जिया की एक महिला ने ऐसा दावा किया जिसने दुनिया भर में हलचल मचा दी।

उस महिला का नाम था पाम रेनॉल्ड्स। उनका कहना था कि एक जटिल ब्रेन सर्जरी के दौरान उनकी मृत्यु हो चुकी थी, और इस दौरान उन्हें ‘मृत्यु के बाद के जीवन’ का सीधा अनुभव हुआ।

 डॉक्टरों ने शरीर को पहुंचाया था मृत्यु की सीमा तक

1991 में पाम को ब्रेन ऐन्युरिज़्म (मस्तिष्क धमनी विस्फार) की गंभीर समस्या थी। इस खतरनाक ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों को उनके शरीर का तापमान घटाकर 10 डिग्री सेल्सियस तक लाना पड़ा। उनके हृदय की धड़कन बंद कर दी गई, और मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि को भी स्थगित किया गया। यह स्थिति विज्ञान की भाषा में “क्लिनिकल डेथ” कही जाती है।

सर्जरी लगभग एक घंटे से अधिक समय तक चली। इस दौरान पाम के शरीर में कोई भी जीवन का लक्षण नहीं था।

 “मैं ऊपर से सब देख रही थी” – पाम का दावा

पाम ने कहा कि जब उनका शरीर मृत्यु की स्थिति में था, तब उनकी आत्मा शरीर से बाहर निकल गई थी। वह ऑपरेशन टेबल के ऊपर तैर रही थीं। उन्होंने देखा कि डॉक्टर क्या कर रहे हैं, उन्होंने उनके वार्तालाप तक सुने। पाम ने सटीक रूप से कई घटनाओं का वर्णन किया जिसे सुनकर डॉक्टर भी हैरान रह गए।

पाम ने आगे कहा कि उन्हें एक तेज़ सफेद रोशनी दिखाई दी, और उन्होंने अपने मृत परिजनों को देखा जो उन्हें अपने साथ एक ‘शांतिपूर्ण स्थान’ की ओर ले जा रहे थे। वह स्थान स्वर्ग जैसा महसूस हो रहा था।

 दिव्य शक्ति ने दिया वापस लौटने का निर्देश

पाम के अनुसार, जब वह स्वर्ग जैसे वातावरण में थीं, तब एक अदृश्य आवाज़ ने उन्हें अपने शरीर में वापस लौटने का आदेश दिया। यह आदेश बहुत ही सौम्य लेकिन दृढ़ था। उस आवाज़ को सुनकर उन्होंने अपने शरीर की ओर वापसी की और कुछ समय बाद उन्हें होश आ गया।

 वैज्ञानिक क्या कहते हैं इस अनुभव पर?

मस्तिष्क की आखिरी कोशिश या आत्मा की यात्रा?

मृत्यु के बाद क्या होता है, इस प्रश्न पर वैज्ञानिकों के दो मत हैं। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि यह सिर्फ मस्तिष्क की आखिरी प्रतिक्रिया है। जब मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिलती या दवाओं का असर होता है, तो उसे मतिभ्रम (hallucination) हो सकता है। वह तेज़ रोशनी और शांतिपूर्ण अनुभव इसी वजह से होते हैं।

परंतु पाम जैसी घटनाएँ, जहाँ मरीजों ने ऑपरेशन के दौरान सुनी बातों तक का सटीक वर्णन किया है, वह इस तर्क को भी कमजोर करती हैं।

Near-Death Experiences (NDEs) पर शोध

विभिन्न शोधों में पाया गया है कि विश्वभर में हज़ारों लोगों ने Near-Death Experience (NDE) की जानकारी दी है। लगभग सभी ने तेज़ रोशनी, स्वर्ग का अनुभव, मृत परिजनों से मिलना, या अपने शरीर को बाहर से देखना जैसे विवरण साझा किए हैं।

 धार्मिक मान्यताएं क्या कहती हैं?

हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद की अवधारणा

मृत्यु के बाद क्या होता है, इसका उल्लेख हमारे धर्मग्रंथों में भी है। हिंदू धर्म के अनुसार, आत्मा अजर-अमर होती है। मृत्यु केवल शरीर की समाप्ति है, आत्मा का नहीं। मृत्यु के बाद आत्मा अगले जन्म के लिए स्वर्ग, नर्क या पृथ्वी में पुनर्जन्म लेती है – ये सब उसके कर्मों पर निर्भर करता है।

ईसाई और इस्लामिक मान्यता

ईसाई धर्म में माना जाता है कि अच्छे कर्म करने वाले स्वर्ग जाते हैं और पाप करने वाले नर्क। वहीं इस्लाम में भी यही विश्वास है कि आत्मा को जन्नत या जहन्नुम में स्थान मिलता है।

 क्या पाम रेनॉल्ड्स की घटना से हमें उत्तर मिलते हैं?

पाम का अनुभव लाखों लोगों के लिए प्रेरणा, जिज्ञासा, और भय का कारण बना है। जहाँ वैज्ञानिक इस पर सवाल उठाते हैं, वहीं अनेक लोग इसे प्रमाण मानते हैं कि मृत्यु के बाद वास्तव में कुछ है।

अब भी यह सवाल बना हुआ है कि मृत्यु के बाद क्या होता है? क्या पाम का अनुभव महज़ एक संयोग था या आत्मा की यात्रा का प्रमाण?

मृत्यु के बाद क्या होता है – इसका कोई ठोस वैज्ञानिक उत्तर अभी तक नहीं है, परंतु पाम रेनॉल्ड्स जैसे अनुभव इस विषय को बार-बार चर्चा में ला देते हैं। यह सवाल हमें न केवल मृत्यु को लेकर बल्कि जीवन के उद्देश्य पर भी सोचने पर मजबूर करता है।

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