हाइलाइट्स
- Water Supply सुधारने की योजना के तहत बुंदेलखंड में मंत्री और अधिकारियों का ज़मीनी निरीक्षण
- दलित महिला विद्या के घर पर मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने खाई चूल्हे की दाल-रोटी
- वरिष्ठ आईएएस अफसर अनुराग श्रीवास्तव और राजशेखर भी पहुंचे दलित के आंगन
- जल जीवन मिशन के तहत सैदनगर गांव में पहुंचा पीने का स्वच्छ जल
- ग्रामीणों ने बताया कि अब नियमित रूप से Water Supply हो रही है
बुंदेलखंड के सैदनगर गांव में Water Supply की सच्चाई जानने पहुंचे मंत्री स्वतंत्र देव सिंह
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में Water Supply की स्थिति को सुधारने के उद्देश्य से चल रहे जल जीवन मिशन के अंतर्गत एक अनोखा दृश्य सामने आया। डकोर ब्लॉक के सैदनगर गांव में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव और आईएएस राजशेखर ने सीधे ग्रामीणों के घर पहुंचकर योजनाओं की ज़मीनी हकीकत जानी।
इस दौरान मंत्री जी एक दलित महिला विद्या के घर पहुंचे और वहीं की चूल्हे पर बनी दाल-रोटी खाई। यह दृश्य सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि ग्रामीणों के साथ सीधे जुड़ाव का प्रतीक बन गया है। पूरे कार्यक्रम का केंद्र बिंदु रहा Water Supply, जिसे लेकर सरकार गंभीर प्रयास कर रही है।
“पानी आता है?” – सवाल सीधा, जवाब ईमानदार
जब मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बुजुर्ग महिला विद्या से पूछा, “पानी आता है?” तो उनका जवाब था – “हां, अब घर में नल से पानी आने लगा है।” यह संवाद जितना छोटा था, उतना ही गहरा। यह उत्तर जल जीवन मिशन के जमीनी असर को दर्शाता है।
Water Supply की यह सुविधा पहले इस क्षेत्र में सिर्फ एक सपना थी, लेकिन अब हकीकत बन चुकी है। बुंदेलखंड जैसे सूखा प्रभावित क्षेत्र में नल से पानी का आना, ग्रामीणों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाला कदम है।
चूल्हे पर बनी दाल-रोटी: दलित सम्मान या राजनीतिक संदेश?
बुजुर्ग महिला विद्या के घर पहुंचे मंत्री जी ने जब कहा, “बहुत भूख लगी है… कुछ खाने को है?” तो महिला ने झटपट चूल्हा जलाया और देसी अंदाज में दाल-रोटी बना डाली। यही भोजन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, आईएएस अनुराग श्रीवास्तव और राजशेखर ने वहीं चारपाई पर बैठकर खाया।
यह दृश्य केवल खानपान का नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और Water Supply जैसी योजना की विश्वसनीयता का प्रमाण भी था।
यह कदम ग्रामीणों के साथ विश्वास बहाल करने वाला था और यह दिखाता है कि अफसरशाही अब केवल वातानुकूलित कमरों से नहीं बल्कि गांव की गलियों से काम का मूल्यांकन कर रही है।
दलित के आंगन में चारपाई पर बैठकर चूल्हे की बनी दाल-रोटी खा रहे लोग मामूली नहीं हैं.. बीच में बैठे हैं कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह.. उनके बगल में बैठे हैं आईएएस अनुराग श्रीवास्तव.. नमामि गैंग के प्रमुख सचिव हैं. दूसरी चारपाई पर बैठे हैं आईएएस राजशेखर.. ये भी जल शक्ति मंत्रालय… pic.twitter.com/s48tIXl25P
— Vivek K. Tripathi (@meevkt) June 28, 2025
जल जीवन मिशन और Water Supply: योजना और सच्चाई
जल जीवन मिशन की मूल भावना है – हर घर नल, हर घर जल। सैदनगर जैसे गांव में इस योजना के अंतर्गत Water Supply की शुरुआत हो चुकी है और अब तक 80% से अधिक घरों में नल कनेक्शन दिया जा चुका है।
मंत्री और अधिकारियों की टीम ने पाइपलाइन, पानी की गुणवत्ता और वितरण प्रणाली की भी समीक्षा की। जल शक्ति विभाग के सूत्रों के अनुसार, अगले 3 महीनों में इस पूरे क्षेत्र में शत-प्रतिशत Water Supply लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा।
कौन-कौन था इस दौरे में शामिल?
मंत्री स्वतंत्र देव सिंह
जल शक्ति मंत्री के रूप में इस दौरे की अगुवाई की और सीधे ग्रामीणों से संवाद किया।
प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव
नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत जुड़ी परियोजनाओं की समीक्षा की।
आईएएस राजशेखर
विभागीय अफसर और तकनीकी सलाहकार के तौर पर मौजूद रहे।
इनके अलावा जल निगम के अभियंता, जिला प्रशासन और पंचायत अधिकारी भी इस दौरे में शामिल रहे।
Water Supply से खुश हैं ग्रामीण, लेकिन कुछ सवाल अब भी बचे हैं
हालांकि अधिकांश ग्रामीणों ने बताया कि अब नियमित Water Supply हो रही है, लेकिन कुछ इलाकों में पाइपलाइन की गुणवत्ता और दबाव को लेकर शिकायतें भी दर्ज की गईं।
मंत्री ने आश्वासन दिया कि जिन क्षेत्रों में अब भी समस्या है, वहां विशेष अभियान चलाकर समाधान किया जाएगा।
सामाजिक परिवर्तन का संकेत है यह दौरा
सैदनगर जैसे गांव में जब एक दलित महिला के घर मंत्री और आईएएस अधिकारी चारपाई पर बैठकर खाना खाते हैं, तो यह दृश्य सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति का संकेत है।
Water Supply जैसी योजना जब जीवन से जुड़ जाती है, तब यह योजना नहीं, अधिकार बन जाती है।
जमीन से जुड़ी राजनीति और नीति का अनोखा संगम
सैदनगर गांव का यह दौरा एक उदाहरण है कि Water Supply जैसी योजनाओं को सफल बनाने के लिए केवल कागज़ पर योजना बनाना पर्याप्त नहीं होता। ज़मीनी सत्यापन, जनता से जुड़ाव और ईमानदारी से संवाद ही किसी भी योजना की सफलता की कुंजी है।
यह प्रयास न केवल प्रशासनिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है बल्कि सामाजिक समरसता और विश्वास को भी मज़बूत करता है।