दिल्ली से चली वॉल्वो बस जौनपुर में बनी आग का गोला, धू-धू कर जली पूरी बस, बाल-बाल बचे 45 यात्री!

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हाइलाइट्स

  • Volvo Bus Fire की घटना जौनपुर में, दिल्ली से वाराणसी जा रही थी बस।
  • बस में अचानक उठी आग की लपटें, धू-धू कर जल गई पूरी वॉल्वो बस।
  • समय रहते सभी यात्रियों को बाहर निकाला गया, कोई हताहत नहीं।
  • घटनास्थल पर दमकल विभाग की दो गाड़ियाँ पहुँचीं, करीब 40 मिनट बाद काबू में आई आग।
  • यात्रियों का आरोप– बस स्टार्ट होते ही आ रही थी जलने की गंध, ड्राइवर ने नहीं दी गंभीरता।

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में मंगलवार तड़के एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जब दिल्ली से वाराणसी जा रही एक Volvo Bus अचानक आग का गोला बन गई। यह Volvo Bus Fire की घटना इतनी भयानक थी कि चंद मिनटों में ही पूरी बस राख का ढेर बन गई। गनीमत रही कि समय रहते सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और कोई जनहानि नहीं हुई। लेकिन घटना ने यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कैसे हुआ Volvo Bus Fire का ये हादसा?

जानकारी के अनुसार, यह निजी वॉल्वो बस (UP नंबर प्लेट) दिल्ली से वाराणसी के लिए निकली थी। जब यह बस जौनपुर के जलालपुर थाना क्षेत्र के पास पहुंची, तभी अचानक बस के पीछे के हिस्से से धुआं उठता दिखा। कुछ ही सेकंड में धुएं की जगह आग की लपटें उठने लगीं। चालक ने तत्परता दिखाते हुए बस को किनारे रोक दिया और सभी यात्रियों को बस से बाहर निकलने को कहा।

यात्रियों की जान बची, लेकिन सामान जलकर राख

करीब 45 यात्रियों को समय रहते बस से निकाल लिया गया। हालांकि अधिकतर यात्रियों का सामान, बैग, मोबाइल, नकदी और जरूरी कागज़ात इस Volvo Bus Fire की चपेट में आ गए।

दमकल विभाग की तत्परता और देरी दोनों पर सवाल

घटनास्थल पर स्थानीय लोगों ने तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचित किया। करीब 20 मिनट के भीतर दमकल की दो गाड़ियाँ मौके पर पहुँच गईं। लेकिन तब तक आग पूरी बस को निगल चुकी थी। आग बुझाने में 40 मिनट का समय लग गया।

स्थानीय प्रत्यक्षदर्शी बोले:

“बस से जलने की दुर्गंध बहुत पहले से आ रही थी, लेकिन ड्राइवर ने इसे नजरअंदाज किया।”

क्या था आग लगने का कारण?

Volvo Bus Fire की शुरुआती जांच में सामने आया है कि संभवतः बस के इंजन या वायरिंग सिस्टम में शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे आग लगी। यात्रियों ने यह भी आरोप लगाया कि बस के स्टार्ट होते ही कुछ अजीब सी बदबू महसूस हो रही थी, लेकिन चालक और कंडक्टर ने कोई ध्यान नहीं दिया।

बस में नहीं था फायर एक्सटिंग्विशर?

हैरानी की बात यह है कि इस Volvo Bus Fire में कोई फायर एक्सटिंग्विशर इस्तेमाल नहीं किया गया। यात्रियों का कहना है कि उन्हें किसी भी प्रकार का अग्निशमन उपकरण नहीं दिखा। एक महिला यात्री ने कहा:

“अगर आग थोड़ी और तेज़ होती या बस बंद होती, तो हम सब आज ज़िंदा नहीं होते।”

प्रशासन और परिवहन विभाग की प्रतिक्रिया

घटना के बाद जौनपुर जिला प्रशासन की ओर से एक जांच समिति गठित की गई है। आरटीओ और अग्निशमन विभाग की संयुक्त टीम घटनास्थल पर पहुंच चुकी है और Volvo Bus Fire की तकनीकी जांच शुरू कर दी गई है।

जौनपुर एसपी बोले:

“प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार यह एक तकनीकी खामी लग रही है, लेकिन जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगा कि लापरवाही किसकी थी।”

यात्रियों को नहीं मिला वैकल्पिक वाहन

इस हादसे के बाद यात्रियों को वाराणसी पहुंचाने के लिए कोई वैकल्पिक बस तुरंत नहीं भेजी गई। इससे यात्री करीब 3 घंटे तक सड़क किनारे खड़े रहे। कई यात्रियों ने निजी वाहनों से आगे की यात्रा पूरी की।

Volvo Bus Fire ने खोली निजी बस ऑपरेटरों की पोल

यह Volvo Bus Fire कोई पहली घटना नहीं है। देशभर में हर साल दर्जनों ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जिनमें यात्रियों की सुरक्षा से समझौता किया जाता है। यात्रियों को बिना चेक किए, मेंटेनेंस रहित बसों में बैठा दिया जाता है।

क्या कहता है मोटर व्हीकल एक्ट?

भारत सरकार द्वारा निर्धारित मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, किसी भी यात्री वाहन में अग्निशमन उपकरण, नियमित रखरखाव रिकॉर्ड और तकनीकी फिटनेस अनिवार्य है। अगर इस Volvo Bus Fire मामले में कोई भी नियमों का उल्लंघन सामने आता है, तो बस ऑपरेटर पर सख्त कार्रवाई हो सकती है।

यात्रियों की प्रतिक्रिया: डर और नाराज़गी

अमरजीत सिंह, यात्री:

“हम 3 साल से यही बस लेते हैं, लेकिन आज मौत को इतने करीब से देखा। अब कभी निजी वॉल्वो में सफर नहीं करेंगे।”

कविता यादव, महिला यात्री:

“हमारे बैग, पैसे, बच्चों के सर्टिफिकेट सब जल गए। किसी ने मदद भी नहीं की। बस ऑपरेटर से जवाब चाहिए।”

Volvo Bus Fire एक चेतावनी है

यह Volvo Bus Fire केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी है—निजी बस ऑपरेटरों की लापरवाही और प्रशासन की ढिलाई का मिला-जुला नतीजा। यात्रियों की जान की कीमत पर मुनाफा कमाने वाले इन सिस्टम को समय रहते सुधारा नहीं गया, तो अगली बार यह हादसा जानलेवा साबित हो सकता है।

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