क्या देश के अगले उपराष्ट्रपति होंगे नीतीश कुमार? मंत्री अशोक चौधरी के बयान से बढ़ी हलचल!

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हाइलाइट्स

  • Vice President Vacancy के चलते दिल्ली से पटना तक सियासी हलचल चरम पर, नीतीश कुमार का नाम सबसे आगे
  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देकर अचानक Vice President Vacancy खड़ी कर दी
  • जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी ने कहा—निर्णय नीतीश कुमार लेंगे कि वे Vice President Vacancy भरना चाहेंगे या नहीं संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अनुसार 60 दिन में Vice President Vacancy के लिए चुनाव अनिवार्य
  • विपक्ष का आरोप—एनडीए Vice President Vacancy बहाने बिहार चुनाव 2025 को साधने की चाल चल रहा

स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 74‑वर्षीय जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 की शाम अपना त्याग‑पत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया। इस कदम ने न सिर्फ संसदीय कैलेंडर को हिला दिया, बल्कि Vice President Vacancy नाम का संवैधानिक शून्य भी पैदा कर दिया। भारत के इतिहास में यह तीसरा मौका है जब किसी उपराष्ट्रपति ने कार्यकाल पूर्ण होने से पहले पद छोड़ा।

इस्तीफे की टाइमलाइन और ‘Vice President Vacancy’ पूरा होने तक की प्रक्रिया

चूँकि Vice President Vacancy आधिकारिक रूप से 21 जुलाई की रात 8 बजे से प्रभावी हो गई, राज्यसभा की अध्यक्षता अब डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह के पास अस्थायी तौर पर चली गई है। चुनाव आयोग को 60 दिन—यानी 19 सितंबर 2025 तक—नई निर्वाचन तिथि घोषित करनी होगी। इस दौरान संसद के 788 सांसद ही Vice President Vacancy भरने के लिए वोट डालेंगे।

संवैधानिक टाइमर कैसे चलता है

  1. इस्तीफा स्वीकार होने के 14 दिन के भीतर चुनाव कार्यक्रम घोषित
  2. Vice President Vacancy भरने का नामांकन कम‑से‑कम 14 दिन खुला रहता है
  3. मतदान से 48 घंटे पहले तक नाम वापस लिए जा सकते हैं
  4. एकल स्थानांतरण मत प्रणाली से गुप्त मतदान
  5. विजयी उम्मीदवार शपथ के तुरंत बाद राज्यसभा के सभापति का प्रभार संभालता है

नीतीश कुमार की एंट्री: ‘Vice President Vacancy’ बहस में क्यों गूंजा बिहार

धनखड़ के इस्तीफे के चंद घंटों बाद ही भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर ‘बचौल’ ने सार्वजनिक रूप से कहा कि Vice President Vacancy के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार “उत्तम उम्मीदवार” होंगे। इसके बाद जेडीयू के वरिष्ठ मंत्री अशोक चौधरी ने पत्रकारों को बताया, “हम भाजपा को धन्यवाद देते हैं, पर निर्णय तो नीतीश कुमार ही लेंगे कि वे Vice President Vacancy स्वीकार करेंगे या नहीं।”

सहयोगी और विरोधी—दोनों की प्रतिक्रियाएँ

  • जेडीयू: पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने साफ कहा कि 2025 विधानसभा चुनाव ‘225 सीट्स—फिर से नीतीश’ लक्ष्य के साथ लड़ा जाएगा; Vice President Vacancy पर चर्चा “काल्पनिक” है।
  • भाजपा: उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का तर्क है—राष्ट्रीय पदों पर अंतिम फ़ैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा; मगर Vice President Vacancy में “समरसता” ज़रूरी है।
  • राजद: तेजस्वी यादव का आरोप—एनडीए नीतीश कुमार को “शोकेस” करके Vice President Vacancy में डालना चाहती है, ताकि बिहार में प्रतिद्वंद्वी कमज़ोर हों।

सामाजिक समीकरण और ‘Vice President Vacancy’

बिहार की राजनीति जाति एवं विकास के समीकरणों से चलती है। यदि नीतीश कुमार Vice President Vacancy के लिए संसद पहुँचते हैं, तो कुर्मी‑बहुल वोट‑बैंक के साथ ही केंद्र–राज्य संतुलन भी बदल सकता है।

एनडीए की रणनीति और ‘Vice President Vacancy’ चुनाव‑प्रक्रिया

एनडीए को भरोसा है कि उसके पास दोनों सदनों में बहुमत के आंकड़े हैं, इसलिए Vice President Vacancy भरना तकनीकी रूप से सरल है। किंतु “आदर्श उम्मीदवार” पर सहमति बनाना कठिन हिस्सा है। यह पद पारंपरिक रूप से ऐसे नेता को दिया जाता है जो

  1. संसदीय अनुभव रखता हो,
  2. दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभापति की भूमिका निभा सके,
  3. और गठबंधन‑विस्तार में मदद करे।

एनडीए‑सूत्रों के अनुसार Vice President Vacancy के लिए राज्यपालों, वरिष्ठ मंत्रियों और अनुभवी सांसदों के नामों पर चर्चा चल रही है, पर नीतीश कुमार का नाम एक “गेम‑चेंजर” के तौर पर उभरा है।

‘Vice President Vacancy’ और संभावित नामों की शॉर्ट‑लिस्ट

क्रम संभावित उम्मीदवार राजनीतिक लाभ संभावित जोखिम
1 नीतीश कुमार पूर्व NDA चेहरा; क्षेत्रीय संतुलन बिहार में NDA को नेतृत्व‑संकट
2 हरिवंश नारायण सिंह संसदीय संचालन का अनुभव; ओबीसी चेहरा कम प्रदेश‑स्तरीय कद
3 मुख्तार अब्बास नक़वी अल्पसंख्यक प्रतीक; पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यसभा सदस्य नहीं हैं
4 राजनाथ सिंह विशाल कद, अनुभव रक्षा मंत्रालय में खालीपन

2025 बिहार चुनाव पर असर

यदि नीतीश कुमार Vice President Vacancy स्वीकार करते हैं, तो जेडीयू को नया चेहरा लाना पड़ेगा। इससे विपक्ष को यह कहने का मौक़ा मिल जाएगा कि “विकास पुरुष” ने बिहार को बीच राह छोड़ा। दूसरी ओर, यदि वह पद ठुकराते हैं, तो उनकी “नैतिक सर्वोच्चता” की राजनीतिक ब्रांडिंग और मजबूत होगी।

आगे कैसी होगी ‘Vice President Vacancy’ की गाथा?

भारत के संवैधानिक पदों के इतिहास में हर Vice President Vacancy सत्ता‑विपक्ष, क्षेत्रीय संतुलन और वैचारिक दिशा—all three—को नई रेखाएँ खींचने का अवसर देती है। जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भले ही स्वास्थ्य कारणों से हुआ हो, पर इससे पैदा हुई Vice President Vacancy ने राजनीतिक धड़कनें तेज कर दी हैं। क्या नीतीश कुमार दिल्ली की रत्नगिरि पहाड़ी की ओर कदम बढ़ाएँगे, या बिहार की सत्ता‑कुर्सी से 2025 का समर लड़ेंगे—इसका फ़ैसला अगले चंद हफ़्तों में स्पष्ट होगा। पर इतना तय है कि हर दल की रणनीति का केंद्र‑बिंदु यही Vice President Vacancy ही रहने वाली है।

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