उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे पर बोले पीएम मोदी – ‘कई भूमिकाओं में दी देश को सेवा’, बढ़ी राजनीतिक हलचल

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हाइलाइट्स

  • Vice President Resignation के बाद अगले छह महीनों के भीतर नया उपराष्ट्रपति चुनने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू हो गई।
  • पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर शुभकामनाएँ देते हुए धनखड़ के “उत्तम स्वास्थ्य” की कामना की।
  • राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह अंतरिम रूप से उच्च सदन की अध्यक्षता करेंगे।
  • संविधान के Article 68(2) के अनुसार चुनाव “यथाशीघ्र”—अभ्यासतः छह महीनों के भीतर—कराना अनिवार्य है।
  • कैबिनेट में गहन मंथन; संभावित दावेदारों की सूची बीजेपी तथा विपक्ष दोनों खेमों में तैयार।

इस्तीफ़े की पृष्ठभूमि और तात्कालिक घटनाक्रम

Vice President Resignation की घोषणा सोमवार देर रात हुई, जब जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। राष्ट्रपति ने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया और मंगलवार, 22 जुलाई 2025 को कैबिनेट सचिवालय ने औपचारिक अधिसूचना जारी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत की सेवा के कई अवसर मिले; मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ।” यह पोस्ट सत्ता पक्ष का पहला आधिकारिक बयान था, जिसने पूरे घटनाक्रम को और विश्वसनीयता दी।

स्वास्थ्य कारण या राजनीतिक संदेश?

धनखड़ जी ने अपने त्यागपत्र में “स्वास्थ्यगत प्राथमिकताओं” का ज़िक्र किया, पर राजनीतिक गलियारों में इसे कई तरह से पढ़ा जा रहा है। हाल ही में विधानमंडलीय कार्यों के दौरान बिज़नेस एडवाइज़री कमेटी की बैठक में भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा की अनुपस्थिति पर उनकी तीखी नाराज़गी सामने आई थी। कुछ सूत्रों का दावा है कि उसी तनाव ने अंततः Vice President Resignation को गति दी।

सोशल मीडिया से संसद तक

धनखड़ का कार्यकाल लगातार सुर्खियों में रहा—कभी विपक्ष पर तल्ख़ टिप्पणी, तो कभी शैक्षणिक संस्थानों के “ज्ञानवर्गीकरण” पर सवाल। उनके कई बयानों ने विवाद को जन्म दिया और राज्या सभा की कार्यवाही प्रायः असहज हुई। ऐसे में Vice President Resignation उन आलोचनाओं के परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा रहा है, जिनमें उन्हें “अत्यधिक आक्रामक पीठासीन अधिकारी” बताया गया।

संवैधानिक प्रावधान और समय-सीमा

Vice President Resignation के बाद सबसे बड़ा प्रश्न समय-सीमा का है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 68(2) कहता है कि उपराष्ट्रपति पद रिक्त होने पर चुनाव “यथाशीघ्र” कराया जाए। व्यवहार में चुनाव आयोग छह महीनों के भीतर प्रक्रिया पूरी करता रहा है। वर्ष 1969 में वी. वी. गिरि और 1987 में आर. वेंकटरमण के इस्तीफों के बाद भी यही समयसीमा अपनाई गई थी।

चुनावी गणित—संसद का समीकरण

उपराष्ट्रपति का निर्वाचन केवल संसद के दोनों सदनों—लोकसभा व राज्यसभा—के सदस्य करते हैं। वर्तमान संख्या-बल देखें तो एनडीए के पास 543 में से 335 सांसदों का समर्थन है, जबकि विपक्षी गठबंधन INDIA के पास क़रीब 180 सांसद हैं। निर्दलीयों और क्षेत्रीय दलों की भूमिका निर्णायक हो सकती है। Vice President Resignation के कारण यह शक्ति-संतुलन फिर से कसौटी पर है।

संभावित दावेदार कौन?

भाजपा खेमे में कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ नितिन गडकरी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, और कर्नाटक से राज्यसभा सांसद तेजस्वी सूर्या के नाम चर्चा में हैं। वहीं विपक्ष ‘सहमति के प्रत्याशी’ के तौर पर शरद पवार अथवा पि. चिदंबरम पर विचार कर रहा है। हालांकि अंततः प्रत्याशी उन्हीं सांसदों को स्वीकृत होगा जो Vice President Resignation के बाद बने माहौल में अधिकतम स्वीकार्य होंगे।

राज्या सभा पर तात्कालिक प्रभाव

उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। धनखड़ के जाने से सदन की अध्यक्षता का दायित्व उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के कंधों पर आ गया है। यह व्यवस्था तब तक रहेगी जब तक Vice President Resignation के बाद नया उपराष्ट्रपति शपथ नहीं ले लेता। संसद के मानसून सत्र के शेष हिस्से को सुचारु चलाना सिंह के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा।

विधायी एजेन्डा पर असर

सरकार का लक्ष्य जीएसटी (संशोधन) विधेयक और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग संशोधन विधेयक इस सत्र में पारित कराना है। विपक्ष, धनखड़ पर “सदन चलाने में पक्षपात” के आरोप लगाता रहा; अब Vice President Resignation के बाद दोनों ओर नई रणनीतियाँ बन रही हैं।

भाजपा आँतरिक राजनीति और संभावित टकराव

आँतरिक सूत्र बताते हैं कि जे. पी. नड्डा और धनखड़ के बीच ‘रिकॉर्ड में शब्द दर्ज होने’ की टिप्पणी पर तकरार चरम पर पहुँची थी। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की अनुपस्थिति ने आग में घी का काम किया। यद्यपि नड्डा ने बाद में सफ़ाई दी कि टिप्पणी ‘चेयर’ के लिए नहीं थी, लेकिन Vice President Resignation को कई सांसद “शीत-युद्ध का चरम बिन्दु” मान रहे हैं।

भाजपा की डैमेज कंट्रोल रणनीति

प्रधानमंत्री कार्यालय ने तुरंत ट्वीट कर ‘स्वास्थ्य कारण’ का नैरेटिव आगे बढ़ाया, जबकि कैबिनेट ने मीडिया को ‘आगामी चुनाव प्रक्रिया’ पर फोकस रखने की सलाह दी। संसदीय बोर्ड की आकस्मिक बैठक बुलाकर संभावित उम्मीदवारों की सूची छोटा करने पर ज़ोर दिया गया। स्पष्ट है कि Vice President Resignation से उत्पन्न रिक्ति भरना भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है।

विपक्षी दलों की चाल

कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा, “धनखड़ जी ने लोकतांत्रिक मूल्यों को आहत किया, अब नया उपराष्ट्रपति सर्वसम्मति से चुनें।” तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने विपक्षी ब्लॉक INDIA की ओर से साझा प्रत्याशी का प्रस्ताव रखा। Vice President Resignation ने विपक्ष को सरकार की मतगणित चुनौती देने का एक और अवसर दे दिया है।

क्षेत्रीय दलों का महत्व

बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और बीएसपी जैसे दलों के मत बहुमूल्य हैं; पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में इन दलों ने भाजपा उम्मीदवार को अप्रत्याशित बढ़त दिलाई थी। इस बार, सूत्र बताते हैं कि इन दलों ने अपने सांसदों को “खुले विकल्प” देने का निर्णय लिया है। ऐसे में Vice President Resignation के बाद उनकी निर्णय-भूमिका बढ़ गई है।

जनभावना और मीडिया की भूमिका

सोशल मीडिया पर #VicePresidentResignation ट्रेंड कर रहा है। कुछ यूज़र्स ने धनखड़ की ‘बेपरवाह बयान-शैली’ को याद किया, तो कई ने ‘स्वास्थ्य पहले’ का सन्देश सकारात्मक माना। टीवी डिबेट्स में विशेषज्ञ इस इस्तीफ़े को ‘Post‑2024 चुनावी पुनर्संतुलन’ के संकेत के रूप में देख रहे हैं। एक तरफ़ संवैधानिक रिक्ति, दूसरी तरफ़ राजनीतिक संकेतों की अनुगूँज—Vice President Resignation ने राष्ट्रीय विमर्श को नई दिशा दी है।

आगे क्या?—सम्भावित टाइमलाइन

चरण अनुमानित तिथि विवरण
चुनाव कार्यक्रम की अधिसूचना 1 अगस्त 2025 चुनाव आयोग संसद सचिवालय से समन्वय कर अधिसूचना जारी करेगा
नामांकन की अंतिम तिथि 8 अगस्त 2025 मान्य प्रस्तावक‑समर्थक के साथ नाम दाख़िल
स्क्रूटनी एवं नाम वापसी 10–12 अगस्त 2025 नियम 3 के तहत छानबीन
मतदान व मतगणना 24 अगस्त 2025 दोनों सदनों का संयुक्त मतदान
परिणाम घोषणा व शपथ 26 अगस्त 2025 नया उपराष्ट्रपति पदभार ग्रहण

धनखड़ के अचानक इस्तीफ़े ने देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद को रिक्त कर दिया है। Vice President Resignation न सिर्फ़ संवैधानिक प्रक्रिया को सक्रिय करता है बल्कि राजनीतिक दलों के मध्य शक्ति‑संतुलन का एक नया अध्याय भी लिखता है। आगामी छह महीनों में संसद के गलियारों से लेकर मीडिया‑मंचों तक, हर जगह इसी पर चर्चा होगी—कौन होगा भारत का अगला उपराष्ट्रपति, और वह किस तरह भारतीय लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण मोड़ को आगे ले जाएगा।

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