1 अगस्त के बाद आपकी एक गलती कर सकती है यूपीआई को ब्लॉक, नए नियम जानकर चौंक जाएंगे आप!

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 हाइलाइट्स

  • यूपीआई नियम बदलाव 1 अगस्त 2025 से एनपीसीआई ने किए यूपीआई नियम बदलाव, जानिए कैसे प्रभावित होंगे आप
  • हर यूपीआई ऐप पर बैंक बैलेंस देखने की लिमिट अब सिर्फ 50 बार प्रतिदिन
  • ऑटो पेमेंट सिर्फ नॉन-पीक ऑवर्स में ही होंगे सफल, तीन बार से अधिक री-ट्राई की अनुमति नहीं
  • पेंडिंग ट्रांजैक्शन का स्टेटस अब सिर्फ 90 सेकंड में मिलेगा, बार-बार चेक करने की सीमा तय
  • एक साल से निष्क्रिय यूपीआई आईडी स्वतः हो जाएगी ब्लॉक, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन भी हुआ अनिवार्य

यूपीआई नियम बदलाव का हर यूजर पर पड़ेगा असर

भारत में डिजिटल पेमेंट का चेहरा बन चुके यूपीआई (Unified Payments Interface) में 1 अगस्त 2025 से यूपीआई नियम बदलाव लागू हो चुके हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने इन बदलावों की घोषणा करते हुए कहा है कि इससे न सिर्फ सिस्टम पर दबाव कम होगा, बल्कि यूजर्स को ज्यादा सुरक्षित और सहज अनुभव भी मिलेगा। हर उस व्यक्ति के लिए जो यूपीआई का इस्तेमाल करता है, ये बदलाव जानना अनिवार्य है, क्योंकि एक छोटी सी चूक से यूपीआई सेवा ब्लॉक हो सकती है।

क्यों किए गए हैं ये बदलाव?

सिस्टम पर लोड और यूजर अनुभव दोनों हैं वजह

एनपीसीआई के मुताबिक, यूपीआई नियम बदलाव दो मुख्य कारणों से किए गए हैं:

  1. बढ़ते ट्रांजैक्शंस से बैंकिंग सर्वर पर भारी दबाव बनता था, जिससे सिस्टम स्लो या क्रैश हो जाते थे।
  2. डाटा प्राइवेसी और ट्रांजैक्शन सिक्योरिटी को मजबूत करना जरूरी हो गया था।

अब बैलेंस चेकिंग, ऑटो पेमेंट, और प्रोसेसिंग ट्रांजैक्शन जैसे कई फीचर्स पर सख्ती की गई है ताकि सिस्टम स्थिर और भरोसेमंद बना रहे।

हर ऐप पर बैलेंस चेकिंग सिर्फ 50 बार

बार-बार बैंक सर्वर से कनेक्ट करना होगा महंगा सौदा

पहले यूजर्स पेटीएम, गूगल पे या फोनपे जैसे ऐप्स पर मनमर्जी से बैंक बैलेंस चेक करते थे, लेकिन अब यूपीआई नियम बदलाव के तहत यह संख्या 50 बार प्रतिदिन निर्धारित की गई है। इससे सर्वर पर दबाव कम होगा और बैंकों को बार-बार की क्वेरी से राहत मिलेगी।

प्राइवेसी पहले: डेटा एक्सेस पर यूजर की अनुमति जरूरी

अब ऐप यूजर का डेटा तभी एक्सेस कर पाएंगे जब यूजर स्वयं इसकी अनुमति देगा। इसका सीधा फायदा यह होगा कि यूपीआई नियम बदलाव के बाद कोई भी ऐप यूजर की मर्जी के बिना उसकी पर्सनल जानकारी नहीं देख पाएगा।

हर ऐप में सिर्फ 25 बार देख सकेंगे लिंक्ड बैंक डिटेल्स

नई व्यवस्था के अनुसार, अब यूजर एक यूपीआई ऐप में सिर्फ 25 बार ही अपने बैंक खातों की लिंक्ड जानकारी देख सकेंगे। इससे न सिर्फ डाटा की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि अनावश्यक एक्सेस को भी रोका जा सकेगा।

ऑटो पेमेंट सिर्फ नॉन-पीक ऑवर्स में

अब नेटफ्लिक्स या बिजली बिल ऑटो पेमेंट भी समय के अनुसार

यूपीआई नियम बदलाव के तहत अब ऑटो डेबिट यानी ऑटो पेमेंट सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक की पीक अवधि को छोड़कर ही किए जा सकेंगे। यदि इन समयों में ट्रांजैक्शन फेल होता है तो यूजर को केवल तीन बार री-ट्राई की अनुमति मिलेगी। इससे अधिक बार प्रयास करने पर मेंडेट फेल माना जाएगा।

अब 90 सेकंड में मिलेगा ट्रांजैक्शन स्टेटस

पेंडिंग ट्रांजैक्शन की उलझन खत्म

कई बार यूपीआई ट्रांजैक्शन के बाद स्टेटस अपडेट नहीं मिलता था और यूजर्स को घंटों इंतजार करना पड़ता था। अब एनपीसीआई के अनुसार, यूपीआई नियम बदलाव के तहत 90 सेकंड के भीतर यूजर को ट्रांजैक्शन का स्टेटस अपडेट मिल जाएगा। लेकिन एक यूजर केवल तीन बार ही स्टेटस चेक कर सकता है और हर बार के बीच 90 सेकंड का गैप जरूरी होगा।

पुरानी निष्क्रिय यूपीआई आईडी होगी बंद

यूजर की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम

अगर आपने किसी मोबाइल नंबर से यूपीआई आईडी बनाई है लेकिन पिछले 1 साल से उसका इस्तेमाल नहीं किया है, तो वह अपने आप डीएक्टिवेट हो जाएगी। इससे पुराने नंबरों पर नए यूजर्स के साथ फ्रॉड के खतरे को रोका जा सकेगा। यह यूपीआई नियम बदलाव यूजर्स को डबल प्रोटेक्शन प्रदान करेगा।

अब यूपीआई होगा और भी सिक्योर

मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन लागू

नए नियमों के तहत अब हर नया यूजर जो यूपीआई ऐप डाउनलोड करता है या नया बैंक अकाउंट लिंक करता है, उसे मल्टी-फैक्टर वेरिफिकेशन से गुजरना होगा। इसके जरिए यूजर्स के यूपीआई खाते और ट्रांजैक्शंस अधिक सुरक्षित रहेंगे।

कौन देगा ट्रांजैक्शन फीस?

यूजर पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं

हालांकि आम यूजर या दुकानदार को कोई शुल्क नहीं देना होगा, लेकिन एनपीसीआई के निर्देश अनुसार, फोनपे और गूगल पे जैसे प्लेटफॉर्म को अब ट्रांजैक्शन के लिए बैंकों को शुल्क देना होगा। इसका सीधा असर आम यूजर पर नहीं पड़ेगा, लेकिन इससे एग्रीगेटर कंपनियों को वित्तीय संतुलन बनाए रखना होगा।

क्या बदल गया है यूपीआई अनुभव?

यूपीआई नियम बदलाव से मिली सहूलियत या बढ़ी परेशानी?

इन नए बदलावों से जहां एक तरफ सिस्टम सुरक्षित और अधिक स्थिर होगा, वहीं दूसरी तरफ कुछ यूजर्स को सीमाओं के कारण असुविधा भी हो सकती है। लेकिन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ये यूपीआई नियम बदलाव डिजिटल इकोसिस्टम को और अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और टिकाऊ बनाएंगे।

बदलाव जरूरी थे, सतर्क रहना अब आपकी जिम्मेदारी

भारत में बढ़ते डिजिटल पेमेंट्स के बीच यूपीआई की भूमिका हर दिन महत्वपूर्ण होती जा रही है। ऐसे में यूपीआई नियम बदलाव से जहां सर्वर लोड घटेगा, वहीं धोखाधड़ी और डाटा लीक की घटनाएं भी नियंत्रित होंगी। लेकिन ये तभी संभव है जब हर यूजर इन नियमों की सही जानकारी रखे और उसका पालन करे।

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