हाइलाइट्स
- भूकंप के झटके प्रतापगढ़ और मंदसौर जिलों में गुरुवार सुबह 10:07 बजे महसूस किए गए।
- भूकंप की तीव्रता 3.9 मैग्नीट्यूड रिकॉर्ड की गई, केंद्र प्रतापगढ़ बताया गया।
- झटके जमीन से 10 किमी अंदर केंद्रित रहे, किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं।
- स्थानीय लोग घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों की ओर भागे।
- प्रतापगढ़ में 25 वर्षों बाद दोबारा भूकंप के झटके दर्ज किए गए हैं।
भूकंप के झटकों से दहशत में आए लोग
गुरुवार सुबह का समय था, जब प्रतापगढ़ (राजस्थान) और मंदसौर (मध्य प्रदेश) में भूकंप के झटके महसूस किए गए। सुबह 10 बजकर 7 मिनट पर आए इन झटकों ने कुछ सेकंड में ही लोगों की दिनचर्या को अस्त-व्यस्त कर दिया। कई लोग अचानक जमीन में कंपन महसूस करते ही घरों और कार्यालयों से बाहर निकल आए। यह स्थिति खासकर प्रतापगढ़ शहर के नई आबादी, सदर बाजार, मानपुर, और बड़ा बाग कॉलोनी जैसी घनी आबादी वाले इलाकों में देखी गई।
एनसीएस ने की पुष्टि
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) ने इस भूकंप की तीव्रता 3.9 मैग्नीट्यूड दर्ज की है। यह भूकंप जमीन से करीब 10 किलोमीटर गहराई में केंद्रित था, जिसका केंद्र राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में रहा। एनसीएस के अनुसार, यह भूकंप क्षेत्रीय था, जिसका असर सीमावर्ती मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में भी देखा गया।
मंदसौर के पिपलियामंडी और मल्हारगढ़ में भी झटके
भूकंप का प्रभाव प्रतापगढ़ से लगे मंदसौर जिले के पिपलियामंडी, मल्हारगढ़, रेवास-देवड़ा और आसपास के गांवों में भी महसूस किया गया। स्थानीय लोगों के अनुसार, कंपन हल्का था लेकिन इतना प्रभावशाली कि लोग अलर्ट हो गए और कई इलाकों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
25 वर्षों बाद आया ऐसा भूकंप
प्रतापगढ़ और मंदसौर में पिछले कई वर्षों से कोई बड़ा भूकंप दर्ज नहीं किया गया था। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि सन 2000 के आसपास पिछली बार इस क्षेत्र में इस तरह के भूकंप के झटके दर्ज किए गए थे। लगभग 25 वर्षों बाद आए इन झटकों ने पुरानी यादें ताज़ा कर दीं और लोगों में भय का वातावरण बना दिया।
लोगों की प्रतिक्रियाएं
कनघट्टी निवासी राकेश मीणा ने बताया:
“हम रोज की तरह खेत की ओर जा रहे थे, तभी अचानक जमीन हिलने लगी। पहले लगा कि ट्रक निकला है, पर जब लगातार दो-तीन सेकंड तक कंपन रहा तो समझ गए कि यह भूकंप के झटके हैं।”
अमरपुरा निवासी कविता देवी का कहना है:
“मैं रसोई में काम कर रही थी। अचानक बर्तन खनखनाने लगे और दीवार से फोटो फ्रेम नीचे गिर पड़ा। बच्चों को लेकर तुरंत बाहर निकल गई।”
प्रशासन ने क्या कदम उठाए?
घटना के तुरंत बाद राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और स्थानीय प्रशासन की टीमें सतर्क हो गईं। प्रतापगढ़ और मंदसौर प्रशासन ने संबंधित गांवों और शहर के इलाकों में निरीक्षण कर किसी भी तरह के नुकसान या जनहानि की पुष्टि की। अब तक की जानकारी के अनुसार, भूकंप के झटके हल्के थे और किसी भी तरह की जान-माल की हानि की सूचना नहीं है।
प्रशासन की अपील
प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे भूकंप के झटके महसूस होने पर घबराएं नहीं, और आपदा की स्थिति में “ड्रॉप, कवर एंड होल्ड” के सिद्धांत को अपनाएं। बच्चों और बुजुर्गों को लेकर सुरक्षित स्थानों पर जाएं और अफवाहों से बचें।
भूकंप की वैज्ञानिक व्याख्या
भूकंप क्यों आते हैं?
भूकंप के झटके पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स के हिलने के कारण आते हैं। जब दो प्लेट्स आपस में टकराती हैं या एक प्लेट दूसरी के नीचे खिसकती है, तो उस स्थान पर ऊर्जा का संचय होता है। एक समय बाद वह ऊर्जा जब एक झटके में बाहर निकलती है, तो भूकंप महसूस होता है।
3.9 तीव्रता का भूकंप कितना खतरनाक?
रिक्टर स्केल पर 3.9 तीव्रता का भूकंप सामान्यत: हल्के झटकों की श्रेणी में आता है। यह केवल सतही प्रभाव छोड़ता है और इसके कारण आमतौर पर किसी बड़े नुकसान की संभावना नहीं होती। हालांकि, यदि इसका केंद्र आबादी वाले क्षेत्र के बहुत करीब हो और इमारतें असुरक्षित हों, तो नुकसान की आशंका बनी रहती है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
भूकंप विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही यह झटका हल्का था, लेकिन यह संकेत देता है कि क्षेत्रीय टेक्टोनिक गतिविधियां सक्रिय हैं। यदि समय रहते सुरक्षा और निगरानी नहीं की गई, तो भविष्य में भूकंप के झटके और भी गंभीर रूप ले सकते हैं।
क्या करें अगर फिर से भूकंप आए?
सुरक्षा के लिए अपनाएं ये उपाय:
- भूकंप के झटके आते ही किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे छुप जाएं।
- दीवारों, खिड़कियों और ऊँचे फर्नीचर से दूर रहें।
- लिफ्ट का उपयोग न करें, सीढ़ियों का सहारा लें।
- बाहर निकलने पर खुले मैदान की ओर जाएं, जहां कोई इमारत या बिजली के खंभे न हों।
- मोबाइल और टॉर्च हमेशा पास रखें।
राजस्थान के प्रतापगढ़ और मध्य प्रदेश के मंदसौर में महसूस किए गए भूकंप के झटके एक बार फिर से यह याद दिला गए कि प्राकृतिक आपदाएं कभी भी दस्तक दे सकती हैं। भले ही इस बार जान-माल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन हमें हमेशा सतर्क और तैयार रहना चाहिए। सरकार और नागरिकों दोनों को इस दिशा में मिलकर काम करना होगा ताकि भविष्य में किसी भी संभावित खतरे से निपटा जा सके।