माँ गहरी नींद में थी… और बच्चे आग में तड़प रहे थे: बिहार में नर्स के घर घुसे हैवान, जो हुआ उसने रोंगटे खड़े कर दिए!

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हाइलाइट्स 

  • अपराधियों का राज: बिहार के मुजफ्फरपुर में एक नर्स के दो नाबालिग बेटों को जिंदा जला दिया गया, गहरी साजिश की आशंका।
  • वारदात आधी रात को अंजाम दी गई, जब पूरा परिवार गहरी नींद में था।
  • पीड़िता सरकारी अस्पताल में कार्यरत है, पहले भी मिल चुकी थीं धमकियां।
  • इलाके में दहशत का माहौल, लोग बोले – “यहाँ अब कानून नहीं, अपराधियों का राज है”।
  • पुलिस जांच में जुटी, लेकिन अब तक कोई ठोस गिरफ्तारी नहीं, पीड़िता को इंसाफ का इंतज़ार।

बिहार में फिर सामने आया दिल दहला देने वाला मामला

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से एक बार फिर अपराधियों का राज होने की पुष्टि करने वाला भयावह मामला सामने आया है। इस बार शिकार बनी है एक नर्स, जिसकी जिंदगी एक ही रात में उजड़ गई। अज्ञात हमलावरों ने उसके घर में घुसकर उसके दो मासूम बेटों को जिंदा जला दिया। यह वारदात सिर्फ हत्या नहीं, बल्कि एक सोच-समझी साजिश का हिस्सा लगती है, जो बिहार में बढ़ते अपराधियों का राज दर्शाती है।

घटना कैसे घटी? 

आधी रात का कहर 

घटना रविवार रात की है। नर्स सविता देवी अपने दो बेटों और पति के साथ घर में सो रही थीं। रात करीब 2 बजे अज्ञात हमलावर खिड़की के रास्ते घर में दाखिल हुए। उन्होंने बच्चों के कमरे में पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी। जब तक परिवार कुछ समझ पाता, कमरे से धुएं और चीखों की आवाज़ें आने लगीं।

बच्चों की मौके पर मौत 

दोनों मासूम बेटे – अर्जुन (8 वर्ष) और अमन (10 वर्ष) – कमरे में ही दम तोड़ बैठे। बचाव की कोई संभावना नहीं थी, क्योंकि दरवाजा बाहर से बंद कर दिया गया था। माता-पिता बच्चों को नहीं बचा सके, केवल असहाय होकर आग की लपटों में बच्चों को तड़पते हुए देखते रहे।

पीड़िता का बयान: पहले भी मिली थी धमकी 

नर्स सविता देवी का कहना है कि उन्हें बीते कुछ महीनों से अज्ञात नंबरों से धमकियां मिल रही थीं। अस्पताल में काम के दौरान भी कुछ असामाजिक तत्वों से उनका विवाद हुआ था। उन्होंने इस बारे में पुलिस में शिकायत की थी, लेकिन कोई सुरक्षा नहीं दी गई।

“मेरे बच्चों का कसूर क्या था?” 

सविता देवी का सवाल गूंजता है – “अगर मुझसे कोई दुश्मनी थी तो मुझसे निपटते, मेरे मासूम बच्चों का क्या दोष था?” उनका यह बयान पूरे राज्य की संवेदनाओं को झकझोर रहा है, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं।

इलाके में दहशत: लोगों में रोष 

घटना के बाद पूरे मुहल्ले में मातम पसरा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। चोरी, लूट, गैंगवार और अब यह निर्मम हत्या – सब कुछ इस ओर इशारा करता है कि अब अपराधियों का राज स्थापित हो चुका है।

“कानून का कोई डर नहीं बचा”

स्थानीय दुकानदार रमेश ठाकुर कहते हैं, “अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, पुलिस केवल खानापूरी करती है। सरकार का ध्यान चुनाव प्रचार में है, जनता की सुरक्षा भगवान भरोसे है।”

पुलिस का रुख और जांच 

अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं 

घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची, फॉरेंसिक टीम ने सबूत इकट्ठा किए। लेकिन दो दिन बीत जाने के बावजूद अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि “हम गंभीरता से जांच कर रहे हैं, कई लोगों से पूछताछ की जा रही है।”

CCTV और मोबाइल डाटा खंगाले जा रहे हैं 

एसएसपी मुजफ्फरपुर ने बताया कि पास के सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल्स, और इलाके के बदमाशों की लिस्ट खंगाली जा रही है। लेकिन अभी तक कोई ठोस लीड हाथ नहीं लगी है।

बिहार में क्यों पनप रहा अपराधियों का राज? 

राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल लगातार उठते रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि नीतीश कुमार सरकार के शासन में अपराधियों को खुली छूट मिली हुई है। हत्या, दुष्कर्म, अपहरण, चोरी – हर अपराध का ग्राफ बढ़ा है।

राजनीतिक चुप्पी पर सवाल 

अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की ओर से इस घटना पर कोई बयान नहीं आया है। विपक्षी दलों ने सरकार की चुप्पी को “शर्मनाक और असंवेदनशील” बताया है।

मासूमों की हत्या: क्या कोई अंत होगा? 

इंसाफ की उम्मीद अभी जिंदा है

सविता देवी अब सिर्फ अपने बच्चों के लिए इंसाफ चाहती हैं। उन्होंने कहा है कि वह अंतिम सांस तक लड़ेंगी। “अगर आज मैं चुप रही, तो कल किसी और मां की गोद सूनी हो जाएगी,” उन्होंने मीडिया से कहा।

 बिहार में कानून का राज या अपराधियों का राज? 

यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि बिहार में अपराधियों का राज मजबूत होता जा रहा है। जब तक प्रशासन सख्त कदम नहीं उठाता, तब तक मासूम लोग इसी तरह अपराध के शिकार होते रहेंगे। इस मामले को केवल एक हत्याकांड की तरह नहीं देखा जा सकता, बल्कि यह एक चेतावनी है – एक राज्य के पतन की।

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