हाइलाइट्स
- प्रियंका उर्फ पीहू की आखिरी मुस्कान कैंसर की जंग हारने के बावजूद परिवार को हिम्मत देती रही।
- 27 साल की उम्र में हड्डियों के कैंसर ने छीन ली जिंदगी, लेकिन चेहरे की मुस्कान हमेशा याद रहेगी।
- ICU में मशीनों से बंधे होने के बावजूद प्रियंका ने मनाया अपना आखिरी जन्मदिन।
- पिता ने कहा- बेटी ने सिखाया कि मुश्किल हालात में भी मुस्कुराकर जीना चाहिए।
- डॉक्टरों ने भी माना- प्रियंका जैसी हिम्मत कम ही देखने को मिलती है।
प्रियंका की दर्दभरी लेकिन प्रेरक कहानी
राजस्थान के जालोर जिले के आहोर क्षेत्र के पचानवा गांव की रहने वाली प्रियंका उर्फ पीहू की आखिरी मुस्कान आज भी हर किसी की आंखें नम कर देती है। पश्चिम बंगाल के हुबली में ज्वेलरी व्यवसायी नरपत सिंह की बेटी प्रियंका, परिवार की लाडली और पढ़ाई में बेहद तेज थीं। उन्होंने BBA और CA तक की पढ़ाई की, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। 27 साल की उम्र में प्रियंका उर्फ पीहू की आखिरी मुस्कान कैंसर की वजह से हमेशा के लिए थम गई।
शादी और बीमारी की शुरुआत
जनवरी 2023 में प्रियंका की शादी रानीवाड़ा के भाटवास गांव निवासी बिल्डर लक्ष्यराज सिंह से हुई। नई जिंदगी शुरू ही हुई थी कि कुछ ही महीनों बाद उनके पैरों में दर्द रहने लगा। पहले तो इसे सामान्य समझकर नजरअंदाज किया गया, लेकिन दर्द बढ़ते-बढ़ते हड्डियों तक जा पहुंचा। फरवरी 2023 में मुंबई में MRI हुआ तो पता चला कि प्रियंका को Ewing Sarcoma नामक हड्डियों का दुर्लभ कैंसर है।
इस खबर ने पूरे परिवार को हिला दिया। मार्च 2023 में उनकी पहली सर्जरी हुई, फिर जून 2024 और अगस्त 2024 में दो और ऑपरेशन हुए। तमाम कोशिशों और इलाज के बावजूद बीमारी फैलती गई। डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि अब ज्यादा समय नहीं बचा। इसके बावजूद प्रियंका उर्फ पीहू की आखिरी मुस्कान कभी नहीं टूटी।
ICU में जन्मदिन का जश्न
25 अगस्त 2024 को जब हालात बिगड़ने लगे, प्रियंका ने अचानक कहा- “पापा, एक केक ले आइए। मैं अपने आखिरी पलों को हंसते हुए मनाना चाहती हूं।” ICU में मशीनों से जुड़ी होने के बावजूद उन्होंने अपने परिवार, पति और रिश्तेदारों के बीच जन्मदिन जैसा जश्न मनाया।
केक पर लिखा था “पीहू-लकी”। मुस्कुराते हुए उन्होंने सबको केक खिलाया और कहा- “मैं रोते हुए नहीं, हंसते हुए विदा लेना चाहती हूं।” यही प्रियंका उर्फ पीहू की आखिरी मुस्कान थी जिसने वहां मौजूद हर इंसान को जिंदगी का असली सबक दिया।
परिवार की आंखों में आंसू, लेकिन हिम्मत देती रहीं पीहू
अस्पताल का पूरा माहौल उस दिन भावुक हो गया। स्टाफ की आंखों में आंसू थे, ससुराल वाले ICU की गैलरी में जाकर रो पड़े। लेकिन प्रियंका खुद सबको संभाल रही थीं। वह जानती थीं कि उनकी जिंदगी ज्यादा लंबी नहीं है, फिर भी उन्होंने परिवार को हिम्मत दी।
पिता नरपत सिंह कहते हैं, “जब भी उसे याद करता हूं, उसके नन्हें हाथ और मासूम चेहरा आंखों के सामने आ जाता है। उसने हमें सिखाया कि मुश्किल हालात में भी मुस्कुराकर जीना चाहिए।” सच में, प्रियंका उर्फ पीहू की आखिरी मुस्कान परिवार के लिए हमेशा हिम्मत का प्रतीक बनी रहेगी।
आखिरी दिन और अंतिम विदाई
2 सितंबर 2024 को दोपहर के समय प्रियंका की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। भाई जयपाल को उन्होंने आखिरी बार कहा, “तूने खाना नहीं खाया, जाकर खा ले… मैं कहीं नहीं जा रही।” कुछ ही देर बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया।
डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने कई कैंसर मरीजों को देखा है, लेकिन प्रियंका जैसी हिम्मत कम ही देखने को मिलती है। सचमुच, प्रियंका उर्फ पीहू की आखिरी मुस्कान हर किसी के दिल में अमर हो गई।
प्रियंका की सीख: मुस्कान से जीना सीखो
प्रियंका का जीवन भले ही छोटा रहा, लेकिन उन्होंने अपनी मुस्कान और जज्बे से यह सिखाया कि जीवन की सबसे बड़ी कठिनाइयों को भी हिम्मत और सकारात्मक सोच से पार किया जा सकता है। उन्होंने दिखा दिया कि जिंदगी का असली मायना केवल जीना नहीं, बल्कि जीते-जी खुशियां बांटना है।
प्रियंका उर्फ पीहू की आखिरी मुस्कान सिर्फ एक लड़की की याद नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है। कैंसर जैसी बीमारी भी उनकी मुस्कुराहट को नहीं छीन सकी। वह हमेशा अपने परिवार, दोस्तों और समाज के लिए हिम्मत और उम्मीद की मिसाल बनी रहेंगी।