कपड़े उतरवाकर पूछा– किसे आ रहा है पीरियड? स्कूल में हुई शर्मनाक हरकत से सहम गईं छात्राएं

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हाइलाइट्स

  • Thane School Incident ने छात्राओं की निजता और गरिमा को किया तार-तार
  • स्कूल बाथरूम में खून के धब्बे मिलने के बाद बच्चियों के मासिक धर्म की जबरन जांच
  • कुछ छात्राओं से अंडरवियर तक उतरवाया गया, मानसिक रूप से टूट गईं कई छात्राएं
  • परिजनों ने किया स्कूल के बाहर विरोध प्रदर्शन, प्रिंसिपल की गिरफ्तारी की मांग
  • Thane School Incident ने दिखाया समाज में पीरियड्स को लेकर अब भी गहरी अज्ञानता

 Thane School Incident: क्या है पूरा मामला?

महाराष्ट्र के ठाणे जिले के शाहपुर तालुका स्थित आरएस दमानी स्कूल में 8 जुलाई 2025 को Thane School Incident सामने आया, जिसने पूरे राज्य को हिला दिया। कक्षा 5 से 10वीं की छात्राओं को बारी-बारी से बुलाकर उनके मासिक धर्म (Periods) की जांच की गई — और वो भी बगैर किसी महिला डॉक्टर या काउंसलर के।

इस पूरी घटना की शुरुआत तब हुई, जब स्कूल के बाथरूम में खून के कुछ धब्बे देखे गए। इसके बाद स्कूल प्रशासन ने बिना किसी संवेदनशीलता के, सभी छात्राओं को बुलाकर पूछताछ शुरू कर दी। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ छात्राओं को अंडरवियर उतारने के लिए भी मजबूर किया गया।

 Thane School Incident की गहराई से जांच

 छात्राओं के मन पर गहरा असर

छात्राओं ने जब यह बात घर जाकर परिजनों को बताई, तो अभिभावकों में रोष फैल गया। कुछ छात्राएं सदमे में हैं और स्कूल जाने से मना कर रही हैं। एक अभिभावक ने कहा,
“बच्चियों को पढ़ाई के लिए स्कूल भेजते हैं, पर वहां उनकी इज़्ज़त को ठेस पहुंचाई गई। यह सिर्फ मानसिक शोषण नहीं, बल्कि कानूनन अपराध है।”

 प्रिंसिपल से पूछताछ, मामला दर्ज

पुलिस ने Thane School Incident पर एफआईआर दर्ज कर ली है और स्कूल की महिला प्रिंसिपल से पूछताछ की जा रही है। महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने भी इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कार्रवाई की मांग की है।

 कौन-कौन सी धाराओं के तहत मामला दर्ज हो सकता है?

इस घटना में निम्न भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएँ लग सकती हैं:

  • धारा 354 – महिलाओं की गरिमा का हनन
  • धारा 509 – महिलाओं की लज्जा भंग करने वाले शब्द या इशारे
  • पॉक्सो एक्ट, चूंकि कई छात्राएं नाबालिग हैं
  • आरटीई एक्ट, जो बच्चों को सुरक्षित और गरिमामयी शिक्षा का अधिकार देता है

 सामाजिक सन्देश और जागरूकता की कमी

 मासिक धर्म: एक सामान्य जैविक प्रक्रिया

Thane School Incident से यह स्पष्ट हो गया है कि हमारे समाज में आज भी Periods को लेकर गंभीर अज्ञानता और शर्म बनी हुई है। स्कूल जैसे शैक्षणिक संस्थानों में भी इस विषय को गुप्त, शर्मनाक या अपराध जैसा माना जा रहा है।

 शिक्षकों की भूमिका पर सवाल

जब शिक्षक ही मासिक धर्म को कलंक समझकर छात्राओं के साथ अपमानजनक व्यवहार करते हैं, तो बच्चियों में आत्मसम्मान कैसे पनपेगा?

 जन-जागरूकता क्यों ज़रूरी है?

 क्या करें स्कूल?

  • कक्षा 5वीं से ही हेल्थ एजुकेशन में Menstrual Hygiene को शामिल करें
  • महिला डॉक्टरों और काउंसलर्स के जरिए पीरियड्स से जुड़े मिथकों को तोड़ा जाए
  • मासिक धर्म के दिनों में छात्राओं के लिए अलग सुविधाएं, सैनिटरी नैपकिन की व्यवस्था

 क्या करें अभिभावक?

  • बेटियों से मासिक धर्म पर खुलकर बात करें
  • Periods को बीमारी नहीं, एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में समझें
  • यदि बच्ची असहज हो, तो स्कूल में रिपोर्ट करें – लेकिन सही तरीके से

 सरकार और प्रशासन की ज़िम्मेदारी

  • Thane School Incident जैसे मामलों पर Zero Tolerance Policy हो
  • हर जिले में Menstrual Health Task Force बनाई जाए
  • दोषी स्कूलों की मान्यता रद्द हो और बाल अधिकार आयोग स्वत: संज्ञान ले

 नारी गरिमा का हनन: एक राष्ट्रीय शर्म

Thane School Incident एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जो न केवल एक स्कूल की लापरवाही है, बल्कि यह हमारे समाज की मानसिकता की भी पोल खोलती है। पीरियड्स को लेकर शिक्षा, संवाद और समझ की बहुत अधिक आवश्यकता है।

अगर इस तरह की घटनाओं को समय पर रोका नहीं गया, तो बच्चियों का स्कूल में सुरक्षित होना भी एक सपना रह जाएगा।

शिक्षा के मंदिर में अज्ञान का अंधेरा

Thane School Incident ने एक बार फिर ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम अपने बच्चों को कैसे माहौल में पढ़ा रहे हैं? यदि शिक्षण संस्थान ही बच्चों की गरिमा और निजता का सम्मान नहीं करेंगे, तो भविष्य की पीढ़ी कैसे आत्मविश्वासी बनेगी?

अब समय आ गया है कि हम मासिक धर्म जैसे विषयों पर खुलकर बात करें, बेटियों को सम्मान दें, और स्कूलों को संवेदनशीलता के पाठ पढ़ाएं।

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