हाइलाइट्स:
- Terrorism in Kashmir
- महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार से आतंकवादियों और नागरिकों के बीच अंतर करने की अपील की।
- पहलगाम हमले के बाद महबूबा ने हजारों गिरफ्तारियों और मकानों की ध्वस्तीकरण का आरोप लगाया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम हमले पर गुस्से का इज़हार करते हुए आतंकवादियों की निंदा की।
- जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों का बड़ा अभियान आतंकवादियों के खिलाफ।
- महबूबा ने सरकार से अपील की कि निर्दोष नागरिकों को कार्रवाई के दौरान नुकसान न हो।
आतंकवाद के खिलाफ केंद्र की कार्रवाई पर महबूबा मुफ्ती की चिंता
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की बढ़ती गतिविधियों के बीच, सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में एक बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य आतंकवादियों को खदेड़ना और कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति को मजबूत करना है। वहीं, इस अभियान के बीच, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह इस दौरान नागरिकों को बचाए और आतंकवादियों और निर्दोष नागरिकों के बीच अंतर को सही तरीके से पहचाने।
महबूबा मुफ्ती की अपील
महबूबा मुफ्ती ने ‘एक्स’ प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि भारत सरकार को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करते समय सावधानी से कदम उठाना चाहिए, ताकि निर्दोष नागरिकों को इस कार्रवाई का खामियाजा न भुगतना पड़े। उनका कहना था कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करते समय आम कश्मीरियों और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करने वाले नागरिकों को किसी प्रकार का नुकसान न हो।
पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा स्थिति
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया है। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। दक्षिण कश्मीर के पहलगाम इलाके में स्थित बैसरन घाटी, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है, में आतंकवादियों ने अचानक गोलीबारी की, जिससे यह घातक हमला हुआ। महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि इस हमले के बाद हजारों कश्मीरियों को गिरफ्तार किया गया है और कई मकानों को ध्वस्त किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान
इस हमले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले से उनका मन बहुत दुखी है और हर भारतीय इस घटना से गुस्से में है। पीएम मोदी ने कहा कि यह घटना आतंकवादियों और उनके आकाओं की हताशा और कायरता को दर्शाती है, क्योंकि जब कश्मीर में शांति लौट रही थी, पर्यटन में वृद्धि हो रही थी, और लोकतंत्र मजबूत हो रहा था, ऐसे समय में आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया। उन्होंने कहा कि यह हमला उन ताकतों द्वारा किया गया है, जो कश्मीर की शांति और विकास को नहीं देखना चाहतीं।
आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों का अभियान
केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाल ही में आतंकवादियों के खिलाफ एक बड़े अभियान की शुरुआत की है। सुरक्षा बलों ने घाटी में विभिन्न क्षेत्रों में छापेमारी की और आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। इस अभियान का उद्देश्य आतंकवादियों को कश्मीरी समाज से अलग करना और उनके प्रभाव को समाप्त करना है।
महबूबा मुफ्ती का आरोप
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के दौरान कई बार निर्दोष नागरिकों को नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आतंकवादियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई में हजारों कश्मीरियों को गिरफ्तार किया गया है और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है। महबूबा का कहना था कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्रवाई के दौरान कश्मीरियों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
केंद्र की नीति पर सवाल
महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता स्थापित करने के लिए सरकार को कश्मीरियों के विश्वास को जीतना होगा। यह तभी संभव है जब सरकार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करते समय कश्मीरियों के मानवाधिकारों का सम्मान करे और किसी भी निर्दोष नागरिक को शिकार बनने से बचाए।
कश्मीर में बदलती स्थिति
हाल के दिनों में कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में बदलाव देखा गया है। जहां पहले कश्मीर में आतंकवाद का बोलबाला था, वहीं अब शांति और विकास की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कई बार कश्मीर के युवाओं को रोजगार और शिक्षा के अवसर प्रदान करने की बात की है। इसके साथ ही पर्यटन क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है।
कश्मीर की सुरक्षा स्थिति और आतंकवाद के खिलाफ केंद्र की नीति पर महबूबा मुफ्ती की चिंता जायज है। उन्होंने सही समय पर सरकार से यह अपील की है कि आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करते समय नागरिकों का ध्यान रखा जाए और किसी भी निर्दोष कश्मीरी को नुकसान न पहुंचे। केंद्र सरकार को इस मसले पर गहरी समझ और संवेदनशीलता के साथ काम करने की आवश्यकता है।