हाइलाइट्स
- Tennis Player Murder: गुरुग्राम में पिता ने टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की गोली मारकर हत्या कर दी
- कोच से चैट में राधिका ने विदेश जाने की जताई थी इच्छा
- गांव वालों की बातों और सोशल मीडिया वीडियो से पिता था परेशान
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पिता के दावों को नकारा, सामने आया नया सच
- पुलिस ने ऑनर किलिंग की आशंका से किया इनकार, हथियार जब्त
गुरुग्राम में उभरी प्रतिभा की मौत: Tennis Player Murder केस ने खड़े किए कई सवाल
गुरुग्राम में हुई Tennis Player Murder की दिल दहला देने वाली घटना ने समाज, परिवार और महत्वाकांक्षा के टकराव की एक गंभीर तस्वीर पेश की है। 21 वर्षीय राष्ट्रीय स्तर की टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की उसके पिता दीपक यादव द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। शुरुआती जांच और राधिका की कोच के साथ हुई व्हाट्सएप चैट ने इस हत्याकांड के पीछे कई परतें उजागर की हैं।
परिवार से दूर, आज़ादी की तलाश में थी राधिका
कोच से बातचीत में छलका दर्द
राधिका ने अपने कोच से व्हाट्सएप पर बात करते हुए कहा था, “इधर काफी पाबंदियां हैं, मैं ज़िंदगी एन्जॉय करना चाहती हूं।” यही नहीं, Tennis Player Murder से पहले की बातचीत में राधिका ने दुबई या ऑस्ट्रेलिया जाने की इच्छा भी जताई थी। उसने चीन को इस वजह से नकारा कि वहां खाने के विकल्प सीमित हैं।
यह दर्शाता है कि राधिका अपनी सीमाओं को तोड़कर जीवन की नई उड़ान भरना चाहती थी, लेकिन परिवारिक दबाव और सामाजिक रुकावटें उसके सपनों में दीवार बन चुकी थीं।
Tennis Player Murder: क्या सोशल मीडिया बना हत्या की वजह?
वायरल म्यूजिक वीडियो से भड़का पिता?
पुलिस सूत्रों के अनुसार, राधिका का एक म्यूजिक वीडियो दो साल पहले वायरल हुआ था। यही वीडियो उसके पिता दीपक यादव के लिए शर्मिंदगी का कारण बना। गांव वालों के तानों और सामाजिक दबाव ने दीपक को भीतर ही भीतर तोड़ दिया।
राधिका मशहूर यूट्यूबर एल्विश यादव के गांव की रहने वाली थी और उन्हीं से प्रेरणा लेकर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बनना चाहती थी। लेकिन पिता के लिए यह ‘इज्जत’ का सवाल बन गया था।
टेनिस एकेडमी और आर्थिक स्वतंत्रता बना विवाद का कारण
पिता ने टेनिस एकेडमी को बताया मुख्य वजह
पुलिस प्रवक्ता संदीप कुमार के मुताबिक, Tennis Player Murder की जांच में सामने आया कि दीपक यादव को अपनी बेटी की टेनिस एकेडमी से दिक्कत थी। उनका मानना था कि आर्थिक स्थिति अच्छी होने के बावजूद राधिका को कोई एकेडमी चलाने की जरूरत नहीं थी।
आए दिन इसी बात को लेकर घर में झगड़ा होता था। पूछताछ में दीपक ने कबूला कि वह बेटी की गतिविधियों से परेशान था और उसने लाइसेंसी पिस्तौल से उसकी हत्या कर दी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोले नए राज
पिता के दावों से अलग हैं गोली के निशान
एफआईआर में लिखा है कि दीपक यादव ने राधिका को पीछे से तीन गोलियां मारीं, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि उसे चार गोलियां मारी गईं और सभी छाती में लगी थीं। यह तथ्य Tennis Player Murder में पुलिस की जांच को एक नई दिशा देता है।
डॉ. दीपक माथुर, जो इस पोस्टमार्टम पैनल का हिस्सा थे, ने पुष्टि की कि सभी गोलियां शरीर के सामने के हिस्से पर लगीं और उन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। यह संकेत करता है कि हत्या की योजना सुनियोजित थी।
मां का मौन, चाचा की एफआईआर
मां की चुप्पी बनी रहस्य
घटना के समय राधिका की मां, मंजू यादव, अपने कमरे में थीं और बीमार होने के कारण उन्होंने कोई हलचल नहीं सुनी। जब पुलिस ने उनसे बयान मांगा, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। यह चुप्पी Tennis Player Murder की कहानी को और जटिल बना देती है।
राधिका के चाचा कुलदीप यादव की शिकायत पर हत्या का केस दर्ज किया गया। एफआईआर के मुताबिक, राधिका अपने जन्मदिन पर मां के लिए खाना बना रही थी, तभी पिता ने उस पर गोली चला दी।
Tennis Player Murder से जुड़े अन्य पहलू
ऑनर किलिंग नहीं, पर सामाजिक दबाव ज़िम्मेदार?
हालांकि पुलिस ने इसे ऑनर किलिंग से इनकार किया है, लेकिन जो सामाजिक दबाव और प्रतिष्ठा की चिंता इस हत्या के पीछे थी, वह कहीं न कहीं इसी मानसिकता का संकेत देती है।
राधिका की मौत ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या बेटियों को अब भी अपने सपने देखने की आज़ादी नहीं है?
- क्या समाज आज भी महिलाओं की उपलब्धियों को सहजता से स्वीकार नहीं कर पा रहा?
- क्या परिवारिक ‘इज्जत’ बेटियों की जिंदगी से ज्यादा जरूरी हो गई है?
टेनिस टूर्नामेंट की चमक से मौत की साजिश तक
राधिका ने हरियाणा और भारत के लिए कई टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया था। पदकों से सजी उसकी अलमारी आज खाली है, लेकिन सवालों से भरी उसकी कहानी समाज के चेहरे पर एक तमाचा है।
उसकी मौत ने केवल एक खिलाड़ी को नहीं छीना, बल्कि एक बेटी, एक सपना और एक नई सोच की हत्या कर दी।
Tennis Player Murder समाज के लिए एक चेतावनी
राधिका यादव की हत्या एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की गहराई में छिपी पितृसत्ता, सामाजिक दबाव और मानसिक संकीर्णता का प्रतीक है। यह घटना बताती है कि जब बेटियां उड़ान भरना चाहती हैं, तो अक्सर वही लोग उनके पर काट देते हैं, जिन्हें उनके संरक्षण की जिम्मेदारी होती है।
अब यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि ऐसे अपराधों के विरुद्ध न केवल आवाज उठाएं, बल्कि एक ऐसा माहौल बनाएं जहां बेटियां खुलकर अपने सपनों को जी सकें।