Temple Priest Crime

मंदिर के भीतर मासूमों के साथ दरिंदगी! 60 वर्षीय पुजारी का घिनौना सच आया सामने, जब परिजन पहुंचे तो त्रिशूल लेकर टूट पड़ा हवसी बुड्ढा

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हाइलाइट्स

  • Temple Priest Crime के तहत आरोपी भगवत शरण दुबे को पुलिस ने किया गिरफ्तार
  • आरोपी पुजारी ने 5 और 6 साल की दो मासूम बच्चियों को “प्रसाद” देने के बहाने बुलाया मंदिर
  • बच्चियों के शरीर पर दांत के निशान, डॉक्टरों ने की पुष्टि
  • आरोपी ने पकड़े जाने पर त्रिशूल से परिवार पर किया हमला
  • पहले भी लग चुके थे इसी पुजारी पर दो बार यौन शोषण के आरोप

मध्यप्रदेश के छतरपुर से शर्मसार कर देने वाली घटना

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से आई यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि जब Temple Priest Crime का चेहरा बन जाए, तो श्रद्धा और आस्था कैसे जिंदा रह पाएगी। मामला शहर के एक पुराने मंदिर का है, जहां एक 60 वर्षीय पुजारी भगवत शरण दुबे ने अपने राक्षसी इरादों से मासूमियत को तार-तार कर दिया।

दो चचेरी बहनें, जिनकी उम्र मात्र 5 और 6 साल है, रोज की तरह मंदिर के पास से होते हुए घर लौट रही थीं। तभी आरोपी ने उन्हें “प्रसाद” देने के बहाने मंदिर के भीतर बुलाया और वहां उनके साथ घिनौनी हरकत की। बच्चियों ने घर पहुंचकर जो बताया, उसने पूरे मोहल्ले को झकझोर कर रख दिया।

बच्चियों के बयान से खुला Temple Priest Crime का भांडा

घर पहुंचते ही रोने लगीं मासूम बच्चियां

बच्चियां जब घर पहुंचीं, तो उनका चेहरा पीला था और वे डरी-सहमी थीं। रोते-रोते उन्होंने अपने परिवार वालों को बताया कि मंदिर में पुजारी भगवत दुबे ने उन्हें जबरन पकड़ कर गलत तरीके से छुआ। यह सुनते ही परिजन स्तब्ध रह गए और तुरंत बच्चियों को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे।

डॉक्टरों की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि एक बच्ची के गुप्तांगों पर दांत के निशान मिले हैं। यह प्रमाण Temple Priest Crime को और पुख्ता करता है।

आरोपी ने त्रिशूल से किया हमला

जब परिवार आरोपी के खिलाफ मंदिर पहुंचा, तो भगवत दुबे ने खुद को बचाने के लिए मंदिर में रखा त्रिशूल उठा लिया और परिवार पर हमला कर दिया। हालांकि, मौके पर मौजूद लोगों ने उसे पकड़कर बुरी तरह पीटा और पुलिस के हवाले कर दिया।

पुलिस ने तत्काल POCSO एक्ट और IPC की धारा 376, 354 व 506 के तहत केस दर्ज किया और आरोपी को हिरासत में ले लिया। Temple Priest Crime के इस केस ने पूरे जिले में रोष की लहर दौड़ा दी है।

दो बार पहले भी लगे थे यौन शोषण के आरोप

यह पहली बार नहीं है जब भगवत दुबे पर यौन शोषण का आरोप लगा हो। 2018 और 2022 में भी उस पर दो अलग-अलग महिलाओं ने छेड़छाड़ और अनुचित व्यवहार के आरोप लगाए थे। लेकिन, हर बार रसूखदारों की मदद से वह बचता रहा।

मगर इस बार मामला मासूम बच्चियों से जुड़ा है, इसलिए पुलिस प्रशासन भी गंभीर है। Temple Priest Crime के इस केस को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलाने की मांग की जा रही है।

क्या कहती है पुलिस?

छतरपुर एसपी अमित सांघी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

“हमने आरोपी पुजारी को गिरफ्तार कर लिया है। मेडिकल रिपोर्ट में बच्चियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। Temple Priest Crime को लेकर हम ज़ीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रहे हैं। जल्द से जल्द चार्जशीट फाइल की जाएगी।”

समाज में गहराती पाखंडी धर्मगुरुओं की समस्या

आस्था का चोला और हवस की भूख

यह कोई पहला मामला नहीं है जब कोई मंदिर का पुजारी Temple Priest Crime में शामिल पाया गया हो। देशभर में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां धर्मगुरु का मुखौटा लगाकर हवस के पुजारी मासूमों को शिकार बना रहे हैं।

यह समय है जब समाज को ऐसे ढोंगियों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें मंदिरों से बाहर फेंकना चाहिए।

लोग बोले – मंदिर अब डराता है

इस घटना के बाद मंदिर के पास के इलाकों में माताओं ने अपने बच्चों को बाहर भेजना बंद कर दिया है। कई लोगों ने मंदिर को ‘अशुद्ध’ घोषित कर वहां जाना बंद कर दिया है।

स्थानीय निवासी रामसिंह चौहान कहते हैं:

“जिस जगह बच्चों को भगवान का आशीर्वाद मिलना चाहिए, वहां उनकी अस्मिता लूटी जा रही है। अब किस पर भरोसा करें?”

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया

मामले के सामने आने के बाद राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि वह स्वयं केस की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि Temple Priest Crime जैसे मामलों में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

राज्य सरकार ने पीड़ित बच्चियों के परिवार को ₹2 लाख की तत्काल सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही केस को POCSO स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

मंदिरों की पवित्रता बचाना अब जनता की जिम्मेदारी

इस घटना ने यह साबित कर दिया कि आस्था का मुखौटा पहनकर दरिंदगी फैलाने वाले लोग समाज के लिए जहर हैं। जब तक आम जनता ऐसे ढोंगियों को बेनकाब नहीं करेगी, तब तक Temple Priest Crime जैसे अपराध होते रहेंगे।

जरूरत है जागरूकता की, कड़े कानूनों की, और मंदिरों में पूर्ण पारदर्शिता की।

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