जिस फुटपाथ को सबने नजरअंदाज किया, वहीं टीसीएस कर्मचारी ने लिख दी कॉर्पोरेट क्रूरता की दास्तान!

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हाइलाइट्स

  • टीसीएस कर्मचारी की फुटपाथ पर सोने की तस्वीर से मचा इंटरनेट पर बवाल
  • हाथ से लिखा लेटर हुआ वायरल, लिखा– ‘मेरे पास रहने तक के पैसे नहीं हैं’
  • HR को दी थी सूचना, बावजूद इसके कंपनी की ओर से समय पर नहीं मिला वेतन
  • सोशल मीडिया पर हज़ारों लोगों ने उठाए सवाल, कंपनी को देनी पड़ी सफाई
  • TCS ने कहा– “अनधिकृत अनुपस्थिति थी, अब कर्मचारी को दी गई है अस्थायी सहायता”

सोशल मीडिया पर वायरल हुई इंसानियत को झकझोर देने वाली तस्वीर

पुणे, अगस्त 2025 — आईटी सेक्टर की प्रतिष्ठित कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) इन दिनों एक वायरल तस्वीर और उसके पीछे छिपी दर्दनाक सच्चाई को लेकर सुर्खियों में है। एक टीसीएस कर्मचारी की फुटपाथ पर सोती हुई तस्वीर ने पूरे देश को हिला दिया है। इस तस्वीर के साथ-साथ एक हाथ से लिखा हुआ लेटर भी वायरल हुआ, जिसमें उस कर्मचारी ने अपनी दुखद परिस्थिति को विस्तार से बयां किया है।

तस्वीर में दिखाई दिया दर्द, जिससे जुड़ी एक कंपनी की चुप्पी

इस वायरल तस्वीर में एक युवक को टीसीएस पुणे कार्यालय के बाहर फुटपाथ पर लेटा हुआ देखा गया। दावा किया गया कि युवक TCS में कार्यरत है और आर्थिक तंगी के चलते सड़क पर रहने को मजबूर है। युवक का नाम सौरभ मोरे बताया गया है, जिसने एक मार्मिक पत्र लिखकर अपनी स्थिति का ब्योरा दिया।

हाथ से लिखा पत्र: जब एक आईटी कर्मचारी ने खोले सिस्टम के छेद

सौरभ मोरे ने पत्र में लिखा—

“मैंने 29 जुलाई 2025 को TCS सह्याद्री पार्क, पुणे में रिपोर्ट किया, परंतु अभी तक मेरा ID TCS सिस्टम में सक्रिय नहीं हुआ है। मुझे वेतन नहीं मिला है, HR को सूचित किया कि मेरे पास रहने तक के पैसे नहीं हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।”

सौरभ ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि वह 29 जुलाई से फुटपाथ पर रह रहा है। यह पत्र जैसे ही सोशल मीडिया पर आया, TCS और उससे जुड़े सिस्टम पर सवाल उठने लगे।

सोशल मीडिया पर भड़का गुस्सा

Instagram और X पर उठा तूफान

TCS कर्मचारी की तस्वीर को सबसे पहले @beingpunekarofficial नामक इंस्टाग्राम पेज ने शेयर किया, जिसे 15,000 से अधिक लाइक्स और हजारों कमेंट्स मिले। लोगों ने कंपनी के मानव संसाधन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए।

कई यूजर्स ने लिखा, “जिस कंपनी के मुनाफे करोड़ों में हैं, वहां एक टीसीएस कर्मचारी को रहने तक के पैसे न मिलना शर्मनाक है।” कुछ ने लिखा, “यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सिस्टम की असंवेदनशीलता का प्रतीक है।”

कंपनी की प्रतिक्रिया: बचाव या स्वीकारोक्ति?

HT.com से बात करते हुए TCS ने कहा:

“यह अनधिकृत अनुपस्थिति का मामला है। कर्मचारी बिना सूचना के अनुपस्थित रहा, इसलिए वेतन स्थगित कर दिया गया। अब उसने वापसी रिपोर्ट की है, उसे रहने की अस्थायी सुविधा दी गई है और हम स्थिति को रचनात्मक ढंग से हल करने में सहायता कर रहे हैं।”

कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि सौरभ मोरे अब ऑफिस के बाहर नहीं रह रहा है और उसकी शिकायतों पर उचित प्रक्रिया के तहत विचार किया जा रहा है।

मानवता बनाम प्रणाली: सवाल कई हैं

क्या कोई कर्मचारी अनधिकृत अनुपस्थिति का दोषी होते हुए भी फुटपाथ पर रहने को मजबूर होना चाहिए?

इस सवाल का जवाब आसान नहीं है। सोशल मीडिया और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने टीसीएस कर्मचारी की स्थिति को केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि प्रणाली की असफलता बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के मामले कॉर्पोरेट भारत में कर्मचारियों के साथ होने वाले व्यवहार पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।

क्या है आगे की राह?

एक केस स्टडी या एक चेतावनी?

इस पूरे मामले को एक टीसीएस कर्मचारी के जीवन की घटना मानकर छोड़ देना आसान होगा। लेकिन असल चुनौती तब होगी जब कंपनियां यह समझें कि कर्मचारियों के जीवन से जुड़ी समस्याएं सिर्फ HR फॉर्मैलिटी नहीं होतीं।

TCS जैसी बड़ी कंपनी का यह रवैया अन्य आईटी कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए भी एक चेतावनी है कि कार्य संस्कृति को सिर्फ टारगेट और KPI से नहीं, बल्कि इंसानियत और सहानुभूति से भी तौलना चाहिए।

एक तस्वीर ने जगाया विवेक

इस घटना ने हमें याद दिलाया कि किसी भी टीसीएस कर्मचारी या किसी भी क्षेत्र के कर्मचारी के लिए गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार सबसे ऊपर है। जब एक वैश्विक कंपनी के दरवाजे पर ही उसका कर्मचारी फुटपाथ पर रात बिताने को मजबूर हो, तो यह विकास की नहीं, व्यवस्था की विफलता की तस्वीर है।

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