तालिबान शासित अफगानिस्तान में आधी रात का कहर: धरती हिली, गांव मलबे में तब्दील, मौत का आंकड़ा 600 पार”

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हाइलाइट्स

  • तालिबान शासित अफगानिस्तान में 6.0 तीव्रता का भूकंप, 622 मौतें और 1500 से अधिक घायल
  • नांगरहार प्रांत के जलालाबाद के पास 8 किलोमीटर गहराई में था भूकंप का केंद्र
  • कुनार प्रांत में गांव तबाह, मलबे में फंसे लोग और राहत कार्य जारी
  • तालिबान सरकार ने आपातकाल की घोषणा की, अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील
  • राहत और बचाव में बाधा बन रहीं टूटी सड़कें और खंडहरों में तब्दील घर

तालिबान शासित अफगानिस्तान में आया विनाशकारी भूकंप

तालिबान शासित अफगानिस्तान एक बार फिर प्राकृतिक आपदा के कहर से जूझ रहा है। सोमवार को आए शक्तिशाली भूकंप ने न केवल 622 लोगों की जान ले ली, बल्कि 1500 से अधिक लोगों को घायल कर दिया। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अफगान गृह मंत्रालय के हवाले से बताया कि यह भूकंप रविवार देर रात पूर्वी अफगानिस्तान में आया, जिसकी तीव्रता 6.0 मापी गई।

भूकंप का केंद्र नांगरहार प्रांत के जलालाबाद शहर से लगभग 27 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में था। 8 किलोमीटर गहराई में आए इस भूकंप ने खासकर कुनार और नांगरहार प्रांत को सबसे अधिक प्रभावित किया, जहां कई गांव पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो गए।

नांगरहार और कुनार प्रांतों में भारी तबाही

पूर्वी अफगानिस्तान के नांगरहार और कुनार प्रांतों में भूकंप का सबसे ज्यादा असर देखा गया। नांगरहार के ग्रामीण इलाकों में कई मकान कच्चे और कमजोर ढांचे के बने थे, जो भूकंप के तेज झटकों को सहन नहीं कर सके। कुनार प्रांत के पहाड़ी गांवों में सैकड़ों घर जमींदोज हो गए, जबकि सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त होने से राहत और बचाव कार्यों में कठिनाई हो रही है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि रात में आए इस भूकंप के झटके इतने तीव्र थे कि लोग अपने घरों से बाहर भागने का समय भी नहीं पा सके। कई गांवों में परिवार अब भी मलबे के नीचे दबे हैं।

तालिबान सरकार की प्रतिक्रिया और राहत कार्य

तालिबान शासित अफगानिस्तान में इस प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर मानवीय संकट को गहरा कर दिया है। तालिबान सरकार ने तुरंत आपातकाल की घोषणा कर सेना, पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों को राहत कार्यों में लगा दिया है। नांगरहार और कुनार प्रांतों में सेना के हेलिकॉप्टर और बचाव दल तैनात किए गए हैं।

तालिबान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल नफी ताकोर ने बताया,
“हमारे पास संसाधनों की भारी कमी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील है कि इस कठिन समय में अफगानिस्तान की मदद करें।”

इस आपदा से निपटने के लिए तालिबान प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी राहत सामग्री और चिकित्सकीय सहायता भेजने का अनुरोध किया है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता

तालिबान शासित अफगानिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। ऐसे में यह भूकंप वहां की मौजूदा परिस्थितियों को और गंभीर बना सकता है। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस ने पीड़ितों की मदद के लिए राहत अभियान चलाने की घोषणा की है।

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यालय (OCHA) ने कहा है कि इस आपदा से प्रभावित इलाकों में दवाओं, भोजन और आश्रय की तुरंत आवश्यकता है। पड़ोसी देशों पाकिस्तान और ईरान ने भी सहायता भेजने की पेशकश की है।

लगातार भूकंपों से क्यों जूझता है अफगानिस्तान

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, अफगानिस्तान भूकंपीय गतिविधियों के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है। यह इलाका भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराव क्षेत्र में आता है। इसी वजह से यहां अक्सर मध्यम से तीव्र भूकंप आते रहते हैं।

तालिबान शासित अफगानिस्तान में बुनियादी ढांचे की कमी और कच्चे मकानों की अधिकता भूकंप के असर को और बढ़ा देती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की आपदाओं से बचने के लिए मजबूत निर्माण तकनीकों और आपदा प्रबंधन योजनाओं की सख्त जरूरत है।

स्थानीय लोगों की स्थिति

नांगरहार और कुनार प्रांतों से मिल रही तस्वीरें और वीडियो बेहद भयावह हैं। सैकड़ों लोग अपने प्रियजनों को खो चुके हैं। अस्पतालों में घायलों का इलाज हो रहा है, लेकिन संसाधनों की भारी कमी है।

एक स्थानीय निवासी ने बताया,
“हमने अपनी आंखों के सामने गांव को मलबे में तब्दील होते देखा। कई लोग रात में सो रहे थे, अचानक तेज झटके आए और सब खत्म हो गया।”

मदद की अपील और चुनौतियां

तालिबान शासित अफगानिस्तान की सरकार ने कहा है कि राहत कार्यों में समय लग सकता है क्योंकि प्रभावित क्षेत्र पहाड़ी और दुर्गम हैं। टूटी हुई सड़कें और मलबे से घिरे रास्ते बचाव कार्य को धीमा कर रहे हैं।

मानवीय संगठनों का कहना है कि प्रभावित इलाकों में भोजन, पानी, दवाओं और तंबुओं की भारी कमी है। तालिबान प्रशासन को राहत सामग्री पहुंचाने में भी कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

भविष्य के लिए सबक

यह आपदा एक बार फिर इस ओर इशारा करती है कि अफगानिस्तान को आपदा प्रबंधन और भूकंपरोधी ढांचों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
तालिबान शासित अफगानिस्तान में अगर भूकंप जैसे संकटों से प्रभावी ढंग से निपटना है, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग और आधुनिक तकनीक की मदद से एक सुदृढ़ आपदा प्रबंधन प्रणाली का निर्माण आवश्यक है।

पूर्वी अफगानिस्तान में आया यह विनाशकारी भूकंप केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि देश की मौजूदा सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों की गहरी तस्वीर पेश करता है।
तालिबान शासित अफगानिस्तान में अब सबसे बड़ी प्राथमिकता राहत और बचाव कार्य को तेज करना और प्रभावित परिवारों को मदद पहुंचाना है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से ही इस आपदा के घावों को भरा जा सकता है।

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