हाइलाइट्स
- झारखंड के सूरज यादव ने JPSC की तैयारी के लिए नौकरी और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच कठिन सफर तय किया।
- पत्नी पूनम ने हर मोड़ पर उनका हौसला बढ़ाया और आर्थिक संकट में भी पढ़ाई को प्राथमिकता दी।
- डिलीवरी बॉय और रैपिडो की नौकरी करते हुए सूरज ने हार नहीं मानी।
- 2022 की परीक्षा में महज सात अंकों से असफल होने के बावजूद फिर से संघर्ष जारी रखा।
- आखिरकार JPSC में 110वीं रैंक हासिल कर डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना पूरा किया।
झारखंड के सूरज यादव की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी हार मानने की बजाय मेहनत और धैर्य से अपने सपनों को साकार करना चाहता है। गरीबी, आर्थिक संकट और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच सूरज ने कभी अपने सपनों को नहीं छोड़ा। पत्नी पूनम का साथ और अटूट विश्वास उनकी सबसे बड़ी ताकत बना। आज सूरज ने JPSC की तैयारी के बल पर 110वीं रैंक हासिल कर डिप्टी कलेक्टर बनने का गौरव प्राप्त किया है।
बचपन से लेकर ग्रेजुएशन तक का सफर
सूरज यादव का बचपन साधारण परिस्थितियों में बीता। पढ़ाई में अच्छे सूरज ने ग्रेजुएशन पूरा किया और फिर नौकरी की तलाश में कॉल सेंटर में काम शुरू किया। लेकिन उनकी आंखों में हमेशा बड़ा सपना था—सिविल सेवा में जाकर समाज और राज्य की सेवा करना। ग्रेजुएशन के बाद नौकरी और करियर के मोड़ पर सूरज के सामने पहली बार बड़ा सवाल आया कि क्या कमाई को प्राथमिकता दें या JPSC की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करें।
पत्नी पूनम का संबल
सूरज की जिंदगी की असली प्रेरणा उनकी पत्नी पूनम बनीं। शादी के बाद घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। सूरज ने पूनम से पूछा कि उन्हें नौकरी करनी चाहिए या JPSC की तैयारी करनी चाहिए। इस पर पूनम का जवाब था—”आप पढ़ाई कीजिए, कमाई की चिंता मत कीजिए।” यह जवाब सूरज के लिए जीवन बदलने वाला साबित हुआ।
पूनम ने न केवल भावनात्मक बल्कि आर्थिक रूप से भी सूरज का साथ दिया। साल 2020 तक पूनम के मायके वालों ने भी आर्थिक सहयोग किया, जिससे सूरज पूरी तरह पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सके।
बढ़ती जिम्मेदारियों के बीच JPSC की तैयारी
साल 2020 में सूरज और पूनम के घर बेटे का जन्म हुआ। जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ गया, लेकिन पूनम ने फिर भी सूरज को हौसला देते हुए कहा कि वह JPSC की तैयारी जारी रखें। पत्नी की दृढ़ता ने सूरज को हिम्मत दी और उन्होंने पहले से ज्यादा मेहनत करना शुरू किया।
पहली असफलता और टूटते सहारे
साल 2022 में JPSC की तैयारी का पहला बड़ा इम्तहान सामने आया। सूरज ने पूरी मेहनत से परीक्षा दी, लेकिन मेंस में वे महज सात अंकों से असफल हो गए। यह उनके लिए बहुत बड़ा झटका था।
इसी बीच पूनम की छोटी बहन की शादी हुई और उसके बाद मायके से मिलने वाला आर्थिक सहयोग बंद हो गया। घर में फिर से यह संकट खड़ा हुआ कि सूरज नौकरी करें या JPSC की तैयारी जारी रखें। इस कठिन दौर में भी पूनम का जवाब वही रहा—”आप तैयारी कीजिए, बाकी सब हो जाएगा।”
डिलीवरी बॉय और रैपिडो की नौकरी के साथ तैयारी
अब सूरज ने खुद कमाई और पढ़ाई का संतुलन बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने डिलीवरी बॉय और रैपिडो की नौकरी शुरू की। दिनभर काम करने के बाद रात में वे JPSC की तैयारी में जुट जाते। यह दौर बेहद कठिन था, लेकिन सूरज का हौसला और पत्नी का समर्थन उन्हें हर मुश्किल से निकालता गया।
JPSC की तैयारी में सफलता और 110वीं रैंक
लगातार संघर्ष और मेहनत ने आखिरकार रंग दिखाया। इस साल घोषित परिणामों में सूरज यादव ने JPSC की तैयारी के दम पर 110वीं रैंक हासिल की। इस उपलब्धि के साथ उनका डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना पूरा हुआ। यह केवल सूरज ही नहीं, बल्कि उनकी पत्नी पूनम और पूरे परिवार के धैर्य और विश्वास की जीत है।
समाज के लिए मिसाल
सूरज यादव की यह कहानी केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए मिसाल है। यह दिखाती है कि अगर परिवार और जीवनसाथी का सहयोग मिले, तो कितनी भी कठिन परिस्थितियां क्यों न हों, सफलता हासिल की जा सकती है।
प्रेरणा युवाओं के लिए
आज झारखंड के हजारों युवा JPSC की तैयारी में जुटे हुए हैं। सूरज की यह यात्रा उनके लिए प्रेरणा का स्रोत है। वह सिखाती है कि असफलता सफलता की सीढ़ी होती है और सही दृष्टिकोण और मेहनत से हर मंजिल पाई जा सकती है।
झारखंड के सूरज यादव का संघर्ष और सफलता यह साबित करता है कि कठिनाइयां कभी रास्ता रोक नहीं सकतीं। पत्नी पूनम का विश्वास, लगातार मेहनत और दृढ़ संकल्प ने सूरज को वहां पहुंचा दिया, जहां से वह अब समाज की सेवा नए अंदाज में करेंगे। उनकी सफलता हर उस युवा को संदेश देती है कि अगर सपना बड़ा है तो परिस्थितियां चाहे जितनी कठिन हों, हार मानना विकल्प नहीं।