हाइलाइट्स
- अलौकिक गुरूदेव का दावा कि वे चलता पंखा भी अपनी चार अंगुलियों से रोक सकते हैं।
- भक्तों ने रोककर निकले धूल और भभूत को आस्था का प्रतीक मान माथे पर लगाया।
- सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, लोगों में आस्था और संदेह दोनों की लहर।
- विशेषज्ञों का कहना—यह खेल विज्ञान और हाथ की तकनीक का हो सकता है।
- गांव से लेकर शहर तक चर्चा—क्या सच में एक नए अलौकिक गुरूदेव का उदय हुआ है?
अलौकिक गुरूदेव का नया चमत्कार
देश में आए दिन नए-नए चमत्कारी बाबाओं और साधुओं की कहानियां सामने आती रहती हैं। इस बार सुर्खियों में हैं एक नए अलौकिक गुरूदेव, जिन्होंने चलता पंखा अपनी मात्र चार अंगुलियों से रोक दिया। घटना का वीडियो सामने आते ही यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। भक्तों का मानना है कि यह कोई साधारण इंसान का काम नहीं, बल्कि दैवी शक्ति का प्रमाण है।
भक्तों का विश्वास और आस्था
गुरूदेव के अनुयायी मानते हैं कि जब उन्होंने चलता पंखा रोका, तो उससे जो धूल और राख जैसी परत निकली, वही उनके लिए भभूत बन गई। भक्त इसे माथे पर लगाकर इसे आशीर्वाद मान रहे हैं। इस घटना को देखकर भक्तों में और अधिक आस्था बढ़ गई है। हर कोई इस अलौकिक गुरूदेव से मिलने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए उत्सुक है।
सोशल मीडिया पर वायरल सनसनी
वीडियो बना बहस का केंद्र
आजकल कोई भी घटना सोशल मीडिया पर आते ही देशभर में चर्चा का विषय बन जाती है। इसी तरह यह वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हजारों लोग इसे शेयर कर चुके हैं।
समर्थन और विरोध दोनों
कुछ लोग इस वीडियो को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए हैं और इसे वास्तविक चमत्कार मानते हैं। वहीं दूसरी ओर, बड़ी संख्या में लोग इसे प्रपंच और चालाकी करार दे रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि ऐसा पंखा रोकना कोई अलौकिक काम नहीं, बल्कि हाथ की तकनीक और बिजली के झटके से बचने की चाल हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय
विज्ञान की दृष्टि से व्याख्या
इंजीनियरिंग और फिजिक्स के जानकार मानते हैं कि चलता पंखा रोकना उतना मुश्किल नहीं जितना दिखाया जा रहा है। यदि पंखे की स्पीड कम हो या करंट का प्रवाह कम कर दिया जाए तो यह काम संभव है। विशेषज्ञों का तर्क है कि यह अधिकतर मानसिक भ्रम और नाटकीयता का खेल है।
मनोविज्ञान का पहलू
मनोविज्ञानी कहते हैं कि जब किसी व्यक्ति को अलौकिक गुरूदेव जैसा दर्जा दिया जाता है तो लोग उसकी हर हरकत में चमत्कार खोजने लगते हैं। यह भीड़ की आस्था और विश्वास का असर है कि साधारण घटना भी उन्हें दैवी लगती है।
गांव से शहर तक चर्चा
वाह! चलता पंखा चार अंगुलियों से रोक दिया और उससे पैदा हुआ भभूत अपने भक्तों के माथे मल दिया!
अद्भुत, अकल्पनीय, अविश्वसनीय 🫣
देश में एक नए अलौकिक गुरूदेव का उदय चुका है… ये जल्दी ही टीवी चैनलों पर भी नज़र आने लगेंगे… इंटरव्यू देते हुए 😁
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) September 8, 2025
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी लोकप्रियता
जहां-जहां यह वीडियो पहुंच रहा है, वहां-वहां अलौकिक गुरूदेव की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। गांवों में लोग इसे चमत्कार मानकर पूजा-पाठ में शामिल कर रहे हैं।
शहरों में आलोचना तेज
शहरी क्षेत्रों में पढ़े-लिखे लोग इसे ढोंग मानते हैं। वे इसे नए-नए तथाकथित बाबाओं के धंधे का हिस्सा बता रहे हैं। उनका कहना है कि समाज को ऐसे ढोंगियों से बचने की जरूरत है।
मीडिया की भूमिका
जल्द ही यह विषय टीवी चैनलों पर भी चर्चा का हिस्सा बनने वाला है। कई चैनल्स पर अलौकिक गुरूदेव को इंटरव्यू के लिए बुलाने की तैयारी चल रही है। इससे एक ओर जहां उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ सकती है, वहीं दूसरी ओर उनका भंडाफोड़ भी संभव है।
चलता पंखा चार अंगुलियों से रोकने की घटना ने देशभर में आस्था, विवाद और जिज्ञासा की लहर पैदा कर दी है। जहां भक्त इसे अद्भुत मान रहे हैं, वहीं वैज्ञानिक इसे छलावा और तकनीक बताते हैं। अब सवाल यही है कि क्या यह सच में कोई चमत्कार है या केवल भीड़ को आकर्षित करने का तरीका? आने वाले समय में इस अलौकिक गुरूदेव का सच सामने आना तय है।