हाइलाइट्स
- Stray Dog Attack का ताज़ा मामला, 3‑वर्षीय बच्ची को कुत्तों ने खींचा‑नोंचा, गंभीर रूप से घायल
- घटना कर्नाटक के हुब्बाली के सिमलानगर में, पूरी वारदात सीसीटीवी में रिकॉर्ड
- स्थानीय लोगों का आरोप––नगर निगम ने बार‑बार शिकायत के बाद भी आवारा कुत्तों पर लगाम नहीं लगाई
- विशेषज्ञों का कहना––देश‑भर में Stray Dog Attack के मामलों में पिछले पाँच साल में उल्लेखनीय बढ़ोतरी
- सरकार ने नसबंदी और टीकाकरण योजनाएँ तेज़ करने का भरोसा जताया, लेकिन ज़मीनी अमल धीमा
कर्नाटक के हुब्बाली में Stray Dog Attack का ताज़ा मामला
17 जुलाई 2025 को सिमलानगर, हुब्बाली की एक संकरी गली में तीन साल की मासूम बच्ची दूध‑और‑ब्रेड लेने नज़दीकी दुकान जा रही थी। तभी दो आवारा कुत्तों ने पल‑भर में उसे चारों ओर से घेर लिया। सीसीटीवी फुटेज में दिखता है कि बच्ची पर अचानक धावा बोलकर कुत्तों ने उसे कंधे, पीठ और पैरों पर बुरी तरह काटा और घसीटा। स्थानीय लोग शोर सुनकर दौड़े, तब जाकर Stray Dog Attack रुका। बच्ची को तुरंत KIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उसकी हालत स्थिर बताई गई है।
घटना का समय और स्थान
हुब्बाली‑धारवाड़ नगर निगम (HDMC) क्षेत्र के इस भीतरी मोहल्ले में पहले भी Stray Dog Attack की शिकायतें मिली थीं। सुबह करीब 8:45 बजे का समय था, जब अधिकांश लोग काम पर निकल रहे थे और गलियाँ अपेक्षाकृत सुनसान थीं। घटनास्थल के पास खुले कचरे के ढेर और अस्थायी भोजन‑स्टॉल कुत्तों के ठिकाने बने हुए हैं।
सीसीटीवी में कैद भयावह पल
वीडियो में कुत्ते बच्ची को पीछे से दबोचते हैं, वह घबराकर गिरती है, और लगभग दस सेकंड तक ज़मीन पर घसीटती रहती है। यह Stray Dog Attack सोशल मीडिया पर वायरल होते ही नगर निगम पर सवालों की बौछार शुरू हो गई।
मां-बाप अपने मासूम बच्चों का बाहर निकलते वक्त बहुत विशेष ध्यान रखें !!
सीसीटीवी में कैद हुई खौफनाक घटना!
आवारा कुत्तों के हमले के वीडियो लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, अब देखिए 3 साल की मासूम पर आवारा कुत्तों का हमला, बुरी तरह नोंचा…!!कर्नाटक के हुब्बाली में 3 साल… pic.twitter.com/OZt39S6ZEA
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) July 18, 2025
Stray Dog Attack के बढ़ते मामले: राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय के ताज़ा आकलन के मुताबिक देश में Stray Dog Attack की घटनाओं में सालाना 30 प्रतिशत की दर से इज़ाफ़ा हो रहा है। अलग‑अलग रिपोर्टों का संकलित अनुमान है कि भारत में क़रीब 12 करोड़ आवारा कुत्ते हैं; अकेले दिल्ली में इनकी संख्या आठ लाख के आसपास है। विशेषज्ञों का कहना है कि देश‑भर में रोज़ाना औसतन 20 हज़ार कुत्ता‑काटने के मामले दर्ज होते हैं, जिनमें से दो हज़ार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में होते हैं। (The Times of India, The Times of India)
कितने सुरक्षित हैं हमारे बच्चे?
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रेणुका देशपांडे बताती हैं कि पाँच साल से कम आयु के बच्चों में Stray Dog Attack से होने वाली चोटें अधिक गंभीर होती हैं, क्योंकि उनका शरीर छोटा और त्वचा नाज़ुक होती है। WHO के आँकड़े इंगित करते हैं कि भारत में प्रतिवर्ष 20,000 से अधिक लोगों की मौतें रेबीज़ से होती हैं—इनमें बहुत‑से मामले समय पर टीका न लग पाने के कारण होते हैं।
अभिभावकों की बदलती दिनचर्या
सिमलानगर की रहने वाली सरिता शेट्टी कहती हैं, “अब हम बच्चों को अकेले बाहर भेजने का जोखिम नहीं उठा सकते। हर मोड़ पर Stray Dog Attack का डर सताता है।”
प्रशासनिक चुनौतियाँ और कानूनी पेच
कानून के अनुसार आवारा कुत्तों को पकड़कर बधिया (ABC—Animal Birth Control) करने तथा वैक्सीनेट करके उसी इलाके में छोड़ना होता है। HDMC के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजू हिरेमठ कहते हैं, “हम रोज़ाना औसतन 70 कुत्तों की नसबंदी कर रहे हैं, लेकिन Stray Dog Attack की रफ्तार के सामने यह नाकाफ़ी है।”
नगर निगम की सीमाएँ
नगर निगम के पास समुचित शेल्टर नहीं हैं; ठेकेदार‑आधारित नसबंदी केंद्रों पर क्षमता सीमित है। शासन स्तर पर फंड‑रिलीज़, निविदा प्रक्रिया और कोर्ट–स्थगन आदेश भी Stray Dog Attack नियंत्रण‑कार्य में देरी पैदा करते हैं।
अदालतों की सख़्त टिप्पणियाँ
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी Stray Dog Attack मामलों पर “ठोस योजना” की माँग करते हुए कहा कि नागरिक सुरक्षा और पशु‑अधिकारों के बीच संतुलन ज़रूरी है। अदालत ने राज्यों को विस्तृत कार्रवाई‑रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
Stray Dog Attack रोकने के लिए समाधान के रास्ते
नसबंदी कार्यक्रम में तेजी
पशु कल्याण विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि प्रति वर्ष कुल आवारा कुत्ता आबादी के 70 प्रतिशत का ABC किया जाए, तो पाँच साल में Stray Dog Attack के मामलों में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है। वानिकी एवं पर्यावरण विभाग के परामर्शदाता प्रो. अमित सिन्हा कहते हैं, “इसके लिए ट्रैकिंग‑एप, RFID टैगिंग और माइक्रो‑चिपिंग तकनीक अपनानी होगी।”
कचरा प्रबंधन और भोजन‑स्त्रोत
Stray Dog Attack अक्सर उन इलाकों में ज़्यादा होते हैं जहाँ खुले में कचरा, होटल‑ढाबों का बचा‑खुचा भोजन या स्लॉटर‑हाउस के अवशेष आसानी से उपलब्ध रहते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं—नगर निगम यदि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का सख्ती से पालन कराए, तो Stray Dog Attack की आवृत्ति स्वतः कम हो सकती है।
सामुदायिक सहभागिता
नगर निगम के पशु शेल्टर‑सहयोगी NGO, ‘पॉज़ एंड प्रोटेक्ट’ की निदेशक अदिति नायर बताती हैं कि कॉलोनी‑स्तर पर स्वयंसेवकों ने 1500 कुत्तों का ABC और टीकाकरण कराया, जिससे वहाँ पिछले एक साल में Stray Dog Attack एक‑तिहाई घटे।
स्कूल और सामुदायिक जागरूकता
शिक्षाविद् डॉ. कृपा मोहन के अनुसार, स्कूल पाठ्यक्रम में पशु‑आचरण समझ, ‘डॉग‑बाइट फर्स्ट‑एड’ और Stray Dog Attack से बचाव की बुनियादी जानकारी शामिल करना चाहिए। इससे बच्चे आत्म‑रक्षा के सरल उपाय सीखेंगे—जैसे नज़र मिलाकर पीछे‑सिर झुकाकर न भागना, धीरे‑धीरे पीछे हटना, और यदि गिर जाएँ तो हाथ सिर पर रखकर मुद्रा स्थिर रखना।
अभिभावकों के लिए तुरंत अपनाने योग्य सुझाव
- बच्चों को अकेले भेजने से बचें: Stray Dog Attack की आशंका वाले रास्तों का चयन न करें।
- टेफ़लॉन‑कवर्ड स्कूल बैग या छाता साथ दें: ज़रूरत पड़ने पर ढाल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
- रेबीज़‑प्रतिरोधक टीका समय पर: यदि किसी इलाके में हालिया Stray Dog Attack हो, तो डॉक्टरी सलाह से पूर्व‑एक्सपोज़र टीकाकरण कराएँ।
- समय पर सूचना दें: नगर निगम या 112 हेल्पलाइन पर Stray Dog Attack की सूचना दें, साथ ही वीडियो‑प्रूफ़ सुरक्षित रखें।
- सोशल मीडिया का सकारात्मक इस्तेमाल: घटना के वीडियो‑सबूत स्थानीय वार्ड पार्षद व मीडिया तक पहुँचाकर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित कराएँ।
तालमेल से ही रोकी जा सकती है Stray Dog Attack की त्रासदी
हुब्बाली की त्रासदी––एक मासूम पर Stray Dog Attack––ने फिर दिखा दिया कि शहरी विकास की तेज़ रफ़्तार के बीच पालतू‑पशु‑नियमन की धीमी चाल कितनी महँगी पड़ सकती है। जब तक प्रशासन, न्यायपालिका, नागरिक‑समूह और पशु‑अधिकार संगठन मिलकर नसबंदी‑टीकाकरण, कचरा प्रबंधन और सुरक्षित शेल्टर का तंत्र मजबूत नहीं करेंगे, तब तक Stray Dog Attack के ख़तरे से पूरी तरह निजात पाना मुश्किल है।