हाइलाइट्स
- साध्वी प्राची का बयान एक बार फिर बना राजनीतिक बहस का केंद्र
- आधुनिक लड़कियों के पहनावे, सोशल मीडिया और बॉयफ्रेंड कल्चर पर कड़ा प्रहार
- मेरठ और इंदौर की हत्या की घटनाओं को बताया “पश्चिमी अपसंस्कृति” का नतीजा
- धर्मांतरण कराने वाले बाबाओं को बताया “देशद्रोही”, मांगी सार्वजनिक फांसी
- मदरसों को बताया “आतंकवाद की फैक्ट्री”, सरकार से की कार्रवाई की मांग
राजनीतिक हलचल में फिर आईं साध्वी प्राची, हिंदू संस्कृति को बताया एकमात्र विकल्प
मेरठ (उत्तर प्रदेश)। हिंदूवादी नेत्री साध्वी प्राची का बयान एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। मंगलवार को मेरठ के शिवमूर्ति मंदिर में दर्शन के बाद साध्वी प्राची ने पत्रकारों से बात करते हुए आधुनिक समाज, युवतियों के रहन-सहन, सोशल मीडिया के प्रभाव और धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर तीखे शब्दों में अपनी राय रखी।
साध्वी प्राची का बयान राजनीतिक गलियारों, सामाजिक मंचों और सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रियाओं का कारण बना हुआ है। उनके इस बयान को कई लोगों ने “सांस्कृतिक चेतना” कहा, तो कई ने इसे “महिलाओं की आज़ादी पर हमला” बताया।
लड़कियों का बॉयफ्रेंड कल्चर पर हमला — “ये अपसंस्कृति है, परिवार तोड़ रही है”
“चार-चार बॉयफ्रेंड रखने वाली लड़की घर नहीं बसा सकती”
साध्वी प्राची का बयान सबसे पहले युवतियों के रहन-सहन और पश्चिमी सोच पर केंद्रित रहा। उन्होंने कहा—
“जो लड़कियां चार-चार बॉयफ्रेंड रखती हैं, वे कभी घर नहीं बसा सकतीं। ये पश्चिमी अपसंस्कृति हमारे परिवारों को तोड़ रही है।”
उन्होंने इसे भारतीय मूल्यों के विरुद्ध बताया और कहा कि आजकल के फैशन और लिव-इन रिलेशन जैसे चलन भारतीय संस्कृति के लिए खतरा हैं।
सोशल मीडिया को बताया “अश्लीलता का मंच”
“इंस्टाग्राम पर लड़कियां पैसे के लिए कपड़े उतार रही हैं”
साध्वी प्राची का बयान युवतियों के सोशल मीडिया उपयोग को लेकर और अधिक कठोर हो गया। उन्होंने कहा:
“इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर लड़कियां अश्लील वीडियो बनाकर पैसे कमा रही हैं। ये भारतीय संस्कृति नहीं है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी बेटियों को इससे दूर रखें।”
उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म को मानसिक विकृति का केंद्र बताया और समाज से अपील की कि इस दिशा में बदलाव लाना ज़रूरी है।
मेरठ और इंदौर की हत्या की घटनाएं: “पत्नी ने ही करवाया पति का कत्ल”
रिश्तों में नैतिकता की गिरावट पर चिंता
साध्वी प्राची का बयान तब और सनसनीखेज हो गया जब उन्होंने मेरठ के सौरभ हत्याकांड और इंदौर के राजा रघुवंशी मर्डर केस का हवाला दिया। उन्होंने कहा:
“ये दोनों घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि आज की पत्नियां गैर मर्दों के चक्कर में अपने पति को ही मरवा दे रही हैं।”
साध्वी ने इसे पारिवारिक मूल्यों की विफलता बताया और पश्चिमी संस्कृति को दोषी ठहराया।
धर्मांतरण पर तीखा प्रहार: “छांगुर जैसे ढोंगियों को फांसी हो”
“जो देश के धर्म के खिलाफ हैं, वे देशद्रोही हैं”
साध्वी प्राची का बयान का सबसे विवादित हिस्सा तब आया जब उन्होंने धर्मांतरण कराने वालों को “देशद्रोही” कहा। उन्होंने कहा:
“जो लोग हिंदुओं को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन करवा रहे हैं, वे देशद्रोही हैं। ऐसे छांगुर जैसे लोगों को चौराहे पर फांसी दी जानी चाहिए।”
उन्होंने धर्मांतरण के पीछे काम कर रही संगठित साजिश का दावा किया और सरकार से कठोर कानूनों की मांग की।
“भारतीय संस्कृति ही है परिवार बचाने का मार्ग”
समाज के टूटने का समाधान भारतीय विचारधारा
साध्वी प्राची का बयान में भारतीय संस्कृति को ही एकमात्र समाधान बताया गया। उनका कहना था—
“अगर हम अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को बचाना चाहते हैं तो भारतीय संस्कृति की ओर लौटना होगा।”
उन्होंने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में भारतीय युवा अपनी जड़ों को भूल चुके हैं, और यही आज की समस्याओं की जड़ है।
मदरसों पर फिर दोहराया पुराना आरोप
“मदरसे शिक्षा नहीं, आतंकवाद की फैक्ट्री हैं”
साध्वी प्राची का बयान में उन्होंने अपने पूर्व के विवादित बयान को फिर से दोहराया। उन्होंने कहा:
“मदरसे शिक्षा के केंद्र नहीं हैं। यहां जिहादी मानसिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार को तुरंत इन पर लगाम लगानी चाहिए।”
इस बयान पर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है कि क्या यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है या कट्टरपंथ के विरुद्ध चेतावनी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और समाज का दोहरा मत
बयान के बाद सियासी तूफान
साध्वी प्राची का बयान सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने इसकी कड़ी आलोचना की है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और कुछ महिला संगठनों ने इसे महिला विरोधी बताया।
हालांकि, कई हिंदू संगठनों ने उनके विचारों का समर्थन किया और कहा कि यह समाज को “जागृत करने” का कार्य है।
एक बयान, कई सवाल
साध्वी प्राची का बयान महज एक व्यक्तिगत विचार नहीं, बल्कि यह भारतीय समाज में जारी सांस्कृतिक द्वंद्व का प्रतीक बन गया है।
एक ओर जहां आधुनिकता, स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकार की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर संस्कृति, परंपरा और पारिवारिक मूल्यों की चिंता भी उतनी ही गहरी है।
आख़िर में यह सवाल उठता है— क्या यह बयान समाज को दिशा देगा या फिर विभाजन की एक और रेखा खींचेगा?