हाइलाइट्स
- मंशा देवी पैदल मार्ग पर भगदड़ के कारण 6 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि, दर्जनों घायल
- घटना हरिद्वार के भीड़भाड़ वाले मंशा देवी मंदिर के मुख्य चढ़ाई मार्ग पर हुई
- हादसे के समय भारी भीड़ थी, सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे
- गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय ने की मृतकों की पुष्टि, मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
- स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर लापरवाही का आरोप, श्रद्धालुओं में गुस्सा
हरिद्वार: आस्था और अव्यवस्था की भयंकर टक्कर
उत्तराखंड के धार्मिक नगरी हरिद्वार में शनिवार को एक बड़ा हादसा हो गया। प्रसिद्ध मंशा देवी पैदल मार्ग पर भगदड़ मचने से 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि करीब दर्जन भर लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा सुबह लगभग 10 बजे हुआ जब मंदिर की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो गई थी।
यह घटना न केवल प्रशासन की तैयारियों की पोल खोलती है, बल्कि धार्मिक पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करती है।
क्या हुआ मंशा देवी पैदल मार्ग पर?
शनिवार को गुरु पूर्णिमा होने के कारण हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंशा देवी मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे। भीड़ नियंत्रण के लिए लगाए गए बैरिकेड्स अचानक टूट गए और मंशा देवी पैदल मार्ग पर भगदड़ मच गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अचानक से किसी ने ‘सांप निकल आया’ चिल्लाया, जिससे लोग बेकाबू हो गए और एक-दूसरे पर चढ़ते-गिरते भागने लगे। इस भगदड़ में 6 लोगों की मौत हो गई, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं।
प्रशासन की लापरवाही या दुर्घटना?
गढ़वाल के कमिश्नर विनय शंकर पांडेय ने हादसे की पुष्टि करते हुए कहा कि मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। वहीं घायलों का इलाज हरिद्वार के जिला अस्पताल और ऋषिकेश एम्स में चल रहा है।
हालांकि, स्थानीय श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों ने प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पहले से ही त्योहार के दिन भारी भीड़ की संभावना थी, फिर भी पर्याप्त पुलिस बल और मेडिकल सहायता की व्यवस्था नहीं की गई।
घटनास्थल से साक्षी का बयान
हरिद्वार निवासी और घटना के समय मौजूद साक्षी शर्मा ने बताया,
“मैं अपनी मां के साथ मंशा देवी मंदिर जा रही थी, अचानक जोर-जोर की चीखें सुनाई दीं। सब लोग एक-दूसरे को कुचलते हुए भाग रहे थे। कई लोग ज़मीन पर गिर गए, लेकिन कोई रुककर उन्हें नहीं देख रहा था।”
घायलों की हालत नाजुक, इलाज जारी
भगदड़ में घायल हुए लोगों को फौरन स्थानीय लोगों की मदद से जिला अस्पताल लाया गया। उनमें से चार की हालत गंभीर बनी हुई है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि कुछ घायलों के सिर पर गहरी चोटें हैं और उन्हें ऋषिकेश के एम्स रेफर किया गया है।
मंशा देवी पैदल मार्ग की पुरानी चुनौतियाँ
यह पहला मौका नहीं है जब मंशा देवी पैदल मार्ग पर भगदड़ जैसी स्थिति बनी हो। इस मार्ग की चढ़ाई संकरी है और त्योहारी दिनों में भारी भीड़ उमड़ती है।
मंदिर प्रशासन कई बार इस मार्ग को एकतरफा बनाने की सिफारिश कर चुका है, लेकिन आज तक स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है।
हरिद्वार में मंशा देवी पैदल मार्ग पर भगदड़ मचने से बड़ा हादसा। छह श्रद्धालुओं की मौत, दर्जन भर घायल। कमिश्नर गढ़वाल विनय शंकर पांडेय ने पुष्टि की।#haridwar #Manshadevi pic.twitter.com/5FmiscueXP
— Ajit Singh Rathi (@AjitSinghRathi) July 27, 2025
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सवाल
राज्य के विपक्षी नेताओं ने घटना को लेकर सरकार को घेरा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि
“हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थल पर बार-बार ऐसी घटनाएं सरकार की नाकामी को उजागर करती हैं। श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने जाते हैं, मौत नहीं।”
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दुख व्यक्त करते हुए जांच के आदेश दिए हैं और कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
प्रशासन की ओर से जारी बयान
गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा,
“घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है और हम जल्द ही मंशा देवी मार्ग पर स्थायी समाधान निकालेंगे।”
भविष्य की योजना और प्रशासनिक तैयारी
प्रशासन अब पूरे मंशा देवी मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे लगाने, प्रवेश-निकास द्वार को अलग करने और सुरक्षा गार्डों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रहा है।
उत्तराखंड सरकार ने घोषणा की है कि मंदिरों में आने वाली भीड़ का प्रबंधन करने के लिए अलग से “धार्मिक स्थल सुरक्षा बल” बनाया जाएगा।
श्रद्धालुओं की आस्था बनाम प्रशासन की व्यवस्था
हरिद्वार में लाखों श्रद्धालु हर साल दर्शन करने आते हैं। लेकिन बार-बार हो रही दुर्घटनाओं से यह सवाल उठता है कि क्या आस्था के इस केंद्र में पर्याप्त सुरक्षा है?
मंशा देवी पैदल मार्ग पर भगदड़ कोई अचानक घटने वाली दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक व्यवस्थागत विफलता की परिणति थी। यदि समय रहते सही प्रबंधन किया गया होता, तो आज छह परिवार उजड़ने से बच सकते थे।
हरिद्वार जैसे तीर्थस्थलों पर केवल आस्था ही नहीं, बल्कि समुचित यातायात, स्वास्थ्य सुविधा और आपातकालीन योजना की जरूरत है। मंशा देवी पैदल मार्ग पर भगदड़ एक चेतावनी है कि अगर अब भी सुधार नहीं हुआ, तो ऐसे हादसे फिर दोहराए जा सकते हैं।