Social Media Video

शिमला में वायरल वीडियो ने खोला रोंगटे खड़े कर देने वाला राज: चंडीगढ़ का डॉक्टर निकला हैवान, मासूम बेटी पर बरसाए डंडे!

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हाइलाइट्स

  • Social Media Video वायरल होने के बाद पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग तेज़
  • 10 वर्षीय गोद ली हुई बच्ची पर डॉक्टर ने किया निर्मम अत्याचार
  • शिमला पुलिस से महिला और बाल विकास आयोग ने मांगी रिपोर्ट
  • घटना का वीडियो देख लोगों में गुस्सा, डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
  • हिमाचल प्रदेश सरकार ने दिया जांच का भरोसा, आरोपी की गिरफ्तारी की संभावना

शिमला में मानवता शर्मसार: वायरल Social Media Video ने किया सच्चाई उजागर

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक हैरान कर देने वाली और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक प्रतिष्ठित डॉक्टर द्वारा अपनी 10 साल की मासूम गोद ली हुई बेटी को डंडे से पीटने का वीडियो Social Media Video के माध्यम से वायरल हुआ है। इस दर्दनाक दृश्य ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।

वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बच्ची कमरे के कोने-कोने में अपनी जान बचाने के लिए भाग रही है, जबकि डॉक्टर हाथ में डंडा लेकर उसे बेरहमी से पीट रहा है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो 14 जून को रिकॉर्ड किया गया और इसके वायरल होने के बाद Social Media Video पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।

डॉक्टर की हैवानियत: PGI में कार्यरत है आरोपी

सूत्रों के अनुसार, आरोपी डॉक्टर चंडीगढ़ स्थित प्रतिष्ठित पीजीआई (PGI) संस्थान में कार्यरत है। इस डॉक्टर ने इस बच्ची को कुछ साल पहले गोद लिया था और शिमला स्थित अपने निजी आवास में रहता था। Social Media Video के ज़रिए यह हैवानियत उजागर हुई है, जिसे कथित तौर पर पड़ोसियों या घर में लगे सीसीटीवी कैमरे से रिकॉर्ड किया गया।

बच्ची की चीखें, सोशल मीडिया पर गूंजीं

वीडियो में बच्ची की चीखें और बचने की कोशिशें साफ सुनाई देती हैं। बच्ची कमरे में भाग रही है, लेकिन डॉक्टर लगातार डंडे से उसे मारता जा रहा है। यह वीडियो अब हजारों लोगों द्वारा देखा जा चुका है और Social Media Video पर इंसाफ की मांग जोर पकड़ रही है।

आयोग का हस्तक्षेप: शिमला पुलिस से जवाब तलब

महिला और बाल विकास आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शिमला पुलिस से 48 घंटे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, “इस तरह की घटनाएं भारत में गोद लिए बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं। इस Social Media Video ने यह साबित किया है कि हमें और सख्त निगरानी की जरूरत है।”

शिमला पुलिस की प्रतिक्रिया

शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार ने मीडिया को बताया, “वीडियो की सत्यता की जांच की जा रही है। आरोपी डॉक्टर से पूछताछ की जा रही है और बच्ची को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है।”

शिमला पुलिस के अनुसार, Social Media Video के आधार पर आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 506 और जेजे एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है।

सोशल मीडिया का दबाव: न्याय की मांग तेज

Social Media Video वायरल होते ही ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लोगों ने आरोपी की गिरफ्तारी की मांग शुरू कर दी है। कई सामाजिक संगठनों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस मामले में CBI जांच की मांग की है।

नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) की चेतावनी

एनसीपीसीआर ने हिमाचल सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि इस तरह के मामलों में कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए। Social Media Video के जरिए सामने आई इस बर्बरता ने यह भी दिखाया है कि बाल अधिकारों की रक्षा के लिए और मज़बूत निगरानी व्यवस्था की जरूरत है।

गोद लेने की प्रक्रिया पर सवाल

यह घटना न केवल मानवता पर सवाल उठाती है, बल्कि भारत में गोद लेने की प्रक्रिया और बाद की निगरानी व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करती है। Social Media Video में साफ दिखता है कि बच्ची पूरी तरह असुरक्षित है, जबकि उसे गोद लेने से पहले सभी ज़रूरी मानकों का पालन किया गया होगा।

विशेषज्ञों की राय

बाल मनोविज्ञानी डॉ. अनुपमा राय ने कहा, “ऐसे मामलों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। बच्ची का डर, पीड़ा और ट्रॉमा उसे जीवनभर झेलना पड़ सकता है। Social Media Video में जो कुछ देखा गया, वह मनोवैज्ञानिक रूप से भयावह है।”

सरकार का रुख

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ट्वीट कर इस घटना पर दुख प्रकट किया और आश्वासन दिया कि आरोपी को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने Social Media Video का संज्ञान लेते हुए शिमला प्रशासन को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

क्या कहता है कानून?

भारत में जुवेनाइल जस्टिस (बाल न्याय) अधिनियम के अनुसार, बच्चों के साथ हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी सज़ा का प्रावधान है। यदि पीड़िता को दी गई चोट गंभीर पाई जाती है, तो आरोपी को 7 साल तक की सज़ा हो सकती है। Social Media Video के माध्यम से प्राप्त सबूतों को अदालत में पेश किया जाएगा।

शिमला की यह घटना एक चेतावनी है कि हमें बच्चों की सुरक्षा के लिए और अधिक संवेदनशील और सतर्क होने की आवश्यकता है। इस Social Media Video ने न केवल एक मासूम की पीड़ा उजागर की है, बल्कि सिस्टम की कमजोरियों को भी सामने लाया है। न्याय तभी होगा जब आरोपी को सजा मिले और पीड़िता को सुरक्षित एवं सशक्त जीवन मिल सके।

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