हाइलाइट्स
- Shiva Devotee सतनाम सिंह ने हरिद्वार से शामली तक खुद खींची बग्गी, रखे थे 251 लीटर गंगाजल
- न बैल, न भैंसे – आस्था की बग्गी को खुद बनकर वाहन खींचते रहे सतनाम
- हरिद्वार से शामली तक 200 किमी से अधिक की दूरी को तय करने में लगे 5 दिन
- रास्ते में शिव भक्त को देखने के लिए उमड़ी भीड़, लोगों ने फूलों से किया स्वागत
- आस्था, समर्पण और श्रद्धा का ऐसा दृश्य जिसने लोगों को किया भावुक
भक्ति की पराकाष्ठा: Shiva Devotee की बग्गी यात्रा
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के निवासी सतनाम सिंह ने आस्था और समर्पण की वो मिसाल पेश की, जो शायद ही पहले किसी ने देखी हो। भगवान शिव के अनन्य भक्त सतनाम सिंह ने यह संकल्प लिया कि वे Shiva Devotee की पहचान को एक नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।
इसी उद्देश्य से उन्होंने हरिद्वार से शामली तक 251 लीटर पवित्र गंगा जल से भरी बग्गी को न बैल से, न किसी वाहन से, बल्कि खुद अपने शरीर से खींचते हुए 200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की। यह यात्रा केवल एक यातायात नहीं थी, बल्कि आस्था की परीक्षा थी।
कैसे शुरू हुई यह अभूतपूर्व यात्रा?
हरिद्वार में लिया संकल्प
सतनाम सिंह हर साल कांवड़ यात्रा करते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी। इस वर्ष उन्होंने तय किया कि वे शिव को समर्पित 251 लीटर पवित्र गंगा जल को शामली तक एक बग्गी में रखकर ले जाएंगे, जिसे वे खुद खींचेंगे। उनके मुताबिक यह सिर्फ एक यात्रा नहीं बल्कि उनके ‘Shiva Devotee’ बनने की आध्यात्मिक तपस्या थी।
5 दिन में पूरा किया सफर
उन्होंने हरिद्वार से यात्रा की शुरुआत की और हर दिन लगभग 40-45 किलोमीटर की दूरी तय की। रास्ते में न रुकना, न थकना – सिर्फ भक्ति और सेवा का भाव था उनके पास। पांच दिनों में उन्होंने शामली की धरती को छूकर अपनी यात्रा पूर्ण की।
यात्रा का मार्ग और जन-समर्थन
लोग हुए भावुक, रास्ते भर मिला प्यार
सतनाम सिंह जैसे ही किसी कस्बे या गांव से गुजरते, लोग उनकी आस्था को देखकर दंग रह जाते। जगह-जगह फूलों से उनका स्वागत हुआ, पानी और प्रसाद की व्यवस्था की गई। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं – सभी ने उन्हें श्रद्धा की दृष्टि से देखा।
मार्ग: हरिद्वार – लक्सर – मीनाक्षीपुरम – पुरकाजी – खतौली – शामली
यह पूरा रास्ता मिलाकर करीब 205 किलोमीटर का है, जो कि सतनाम सिंह ने पैदल, बग्गी को खुद खींचते हुए तय किया। बग्गी में रखे गंगाजल को उन्होंने ढंक रखा था, जिससे कोई अशुद्धि न हो।
सतनाम सिंह: एक सच्चे Shiva Devotee का जीवन
कौन हैं सतनाम सिंह?
सतनाम सिंह एक किसान परिवार से आते हैं और एक सामान्य जीवन जीते हैं। लेकिन उनके भीतर भक्ति की जो अग्नि है, वह उन्हें असाधारण बनाती है। वे पिछले 10 वर्षों से हरिद्वार कांवड़ यात्रा कर रहे हैं, लेकिन इस बार की उनकी भक्ति ने सभी को अचंभित कर दिया।
क्यों चुना यह मार्ग?
सतनाम सिंह का कहना है, “भगवान शिव को जल अर्पित करना मेरा सौभाग्य है। लेकिन इस बार मैं चाहता था कि मेरे श्रम में मेरी पूरी आत्मा हो। मैं चाहता था कि शिव मेरे शरीर के कण-कण में प्रवेश करें। इसलिए मैंने खुद बग्गी खींचने का फैसला किया।”
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और समाज में संदेश
एक स्वस्थ शरीर और मजबूत मानसिकता का प्रमाण
कई डॉक्टरों और योग प्रशिक्षकों का कहना है कि इस तरह की कठिन यात्रा केवल एक स्वस्थ और अनुशासित जीवनशैली वाले इंसान के लिए ही संभव है। सतनाम सिंह की भक्ति के साथ-साथ उनका आत्मबल और धैर्य भी अनुकरणीय है।
समाज के लिए एक संदेश
इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि यदि भक्ति में समर्पण हो, तो इंसान कुछ भी कर सकता है। सतनाम सिंह की यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा है – आत्मविश्वास, सहनशीलता और निष्ठा का।
सोशल मीडिया पर वायरल, बना ‘Modern Shiva Devotee’
इस घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। कई लोग सतनाम सिंह को “Modern Shiva Devotee” कह रहे हैं। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर उनके समर्थन में लाखों पोस्ट हो चुके हैं।
यह घटना सिर्फ एक धार्मिक कार्य नहीं रही, बल्कि यह एक सोशल मूवमेंट बन चुका है। हर कोई कह रहा है – “ऐसे होते हैं सच्चे Shiva Devotee!”
जब भक्ति बन जाए साधना
हरियाणा के Shiva Devotee सतनाम सिंह की यह यात्रा केवल गंगाजल को लेकर जाना नहीं था, बल्कि एक आत्मिक प्रक्रिया थी। जब कोई व्यक्ति ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखता है, तो वह किसी भी सीमा को पार कर सकता है। यह घटना आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है।