हाइलाइट्स
- Sharda University Harassment मामले में छात्रा ने आत्महत्या कर जान गंवाई
- प्रथमदृष्टया रिपोर्ट में दो प्रोफेसरों पर मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप
- साथी छात्रों ने परिसर में कैंडल मार्च निकाल दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की
- Internal Complaint Committee (ICC) की निष्क्रियता पर भी उंगली उठी
- परिजनों और छात्र संगठनों ने सरकार से हत्या का मुकदमा चलाने की अपील की
Sharda University Harassment: घटना का पूरा विवरण
ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में शनिवार, 19 जुलाई 2025 को एक बीडीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा ज्योति (काल्पनिक नाम) को उसके छात्रावास के कमरे में फाँसी पर लटका पाया गया। पुलिस को मौके से चार पन्नों का एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें दो वरिष्ठ प्रोफेसरों पर “लगातार मानसिक उत्पीड़न” का आरोप लगाया गया है।
साथी छात्राओं के अनुसार, Sharda University Harassment की शिकायत छात्रा ने मई 2025 से ही ICC को लिखित रूप में दी थी, किंतु “कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है” कहकर हर बार मामले को टाल दिया गया। आखिरकार, बढ़ता दबाव और निरंतर कथित धमकियों ने उसे यह आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।
आत्महत्या का नोट क्या कहता है?
सुसाइड नोट में छात्रा ने स्पष्ट लिखा, “मेरी मौत के लिए प्रोफेसर X और प्रोफेसर Y जिम्मेदार हैं। उन्होंने मेरी पढ़ाई‑लिखाई रोकने और करियर नष्ट करने की धमकी दी।” यह बयान Sharda University Harassment प्रकरण में अकादमिक शक्ति‑संतुलन के दुरुपयोग को सामने लाता है। नोट में उसने अपने माता‑पिता से माफ़ी माँगते हुए लिखा कि उसने “बहुत कोशिश की, पर कोई नहीं सुन पाया।”
प्रोफेसरों पर मुख्य आरोप
- अप्रशिक्षित ओपीडी शिफ्ट में “अनावश्यक” तैनाती
- ग्रेड कम करने की धमकी
- निजी क्लिनिक में बिना भुगतान काम कराना
- चैम्बर बुलाकर चरित्र पर टिप्पणियाँ
Sharda University Harassment: विश्वविद्यालय प्रशासन का पक्ष
विश्वविद्यालय के जनसंपर्क विभाग ने प्रेस‑नोट जारी कर दावा किया कि वे “छात्र हितों को सर्वोपरि” मानते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि ICC की आंतरिक जाँच तथा बाहरी न्यायिक समिति दोनों बनाई जा चुकी हैं। हालांकि, छात्र संगठन Know Your Rights ने आरोप लगाया कि Sharda University Harassment जाँच “केवल दिखावा” है और पिछले मामलों में भी ठोस नतीजे सामने नहीं आए।
Internal Complaint Committee की भूमिका
ICC की संरचना कानूनन पाँच सदस्यों वाली होनी चाहिए, जिसमें अध्यक्ष अनिवार्यतः महिला हो। यूनिवर्सिटी वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक अध्यक्ष पद तो महिला प्रोफेसर के पास है, पर समिति के दो पद पिछले छह महीनों से खाली हैं। यही शून्य Sharda University Harassment जैसे गंभीर मामलों को समय पर हल नहीं होने देता।
शारदा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के हैरेसमेंट से प्रताड़ित होकर छात्रा ने जान दे दी।
यूनिवर्सिटी में छात्रों को इस लेवल तक हैरेस किया जाता है कि उन्हें मजबूरी में ऐसा कदम उठाना पड़ जाता ,
सरकार को ऐसे हत्यारे प्रोफेसरों को जेल में डालना चाहिए।@aajtak @ABPNews @bstvlive pic.twitter.com/JM7vsXjQa6
— Shivam Yadav (@ShivamYadavjii) July 19, 2025
जाँच की वर्तमान स्थिति
- पुलिस FIR: आत्महत्या के लिए उकसाने व SC/ST एक्ट की धाराएँ जोड़ने पर विचार
- विश्वविद्यालय समिति: 15 दिन में प्रारंभिक रिपोर्ट
- राज्य महिला आयोग: स्वतः संज्ञान; नोटिस जारी
Sharda University Harassment: कानूनी प्रावधान और पूर्व मिसालें
भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (उकसाकर आत्महत्या) के तहत दोष सिद्ध होने पर 10 साल तक की सज़ा हो सकती है। Sharda University Harassment केस में अगर उत्पीड़न का पैटर्न साबित होता है तो धारा 354A (यौन उत्पीड़न) भी लग सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने Vishaka Guidelines (1997) में विश्वविद्यालयों को कठोर आंतरिक तंत्र बनाने का निर्देश दिया; वर्ष 2013 के Sexual Harassment of Women at Workplace Act ने इन दिशानिर्देशों को कानून का रूप दिया।
पूर्व घटनाएँ
- 2025 में ओडिशा के बालासोर कॉलेज में छात्रा ने आत्मदाह; मामले ने राष्ट्रीय बहस छेड़ी।
- 2024 में पटना मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर ने कथित रैगिंग‑उत्पीड़न के बाद आत्महत्या की।
इन मामलों ने दिखाया कि विश्वविद्यालय‑स्तरीय उत्पीड़न से निपटने के लिए निरंतर निगरानी तंत्र अनिवार्य है।
Sharda University Harassment: विशेषज्ञों की राय
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. रुचा अरोरा का मानना है कि “चौबीसों घंटे प्रतिस्पर्धी माहौल में रहने वाले छात्र जब Sharda University Harassment जैसी घटनाओं का सामना करते हैं, तो उनका आत्म-संयम तेजी से टूटता है।” वे सुझाव देती हैं कि हर परिसरों में अनिवार्य “काउंसलिंग संवेदनशीलता कार्यक्रम” चलाए जाएँ।
कानूनविद् प्रो. सुधांशु मित्तल के अनुसार, “सिर्फ ICC का गठन काफ़ी नहीं; उसकी कार्यवाही पारदर्शी वेबसाइट पर प्रकाशित होनी चाहिए। वरना Sharda University Harassment जैसे मामलों में ‘जाँच जारी है’ का बहाना बनेगा।”
Sharda University Harassment: छात्र समुदाय की प्रतिक्रिया
घटना के बाद हज़ारों विद्यार्थियों ने यूनिवर्सिटी के मुख्य द्वार पर कैंडल मार्च निकालते हुए #JusticeForJyoti और #ShardaUniversityHarassment हैशटैग ट्रेंड कराया। X (formerly Twitter) प्रदर्शनकारी छात्रों ने माँग रखी—
- दोनों आरोपित प्रोफेसरों की तत्काल गिरफ्तारी
- ICC रिकॉर्ड्स सार्वजनिक करना
- पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवज़ा
कैम्पस में विरोध प्रदर्शन
छात्र संघ United Students Front ने घोषणा की कि यदि 48 घंटे में कार्रवाई नहीं हुई तो अनिश्चितकालीन कक्षाएँ बहिष्कार किया जाएगा। वहीं, कुछ प्रोफेसरों ने Sharda University Harassment को “शर्मनाक, परंतु निजी मामला” बताकर खुद को बचाने की कोशिश की, जिसने छात्रों की नाराज़गी और बढ़ा दी।
Sharda University Harassment: सरकार से अपेक्षित कार्रवाई
राज्य के उपमुख्यमंत्री (शिक्षा) ने घटना पर “गहरा शोक” जताते हुए SIT गठित करने के आदेश दिए हैं। विपक्ष ने इसे “देरी से उठाया गया कदम” बताया। सामाजिक कार्यकर्ता रंजना कुकरेती के अनुसार, “जब तक प्रोफेसरों पर IPC 302 (हत्या) तक जोड़ने पर विचार नहीं होगा, Sharda University Harassment सरीखे जघन्य अपराध रुकेंगे नहीं।”
मामले की संवेदनशीलता और भविष्य के कदम
- शोधाधारित सुधार: UGC को प्रत्येक सत्र में यौन उत्पीड़न‑सुविधा ऑडिट अनिवार्य करना चाहिए।
- पारदर्शिता: सभी ICC फैसलों को RTI के दायरे में रखने पर पुनर्विचार।
- सद्भावना कार्यक्रम: Sharda University Harassment के पीड़ित परिवार की सहायता के लिए ‘Jyoti Memorial Mental‑Health Fund’ बनाने की पहल।
Sharda University Harassment प्रकरण सिर्फ एक छात्रा का व्यक्तिगत संकट नहीं, बल्कि उच्च शिक्षा प्रणाली में मौजूद संरचनात्मक खामियों का चेतावनी‑संकट है। जब तक विश्वविद्यालय प्रशासन, सरकार और समाज मिलकर सख़्त व पारदर्शी व्यवस्था नहीं बनाते, तब तक ऐसे त्रासद हादसे दोहराए जाते रहेंगे