हाइलाइट्स
- गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी के बाद प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री को हटाने संबंधी विधेयक पेश
- 30 दिन से ज्यादा हिरासत पर 31वें दिन स्वतः पद से हट जाएंगे मंत्री और सांसद
- ADR रिपोर्ट: 18वीं लोकसभा के 543 सांसदों में से 251 पर आपराधिक मामले दर्ज
- भाजपा के 240 में से 94 और कांग्रेस के 99 में से 49 सांसदों पर केस
- शिवसेना, डीएमके और सपा जैसे दलों में सबसे ज्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसद
गंभीर आपराधिक मामलों को लेकर संसद में बड़ा कदम
केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में गंभीर आपराधिक मामलों से जुड़े नेताओं को पद से हटाने के लिए तीन अहम विधेयक पेश किए। विधेयक के अनुसार, यदि कोई प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहता है तो 31वें दिन उसे स्वतः पद से हटा दिया जाएगा।
हालांकि, विपक्ष के हंगामे के चलते यह विधेयक फिलहाल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया है। अगर यह कानून बनता है तो कई बड़े नेताओं की सांसदी पर खतरा मंडरा सकता है क्योंकि वर्तमान लोकसभा में ही लगभग आधे सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
कितने सांसदों पर हैं आपराधिक मामले?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, 18वीं लोकसभा के 543 सांसदों में से 251 (46%) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 25 से ज्यादा को अदालत दोषी भी ठहरा चुकी है।
- 2019 लोकसभा में ऐसे सांसद 233 (43%) थे
- 2014 में 185 (34%)
- 2009 में 162 (30%)
- 2004 में 125 (23%)
यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि चुनाव-दर-चुनाव संसद में गंभीर आपराधिक मामलों से जुड़े सांसदों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
किस पार्टी में सबसे ज्यादा दागी सांसद?
भाजपा
सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के 240 विजयी उम्मीदवारों में से 94 (39%) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 63 उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
कांग्रेस
कांग्रेस के 99 सांसदों में से 49 (49%) पर केस हैं। इनमें से 32 उम्मीदवार गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी
सपा के 37 सांसदों में से 21 (56%) पर आपराधिक मामले हैं, जिनमें 17 पर गंभीर आपराधिक केस हैं।
तृणमूल कांग्रेस
टीएमसी के 29 सांसदों में से 13 (44%) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें 7 पर गंभीर आपराधिक मामले हैं।
डीएमके और अन्य दल
- डीएमके के 22 में से 13 (59%) सांसद दागी
- टीडीपी के 16 में से 8 (50%)
- शिवसेना के 7 में से 5 (71%) दागी, जिनमें 4 पर गंभीर आपराधिक मामले
गंभीर आपराधिक मामलों में रहे चर्चित नेता
- अरविंद केजरीवाल: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री 6 महीने हिरासत में रहे और अपने पद पर रहते हुए गिरफ्तार होने वाले पहले सीएम बने।
- वी सेंथिल बालाजी: तमिलनाडु के मंत्री 241 दिन जेल में रहे।
इन उदाहरणों से साफ है कि गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे नेताओं पर अब तक कोई ठोस कानूनी कार्रवाई का प्रावधान नहीं था।
क्या कहते हैं तीनों विधेयक?
केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025
1963 के कानून में संशोधन कर यह प्रावधान जोड़ा जाएगा कि गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार सीएम या मंत्री को 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहने पर पद से हटा दिया जाएगा।
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन कर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में हिरासत की स्थिति में पद से हटाने का प्रावधान किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन कर सीएम और मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में हिरासत की स्थिति में हटाने की व्यवस्था की जाएगी।
लोकतंत्र और आपराधिक राजनीति
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यह सबसे बड़ी चुनौती है कि संसद और विधानसभाओं में गंभीर आपराधिक मामलों से जुड़े लोग जनता के प्रतिनिधि बनकर कानून बनाने बैठते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक यदि कानून बनता है तो राजनीति में शुचिता और पारदर्शिता की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित होगा।
संसद में पेश किया गया यह विधेयक केवल राजनीतिक हलचल ही नहीं बल्कि लोकतंत्र की गुणवत्ता तय करने वाला बड़ा कदम है। गंभीर आपराधिक मामलों से जुड़े नेताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए, यह कानून भारतीय राजनीति को नई दिशा दे सकता है। अब देखना होगा कि विपक्ष और सत्ता पक्ष मिलकर इसे पास कर पाते हैं या यह केवल कागजों में सिमटकर रह जाएगा।