VIDEO: मैनपुरी बिजली विभाग विवाद: सरकारी गाड़ी में बीयर पीते पकड़े गए SDO, जनता में गुस्सा

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मैनपुरी बिजली विभाग विवाद ने पूरे जिले में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में बिजली विभाग के SDO सुखबीर सिंह को सरकारी बोलेरो में अपने एक कर्मचारी के साथ बैठकर बीयर पीते हुए देखा गया। इस घटना ने न केवल जनता बल्कि विभागीय कर्मचारियों में भी रोष पैदा कर दिया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब अधिकारी खुद नियम तोड़ेंगे तो आम जनता से अनुशासन की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

हाइलाइट्स

  • मैनपुरी बिजली विभाग विवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल, SDO पर कार्रवाई की मांग।
  • सरकारी बोलेरो में बैठकर बीयर पीते दिखे SDO सुखबीर सिंह और उनका स्टाफ।
  • शराब पीकर ड्यूटी करने के आरोप से जनता और विभागीय कर्मचारी नाराज।
  • ठाकुर जाति का हवाला देकर अपशब्द कहने के भी आरोप।
  • जिला प्रशासन पर सवाल, लोग कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

मैनपुरी बिजली विभाग विवाद का वीडियो वायरल

मैनपुरी जिले में मैनपुरी बिजली विभाग विवाद तब चर्चा का विषय बना जब एक वायरल वीडियो ने सभी को चौंका दिया। वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि बिजली विभाग के SDO सुखबीर सिंह अपने सरकारी बोलेरो वाहन में बैठे हैं, और उनके पास उनका एक कर्मचारी भी मौजूद है। दोनों खुलेआम बीयर की बोतल पकड़े नजर आते हैं। सरकारी वाहन में बैठकर शराब पीना न केवल सरकारी नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह जनता के बीच गलत संदेश भी देता है।

जनता का गुस्सा और भरोसे पर चोट

मैनपुरी बिजली विभाग विवाद ने स्थानीय लोगों के भरोसे को गहरा आघात पहुंचाया है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पहले ही बिजली विभाग की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट रहे हैं, क्योंकि अक्सर बिजली कटौती और मीटर रीडिंग में गड़बड़ियों की शिकायत मिलती रहती है। अब जब विभाग के जिम्मेदार अधिकारी पर शराब पीने और ड्यूटी पर नशे में आने के आरोप लगे हैं, तो लोगों का गुस्सा स्वाभाविक है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे पहले ही SDO की कार्यशैली से परेशान हैं। उनका आरोप है कि सुखबीर सिंह अक्सर जातिगत आधार पर अपशब्द बोलते हैं और अपने पद का दुरुपयोग करते हैं।

विभागीय कर्मचारियों में भी रोष

सिर्फ जनता ही नहीं, विभागीय कर्मचारियों में भी मैनपुरी बिजली विभाग विवाद को लेकर असंतोष देखा जा रहा है। कई कर्मचारी अनौपचारिक रूप से यह कह चुके हैं कि SDO के नशे में रहने की वजह से विभागीय कामकाज प्रभावित होता है। कुछ कर्मचारियों का कहना है कि ऐसे माहौल में काम करना मुश्किल हो गया है, लेकिन कोई भी अधिकारी के खिलाफ खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।

शराब और सरकारी जिम्मेदारी का टकराव

सरकारी पदों पर बैठे लोगों से जनता अपेक्षा करती है कि वे कानून का पालन करेंगे और समाज के लिए उदाहरण पेश करेंगे। लेकिन मैनपुरी बिजली विभाग विवाद ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जिले में सरकारी कर्मचारियों पर कोई सख्त निगरानी है? शराब पीकर ड्यूटी करने वाले अधिकारी पर कोई त्वरित कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे जनता का आक्रोश और बढ़ रहा है।

कानून का उल्लंघन और नैतिक जिम्मेदारी

भारत में सरकारी वाहन में शराब पीना न केवल कानूनी अपराध है बल्कि यह आचरण नियमों का भी उल्लंघन है। मैनपुरी बिजली विभाग विवाद में वायरल वीडियो सबूत के तौर पर पर्याप्त है कि अधिकारी ने नियमों की अनदेखी की। जानकारों का कहना है कि इस मामले में विभागीय जांच के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी जरूरी है।
वकीलों का मानना है कि यदि कोई सरकारी अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करता है और खुलेआम शराब पीते हुए पकड़ा जाता है, तो यह आचरण नियमावली के तहत गंभीर अपराध है।

सोशल मीडिया पर लोगों की राय

मैनपुरी बिजली विभाग विवाद सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर लोगों ने वीडियो को शेयर करते हुए जिला प्रशासन से सवाल पूछा है। कुछ लोगों का कहना है कि यह कोई नया मामला नहीं है, बल्कि कई अधिकारी इसी तरह जनता के पैसों से खरीदी गई सुविधाओं का गलत उपयोग करते हैं।
लोगों का कहना है कि अगर इस बार कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो जिले के प्रशासनिक तंत्र पर लोगों का भरोसा पूरी तरह टूट जाएगा।

जातिगत टिप्पणियों के आरोप ने बढ़ाई आग

मैनपुरी बिजली विभाग विवाद में सिर्फ शराब पीने का मामला ही नहीं, बल्कि जातिगत अपमान के आरोप भी सामने आए हैं। कई लोगों का कहना है कि SDO सुखबीर सिंह अपनी जाति का हवाला देकर लोगों को डराने की कोशिश करते हैं। इससे समाज में तनाव की स्थिति पैदा हो रही है। ऐसे में इस मामले को केवल एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दा भी माना जा रहा है।

जिला प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि मैनपुरी बिजली विभाग विवाद सामने आने के बाद भी जिला प्रशासन चुप क्यों है? वीडियो वायरल होने के बावजूद अब तक न तो कोई जांच कमेटी बैठाई गई है और न ही कोई सख्त कदम उठाया गया है। यह चुप्पी जनता को और ज्यादा नाराज कर रही है। लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या बड़े अधिकारियों की पकड़ इतनी मजबूत है कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती।

जनता की मांग: निष्पक्ष जांच और कार्रवाई

लोगों का कहना है कि मैनपुरी बिजली विभाग विवाद का निष्पक्ष समाधान तभी संभव है जब अधिकारी को तुरंत सस्पेंड कर दिया जाए और जांच कमेटी बनाई जाए। ग्रामीणों का कहना है कि वे इस मुद्दे को उच्च स्तर तक ले जाएंगे ताकि जिले में अनुशासन बहाल हो सके।

प्रशासनिक ढांचे में जवाबदेही की जरूरत

मैनपुरी बिजली विभाग विवाद ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि प्रशासनिक ढांचे में जवाबदेही की कमी है। जब तक अधिकारी अपने पद का सही उपयोग नहीं करेंगे और कानून का पालन नहीं करेंगे, तब तक जनता का भरोसा टूटता रहेगा। इस घटना से स्पष्ट है कि जिला प्रशासन को पारदर्शिता और अनुशासन पर अधिक जोर देना होगा।

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