मैडम का गुस्सा तूफान बना, मासूम बच्चों पर बरसी बेरहमी… वीडियो ने मचा दी खलबली

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हाइलाइट्स

  • स्कूल पिटाई का वीडियो वायरल, मैडम पर गंभीर आरोप
  • छोटे बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की घटना ने स्थानीय लोगों को झकझोर दिया
  • अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की
  • पुलिस ने वीडियो के आधार पर जांच शुरू की
  • विशेषज्ञों ने इसे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा खतरा बताया

जौनपुर के स्कूल में मैडम का पारा हाई, वायरल वीडियो ने बढ़ाई चिंता

जौनपुर के बदलापुर थाना क्षेत्र के भलुआहीं गांव में एक पब्लिक स्कूल से सामने आए वीडियो ने स्कूल पिटाई के पुराने और खतरनाक चलन को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। वीडियो में एक मैडम छोटे बच्चों को लगातार मारती दिखाई दे रही हैं। वह बच्चों पर चिल्लाती भी सुनाई देती हैं, मानो वे अपनी सारी झुंझलाहट उसी क्लासरूम में निकाल रही हों। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है और लोग इस घटना को लेकर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।

मामले की गंभीरता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि वीडियो में बच्चे बेहद छोटे नजर आ रहे हैं। आमतौर पर इस उम्र में बच्चे स्कूल से डर नहीं, सीखने की उम्मीद लेकर आते हैं, लेकिन यहां माहौल इसके बिल्कुल उलट दिखाई देता है। कई अभिभावकों ने इसे सीधी-सीधी स्कूल पिटाई की घोर निंदा बताते हुए कहा कि यह बच्चों के भविष्य पर सवाल उठाने वाली घटना है।

 वीडियो में साफ दिखी मारपीट, मैडम की आवाज से झलका गुस्सा

 बच्चों पर गिरी डंडे और थप्पड़ों की बारिश

वीडियो में दिख रहा है कि मैडम एक के बाद एक बच्चों को झटका देकर खड़ा करती हैं और फिर दो से तीन बार उन्हें थप्पड़ या डंडे से मारती हैं। कई बच्चे डर के कारण रो रहे हैं, जबकि कुछ घबराहट में अपनी सीट पर सिकुड़े बैठे नजर आते हैं। सोशल मीडिया पर वीडियो देखने वाले यूजर्स ने इस व्यवहार को स्पष्ट रूप से स्कूल पिटाई की क्रूर मिसाल बताया।

 “सारी जिम्मेदारी क्या मेरी है?” मैडम की चिल्लाहट बनी सवाल

वीडियो में मैडम की यह लाइन भी रिकॉर्ड हुई है कि “सारी जिम्मेदारी क्या मेरी है?” यह एक तरह से संकेत देता है कि शायद उनकी निजी खीझ बच्चों पर उतर आई हो। लोगों का कहना है कि यह स्कूल पिटाई किसी अनुशासन का तरीका नहीं बल्कि बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार है।

 अभिभावकों में खौफ और गुस्सा, स्कूल प्रशासन से जवाबदेही की मांग

स्कूल पहुंचकर अभिभावकों ने जताया विरोध

वीडियो वायरल होने के बाद कई अभिभावक तुरंत स्कूल पहुंच गए। उनका कहना था कि वे अपने बच्चों को पढ़ने भेजते हैं, मार खाने नहीं। अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन से स्पष्ट जवाब मांगा और पूछा कि इतने छोटे बच्चों के साथ ऐसी स्कूल पिटाई कैसे की जा सकती है।

कुछ अभिभावकों ने बताया कि पहले भी बच्चों ने घर आकर डर के साथ बताया था कि क्लास में मार पड़ती है, लेकिन उन्हें लगा कि बच्चे बढ़ा-चढ़ाकर कह रहे होंगे। अब वीडियो सामने आया तो सच्चाई खुद-ब-खुद स्पष्ट हो गई।

 स्कूल प्रशासन ने दी सफाई

स्कूल प्रबंधन का कहना है कि उन्हें घटना की जानकारी मिलते ही आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि अभिभावकों का आरोप है कि यह जवाब काफी अधूरा है और जब तक कार्रवाई नहीं होती, ऐसी स्कूल पिटाई जारी रहने का खतरा बना रहेगा।

पुलिस ने ली संज्ञान, जांच जारी

वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की है। स्थानीय थाना प्रभारी के अनुसार, वीडियो की सत्यता की जांच की जा रही है और अगर बच्चों के साथ मारपीट साबित होती है तो संबंधित मैडम पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बाल संरक्षण कानूनों के अनुसार स्कूल पिटाई एक दंडनीय अपराध है, खासकर तब जब इसमें छोटे बच्चे शामिल हों।

पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही स्कूल प्रशासन और वीडियो बनाने वाले व्यक्ति से जरूरी जानकारी मिल जाएगी। मामले की जांच तेज की जा रही है ताकि बच्चों के हित सुरक्षित रह सकें।

 विशेषज्ञों की राय, बच्चों पर गहराता तनाव

मनोवैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर लगातार काम करने वाले विशेषज्ञों ने कहा है कि इस तरह की स्कूल पिटाई बच्चों की आत्मविश्वास और व्यक्तित्व पर लंबे समय तक असर छोड़ती है। कई बार बच्चे स्कूल से डरने लगते हैं, पढ़ाई से दूरी बना लेते हैं या किसी भी अधिकारी व्यक्ति से बात करने से घबराते हैं।

 “यह सिर्फ पिटाई नहीं, मानसिक उत्पीड़न है”

एक बाल मनोवैज्ञानिक ने कहा कि लगातार डांट और मार से बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। छोटे बच्चों पर इसका असर और भी गहरा होता है क्योंकि वे अपने डर को ठीक से व्यक्त भी नहीं कर पाते। इसलिए हर तरह की स्कूल पिटाई पर कड़ी रोक जरूरी है।

 भारत में स्कूल पिटाई पर कानून और नियम

भारत में बच्चों को शारीरिक दंड देना कानूनन अपराध है। शिक्षा के अधिकार कानून में साफ लिखा है कि किसी भी बच्चे को स्कूल में शारीरिक सजा नहीं दी जा सकती। इसके बावजूद कई जगहों पर ऐसी घटनाएँ सामने आती रहती हैं, जो बताती हैं कि कानून और जमीन पर लागू व्यवस्था के बीच अभी भी बड़ा अंतर है।

बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी सुधार

विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों में शिक्षकों को प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि वे बच्चों को सकारात्मक तरीके से अनुशासन सिखाने में सक्षम हों। स्कूल पिटाई का जमाना अब खत्म हो चुका है और इसके स्थान पर सकारात्मक व्यवहार और सहयोगात्मक शिक्षा पद्धति को अपनाने की जरूरत है।

जौनपुर का यह मामला एक बार फिर याद दिलाता है कि स्कूल पिटाई एक खतरनाक और अमानवीय प्रथा है। वीडियो ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। जब तक स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक ऐसे मामले सामने आते रहेंगे। उम्मीद है कि इस घटना के बाद जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई होगी और बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी।

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