हाइलाइट्स
- विद्यालय निरीक्षण रिपोर्ट के लिए 18 मंडलों में 36 वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती की गई है
- एक से 14 अगस्त के बीच जिलेवार स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा
- निरीक्षण में पीएम श्री स्कूल, केजीबीवी, परिषदीय व सहायता प्राप्त विद्यालय शामिल होंगे
- निरीक्षण एप पर रिपोर्ट अपलोड कर जिला व मंडल अधिकारी करेंगे आवश्यक सुधार
- विद्यालयों के निर्माण, नामांकन, फर्नीचर और परिवार सर्वे की स्थिति पर विशेष ध्यान
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता, बुनियादी ढांचे और विभिन्न योजनाओं की जमीनी सच्चाई को परखने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया है। विद्यालय निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करने के उद्देश्य से, समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत पूरे प्रदेश के 18 मंडलों में 36 वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती की गई है। ये अधिकारी 1 से 14 अगस्त के बीच विद्यालयों का स्थलीय निरीक्षण करेंगे और अपनी विस्तृत रिपोर्ट “प्रेरणा निरीक्षण एप” पर अपलोड करेंगे।
समग्र शिक्षा के तहत 18 मंडलों में नियुक्त हुए 36 अधिकारी
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा के नेतृत्व में यह विस्तृत निरीक्षण योजना बनाई गई है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के बेसिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की वर्तमान स्थिति का यथार्थ मूल्यांकन करना है। प्रत्येक मंडल में दो अधिकारी तैनात किए गए हैं जो दो-दो जिलों में जाकर निरीक्षण करेंगे।
निरीक्षण के दौरान जिन विद्यालयों का दौरा अनिवार्य है, उनमें शामिल हैं:
- कम से कम 1 पीएम श्री विद्यालय
- 1 केजीबीवी (कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय)
- 1 परिषदीय प्राथमिक विद्यालय
- 1 उच्च प्राथमिक विद्यालय
- 1 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय
- 1 इंटर कॉलेज
- 1 को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्र
इस चयन से स्पष्ट है कि रिपोर्ट में सभी स्तर के विद्यालयों की स्थिति समाहित होगी और विद्यालय निरीक्षण रिपोर्ट एक समग्र दस्तावेज बनेगा।
निरीक्षण में किन बिंदुओं की होगी समीक्षा?
अधिकारियों को निरीक्षण के दौरान सिर्फ भवन या पठन-पाठन की स्थिति ही नहीं देखनी है, बल्कि उन्हें निम्नलिखित महत्वपूर्ण पहलुओं का गहन मूल्यांकन करना होगा:
विद्यालय भवन एवं निर्माण स्थिति
- स्वीकृत निर्माण कार्यों की प्रगति
- पुराने एवं जर्जर विद्यालय भवनों की स्थिति
- निर्माण सामग्रियों की गुणवत्ता और समयबद्धता
नामांकन और उपस्थिति
- नवीन छात्रों का नामांकन
- छात्रों की उपस्थिति दर
- परिवार सर्वे की स्थिति, जिससे यह पता चले कि किन बच्चों को अभी स्कूल से जोड़ा जाना बाकी है
शैक्षिक गुणवत्ता
- कक्षा में शिक्षण प्रक्रिया
- उपलब्ध शिक्षकों की संख्या
- प्रेरणा सामग्री और टीएलएम (शैक्षिक साधन) की उपलब्धता
भौतिक संसाधन
- फर्नीचर, डेस्क-बेंच की संख्या
- शौचालय और पेयजल की स्थिति
- स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर और डिजिटल लर्निंग संसाधनों की उपलब्धता
रिपोर्टिंग प्रक्रिया और सुधारात्मक कदम
निरीक्षण समाप्त होने के बाद सभी अधिकारियों को अपनी विद्यालय निरीक्षण रिपोर्ट प्रेरणा निरीक्षण एप पर अपलोड करनी होगी। इस रिपोर्ट में निरीक्षण के हर बिंदु का फोटो सहित दस्तावेजी प्रमाण होना जरूरी है।
रिपोर्ट के आधार पर संबंधित जिलाधिकारी, बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) और मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को आवश्यक सुधारात्मक कार्यवाही करनी होगी। यह कार्यवाही एक निर्धारित समय-सीमा के भीतर की जाएगी, ताकि अगले सत्र से पहले सभी कमियों को दूर किया जा सके।
जमीनी सच्चाई से सरकार को मिलेगी स्पष्ट तस्वीर
हाल के वर्षों में सरकार ने स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं जैसे:
- पीएम श्री योजना
- निपुण भारत मिशन
- डिजिटल शिक्षा अभियान
- केजीबीवी और नवोदय विस्तार
लेकिन इन योजनाओं की जमीनी क्रियान्वयन स्थिति पर वास्तविक रूप से कम जानकारी सामने आती है। ऐसे में यह विद्यालय निरीक्षण रिपोर्ट शासन को पारदर्शी और तथ्यात्मक दृष्टिकोण देगी। इससे यह तय होगा कि बजट का प्रयोग सही दिशा में हुआ या नहीं।
आने वाले सुधारों की नींव होगी यह रिपोर्ट
यह पहली बार नहीं है जब सरकारी विद्यालयों का निरीक्षण किया जा रहा है, लेकिन इस बार जो बात इस अभियान को विशेष बनाती है वह है इसकी केंद्रित और डेटा-संचालित प्रकृति। एक एप आधारित रिपोर्टिंग प्रणाली से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी।
यदि इस विद्यालय निरीक्षण रिपोर्ट को गंभीरता से लागू किया गया और निष्कर्षों के आधार पर योजनाओं में बदलाव किया गया, तो आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश के लाखों बच्चों को एक बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था का लाभ मिल सकेगा।