हाइलाइट्स
- School Girl Harassment का शर्मनाक मामला सामने आया, छात्रा पर रास्ते में किया गया हमला
- राह चलते लोगों की संवेदनहीनता, मदद की बजाय वीडियो बनाते रहे मनचले
- घटना के बाद से छात्रा मानसिक रूप से है डरी-सहमी, स्कूल जाने से कर रही है इंकार
- यूपी में महिला सुरक्षा के दावों पर फिर खड़े हुए सवाल
- पुलिस ने दर्ज की एफआईआर, पर कार्रवाई की रफ्तार पर उठ रहे हैं सवाल
घटना का विवरण: सड़क पर घटी शर्मनाक वारदात
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में School Girl Harassment की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। घटना तब घटी जब एक नाबालिग छात्रा, प्रतिदिन की तरह अपने स्कूल जा रही थी। तभी रास्ते में तीन युवकों ने उसे रोक लिया, छींटाकशी की, और फिर उसे जबरन पकड़कर दबोच लिया।
छात्रा की चीख-पुकार सुनकर भी किसी राहगीर ने मदद नहीं की। सबसे शर्मनाक बात यह रही कि कुछ युवक वहां खड़े होकर इस School Girl Harassment की वीडियो बनाते रहे।
छात्रा की आपबीती: “मैं बस स्कूल जाना चाहती थी”
घटना के बाद पीड़िता का बयान सामने आया है, जिसमें वह कहती है:
“मैं हर रोज इस रास्ते से स्कूल जाती हूं, लेकिन आज कुछ लड़के अचानक आकर मुझे घेर लिए। उन्होंने मेरे कपड़े खींचे, गंदे इशारे किए और वीडियो बनाने लगे। मैं चिल्लाई, रोई, पर कोई मदद को नहीं आया। किसी तरह खुद को छुड़ाकर भागी। अब मैं स्कूल नहीं जाना चाहती।”
इस School Girl Harassment केस ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है। छात्रा का परिवार मानसिक रूप से टूट चुका है, और समाज में व्याप्त डर और असंवेदनशीलता की ओर इशारा कर रहा है।
पुलिस की भूमिका: एफआईआर दर्ज लेकिन गिरफ्तारी शून्य
घटना की जानकारी मिलते ही परिजन थाने पहुंचे और मामला दर्ज करवाया। School Girl Harassment की एफआईआर दर्ज की गई है लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बावजूद कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
पुलिस का बयान कुछ यूं है:
“हम मामले की जांच कर रहे हैं। वीडियो फुटेज जुटाए जा रहे हैं और आरोपियों की पहचान की जा रही है। जल्द ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
लेकिन सवाल उठता है कि जब वीडियो सबूत के रूप में सामने है, तो गिरफ्तारियां क्यों नहीं हो रही हैं?
मनचलों ने स्कूल जाती छात्रा को रास्ते में दबोच लिया,
छात्रा चिल्लाती रही और मनचले वीडियो बनाते रहे,
डर से घबराई छात्रा किसी तरह जान बचाकर भागी,यूपी में हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और है,
महिला सुरक्षा सिर्फ योगी के प्रचार तंत्र में है, pic.twitter.com/alKlT4TRkZ— Saba Khan (@sabakhan21051) July 12, 2025
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सोशल मीडिया पर उबाल
School Girl Harassment की यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। #JusticeForSchoolGirl ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर और फेसबुक पर लोग सवाल पूछ रहे हैं –
“क्या यही है ‘बेटी बचाओ’ का उत्तर प्रदेश मॉडल?”
विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा:
“यह घटना योगी सरकार के महिला सुरक्षा के खोखले दावों को उजागर करती है। हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और हैं।”
महिला सुरक्षा: आंकड़े और सच्चाई
उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर कई घोषणाएं की जाती हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। NCRB के 2024 के आंकड़ों के अनुसार:
- हर दिन औसतन 140 महिलाओं के खिलाफ अपराध दर्ज होते हैं
- School Girl Harassment के मामलों में पिछले एक साल में 22% की बढ़ोतरी
- 70% मामलों में आरोपी खुलेआम घूमते हैं और पीड़िताओं को धमकाते रहते हैं
ये आंकड़े न केवल डराते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि महिला सुरक्षा सिर्फ कागज़ों और प्रचार तंत्र तक सीमित है।
मनोवैज्ञानिक विश्लेषण: पीड़िता की मानसिक स्थिति
मनोवैज्ञानिक डॉ. रेखा गुप्ता के अनुसार:
“इस तरह के School Girl Harassment के मामलों का असर बालिकाओं की पढ़ाई, आत्मविश्वास और सामाजिक सहभागिता पर बहुत गहरा पड़ता है। कई लड़कियां घर से बाहर निकलने से डरने लगती हैं, और उनके सपनों का गला घोंट दिया जाता है।”
समाज की भूमिका: कब जागेगा ज़मीर?
यह घटना सिर्फ एक School Girl Harassment का मामला नहीं है, बल्कि समाज के चेहरे पर एक तमाचा है। जिस समाज में बच्ची की मदद करने के बजाय वीडियो बनाना ज्यादा ज़रूरी समझा जाए, वहां संवेदनाएं मर चुकी हैं।
हर व्यक्ति को इस तरह की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। हर गवाह की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह अपराध रोकने की कोशिश करे, न कि उसे कैमरे में कैद करे।
समाधान की राह: शिक्षा, जागरूकता और त्वरित न्याय
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है:
- स्कूलों और मोहल्लों में School Girl Harassment पर जागरूकता अभियान चलाना
- आरोपियों पर तत्काल गिरफ्तारी और Fast Track कोर्ट के जरिए सजा
- सीसीटीवी और महिला हेल्पलाइन की तैनाती में पारदर्शिता
- स्थानीय पुलिस की जवाबदेही तय करना
क्या वाकई महिलाएं सुरक्षित हैं?
उत्तर प्रदेश की यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि महिला सुरक्षा केवल भाषणों और चुनावी नारों का हिस्सा बनकर रह गई है। जब तक प्रशासन, समाज और न्यायिक तंत्र मिलकर ईमानदारी से काम नहीं करेंगे, तब तक School Girl Harassment जैसी घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं।
आज ज़रूरत है एकजुट होकर ऐसी सोच और ऐसे अपराधियों के खिलाफ खड़े होने की, ताकि हर बेटी निडर होकर स्कूल जा सके।