यह अचानक मृत्यु नहीं थी.…’ डॉक्टर ने खोले सत्यपाल मलिक के अंतिम दिनों के राज

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हाइलाइट्स

  • सत्यपाल मलिक का निधन दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में हुआ, 79 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट में कहा – ‘यह अपूरणीय क्षति है’
  • डॉक्टरों के मुताबिक सेप्सिस, किडनी फेलियर, और सांस की गंभीर तकलीफ बनी मृत्यु का कारण
  • अंतिम 2 महीनों से लगातार वेंटिलेटर पर थे, कई बार डायलिसिस और साइटोसॉर्ब थेरेपी दी गई
  • लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे – डायबिटीज, निमोनिया, हाइपोथायरायडिज्म जैसी समस्याएं रही प्रमुख

प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक

सत्यपाल मलिक का निधन 5 अगस्त को दोपहर 1:10 बजे हुआ। इस दुखद समाचार के बाद पूरे देश की राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर अपनी संवेदना प्रकट करते हुए लिखा –

“श्री सत्यपाल मलिक जी के निधन से दुखी हूं। उन्होंने देश की सेवा में बड़ा योगदान दिया। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं। ऊं शांति।”

सत्यपाल मलिक एक ऐसा नाम था, जो जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में बतौर राज्यपाल सेवाएं देने के लिए जाना जाता है। उनके निधन से न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी एक शून्यता का अनुभव हो रहा है।

सत्यपाल मलिक का जीवन और योगदान

सत्यपाल मलिक का निधन सिर्फ एक पूर्व राज्यपाल के निधन के रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि वह एक विचारधारा, एक वैचारिक प्रतिबद्धता और ईमानदार प्रशासन के प्रतीक थे। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से आने वाले मलिक ने छात्र राजनीति से लेकर राज्यपाल बनने तक का लंबा और प्रेरणादायक सफर तय किया।

प्रमुख पद और सेवाएं:

  • जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल (2018-2019)
  • गोवा व मेघालय के राज्यपाल
  • विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े रहते हुए किसानों और युवाओं की आवाज बने
  • भ्रष्टाचार और नीति पक्षधरता पर खुलकर बोलने वाले नेताओं में एक

सत्यपाल मलिक का निधन कैसे हुआ? डॉक्टरों ने बताया पूरा विवरण

दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML Hospital) के डॉक्टर हिमांशु महापात्रा ने मीडिया को बताया कि सत्यपाल मलिक का निधन अचानक नहीं हुआ, बल्कि एक लंबी और जटिल चिकित्सकीय प्रक्रिया का परिणाम था।

कब भर्ती हुए थे अस्पताल में?

  • 11 मई 2025 की रात को उन्हें मूत्रमार्ग संक्रमण (UTI) और सीने में इन्फेक्शन के कारण भर्ती कराया गया।
  • भर्ती के समय उनकी स्थिति नाजुक थी और उन्हें सेप्टीसीमिया, यानी खून में संक्रमण की गंभीर स्थिति से जूझना पड़ रहा था।

किन-किन बीमारियों से जूझ रहे थे सत्यपाल मलिक?

सत्यपाल मलिक का निधन कई बीमारियों की संगठित चपेट में आने के कारण हुआ। डॉक्टरों ने विस्तार से बताया कि –

1. डायबिटीज (मधुमेह)

जिसके चलते उनके इम्यून सिस्टम पर प्रभाव पड़ा और संक्रमण को रोक पाना मुश्किल हो गया।

2. हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप)

जिसके कारण दवाएं भी सीमित रूप में दी जा सकती थीं।

3. गंभीर निमोनिया

फेफड़ों की पुरानी समस्याओं के कारण संक्रमण बढ़ता गया।

4. हाइपोथायरायडिज्म

थायरॉयड की कमी ने शरीर की ऊर्जा और प्रतिक्रिया प्रणाली को कमजोर किया।

इलाज की जटिल प्रक्रिया और आखिरी समय की स्थिति

डॉक्टरों के मुताबिक, मलिक की हालत को नियंत्रित करने के लिए कई मेडिकल प्रक्रियाएं अपनाई गईं:

एंटीबायोटिक और मेनिन्जाइटिस का इलाज

  • उन्हें गंभीर संक्रमण के लिए विभिन्न एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं।
  • एक समय उन्हें शिशुओं में पाई जाने वाली मेनिन्जाइटिस जैसी स्थिति का इलाज भी देना पड़ा।

वेंटिलेटर और ट्रेकियोस्टोमी

  • 3-4 हफ्ते पहले उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
  • ट्रेकियोस्टोमी की गई ताकि उन्हें सांस लेने में सुविधा मिल सके।

डायलिसिस और साइटोसॉर्ब थेरेपी

  • किडनी फेल हो जाने के बाद डायलिसिस शुरू किया गया।
  • Cytosorb Therapy के माध्यम से खून को साफ करने की कोशिशें की गईं।

अंतिम 10 दिन – गंभीर स्थिति

  • अंतिम दिनों में उनका ब्लड प्रेशर लगातार गिर रहा था
  • दवाओं के सहारे उसे स्थिर रखने की कोशिश की गई, लेकिन संक्रमण दवाओं पर हावी हो गया।

परिवार और समर्थकों को पहले ही कर दी गई थी सूचना

डॉ. हिमांशु ने बताया कि परिवार को स्थिति की गंभीरता से पहले ही अवगत कराया जा चुका था।

“मरीज की स्थिति लाइलाज थी। हमने परिवार को स्थिति स्पष्ट रूप से समझाई थी और पूर्वानुमान साझा किया था।”

राजनीतिक हलकों में गूंजा शोक

सत्यपाल मलिक का निधन पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, और RJD समेत कई दलों ने शोक जताया। वरिष्ठ नेता शरद पवार ने कहा –

“हमने एक सच्चा राष्ट्रवादी और किसानों का सिपाही खो दिया है।”

वहीं प्रियंका गांधी ने कहा –

“उनकी निडरता और स्पष्टवादिता हमेशा प्रेरणादायक रहेगी।”

सत्यपाल मलिक का निधन केवल एक राजनीतिक हस्ती के देहांत की खबर नहीं है, बल्कि यह उस विचार और सेवा की समाप्ति है जो वर्षों तक जनता की आवाज बनकर बोलता रहा। उनकी नीतियां, स्पष्ट दृष्टिकोण और आमजन के लिए उठाए गए कदम उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक यादगार बनाए रखेंगे।

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