Sanitary Pad

औरतों को मिले सैनिटरी पैड पर छपी थी राहुल गांधी की तस्वीर, लेकिन चेहरा उस जगह क्यों छापा गया – कांग्रेस से जवाब मांग रहा है देश!

Latest News

हाइलाइट्स

  • Sanitary Pad को लेकर कांग्रेस की महिला कल्याण योजना पर उठे गंभीर सवाल
  • कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने महिलाओं को मुफ्त Sanitary Pad बांटे, जिन पर राहुल गांधी की फोटो छपी थी
  • सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पैड की फोटो वाला वीडियो, भाजपा नेताओं ने कहा “घिनौनी राजनीति”
  • कई महिला संगठनों ने जताई आपत्ति, बोले- महिला सम्मान से खिलवाड़ है ये प्रचार
  • कांग्रेस बोली- उद्देश्य महिलाओं में जागरूकता फैलाना था, किसी भावना को ठेस पहुंचाना नहीं

Sanitary Pad पर राहुल गांधी की तस्वीर: महिला कल्याण या प्रचार की राजनीति?

राजनीति और प्रचार के साधनों में कोई सीमा नहीं बची है, ऐसा एक बार फिर साबित हुआ जब Sanitary Pad पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तस्वीर वायरल हुई। कांग्रेस द्वारा महिलाओं के बीच बाँटे गए इन सैनिटरी नैपकिन्स ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है—क्या यह महिला स्वास्थ्य के नाम पर एक संवेदनहीन राजनीतिक स्टंट है, या सचमुच एक कल्याणकारी पहल?

Sanitary Pad बांटने की योजना: क्या था मकसद?

कांग्रेस के महिला मोर्चा द्वारा हाल ही में ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के लिए मुफ्त Sanitary Pad वितरित करने की योजना चलाई गई। इसका उद्देश्य महिला स्वास्थ्य और माहवारी जागरूकता बढ़ाना बताया गया। लेकिन जब इन पैड्स पर राहुल गांधी की तस्वीर के साथ उनका चेहरा भी पैड पर ही छपा हुआ दिखाई दिया, तो सोशल मीडिया पर एक तूफान खड़ा हो गया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

एक स्थानीय नेता द्वारा पैड बांटते हुए वीडियो वायरल होते ही ट्विटर (अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर यूजर्स भड़क गए। खासकर Sanitary Pad पर राहुल गांधी का चेहरा देखकर लोगों ने नाराजगी जताई। कई यूजर्स ने इसे “महिला सम्मान के साथ भद्दा मजाक” करार दिया।

राजनीतिक प्रतिक्रिया: भाजपा का हमला

भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस पूरे प्रकरण पर तीखी प्रतिक्रिया दी। भाजपा प्रवक्ता ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा:

“महिलाओं के Sanitary Pad पर नेता का चेहरा छापना किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। ये महिला सम्मान के साथ अमर्यादित खिलवाड़ है। कांग्रेस को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।”

महिला संगठनों की राय: सम्मान या अपमान?

देश के विभिन्न महिला संगठनों ने इस पूरे अभियान को “असवेदनशील” बताया है। महिला अधिकार कार्यकर्ता कविता जोशी कहती हैं:

Sanitary Pad एक संवेदनशील वस्तु है, उस पर किसी पुरुष राजनेता की तस्वीर छापना अस्वीकार्य है। इससे महिलाओं की गरिमा आहत होती है।”

कांग्रेस का बचाव: ‘बुरा मत मानो, स्वास्थ्य का सवाल है’

विवाद के बाद कांग्रेस ने सफाई दी कि यह योजना महिला स्वास्थ्य के हित में थी और उसका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने बयान में कहा:

Sanitary Pad पर तस्वीर का मकसद था कि महिलाओं तक सही जानकारी पहुंचे और वे इसका उपयोग करने में संकोच न करें। इसे किसी और दृष्टिकोण से देखना दुर्भाग्यपूर्ण है।”

Sanitary Pad और माहवारी शिक्षा: क्यों जरूरी है जागरूकता?

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लाखों महिलाएं Sanitary Pad का उपयोग नहीं करतीं। इसका एक बड़ा कारण है शर्म और जानकारी का अभाव। इस संदर्भ में कांग्रेस की यह पहल एक सकारात्मक कदम हो सकती थी, यदि इसे संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया जाता।

कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण

कई वकीलों ने भी इस विवाद को लेकर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट की वकील रीमा मिश्रा के अनुसार:

Sanitary Pad जैसे निजी उत्पाद पर राजनीतिक प्रचार छापना भारत के ‘Product Advertisement Ethics’ के खिलाफ हो सकता है।”

जनता की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया से ग्राउंड रिपोर्ट तक

ग्रामीण क्षेत्रों में जहां यह योजना चलाई गई, वहां की कई महिलाओं ने बताया कि वे खुद असहज हो गईं जब उन्हें राहुल गांधी के चेहरे वाले Sanitary Pad मिले। कुछ महिलाएं इसे उपयोग करने से भी हिचकिचाईं।

एक महिला ने बताया:

“हमने कभी सोचा भी नहीं था कि कोई पुरुष नेता हमारे मासिक धर्म से जुड़ी चीज़ों पर छप जाएगा। ये थोड़ा अजीब है।”

राजनीति में प्रचार की सीमाएं: कहां खींची जाए रेखा?

Sanitary Pad जैसे स्वास्थ्य उपकरणों का राजनीतिकरण एक खतरनाक चलन को जन्म दे सकता है। इससे न केवल महिलाओं की निजता और सम्मान प्रभावित होता है, बल्कि समाज में पुरुष प्रधान मानसिकता को और बल मिलता है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि राजनीतिक दल प्रचार और सामाजिक संवेदनशीलता के बीच की रेखा को समझें।

जन कल्याण बनाम जन भावना

कांग्रेस की Sanitary Pad योजना एक बेहतरीन स्वास्थ्य पहल हो सकती थी, यदि इसे थोड़ा अधिक संवेदनशील और शालीनता से पेश किया जाता। राजनीतिक चेहरों की बजाय अगर उपयोग निर्देश, स्वास्थ्य जानकारी या हेल्पलाइन नंबर पैड पर होते, तो शायद यह बवाल न होता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *