Saifullah Khalid

साजिश, साया और सैफुल्लाह खालिद: भारत का खूनी दुश्मन आखिर कब और कैसे मारा गया

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हाइलाइट्स

  • Saifullah Khalid, लश्कर-ए-तैयबा का बड़ा आतंकी, सिंध प्रांत में मारा गया
  • नेपाल से भारत में आतंकी घुसपैठ और हमलों का मास्टरमाइंड था खालिद
  • नागपुर आरएसएस मुख्यालय और रामपुर CRPF कैंप पर हमलों की साजिश से जुड़ा था
  • नेपाल से जाली नोटों और आतंकी फंडिंग का रैकेट चलाता था
  • पाकिस्तान में हालिया हत्या के पीछे भारत की खुफिया भूमिका पर सवाल

सैफुल्लाह खालिद: आतंक का वो चेहरा जो अब खत्म हो गया

18 मई को पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मतली फलकारा चौक में एक घटना हुई जिसने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की वर्षों पुरानी फाइलों को फिर से खोल दिया। Saifullah Khalid, लश्कर-ए-तैयबा का एक कुख्यात आतंकी, जब अपने घर से बाहर निकला तो अज्ञात हमलावरों ने उस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।

यह मौत एक सामान्य गोलीबारी नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ जारी भारत की गुप्त जंग का संभावित नतीजा मानी जा रही है।

कौन था Saifullah Khalid?

Saifullah Khalid का नाम सुरक्षा एजेंसियों की सूची में वर्ष 2006 से ही दर्ज है। शुरूआती पहचान “विनोद कुमार” या “रज़ाउल्लाह” जैसे नकली नामों से हुई। लेकिन जैसे-जैसे आतंकी हमलों की जांच गहराई में गई, यह नाम सुरक्षा एजेंसियों के लिए परिचित और खतरनाक बन गया।

वह नेपाल में रहकर भारत में आतंक फैलाने वाले नेटवर्क का संचालन करता था। 2006 में नागपुर आरएसएस मुख्यालय पर आत्मघाती हमले की साजिश हो या 2008 में रामपुर के CRPF कैंप पर हमला—हर केस में जांच की सुई Saifullah Khalid की ओर घूमती रही।

नागपुर हमला: एक विफल लेकिन खतरनाक साजिश

1 जून 2006 की सुबह, नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय के पास सफेद एंबेस्डर कार में तीन युवकों ने हमला करने की योजना बनाई। कार में AK-56, ग्रेनेड और RDX से भरे टिफिन बॉक्स बरामद हुए। सुरक्षा बलों की सतर्कता ने इस हमले को नाकाम कर दिया और तीनों हमलावर मौके पर मारे गए। जांच में पता चला कि इस ऑपरेशन की योजना नेपाल में बैठे Saifullah Khalid ने बनाई थी।

रामपुर हमला: CRPF के जवानों को बनाया गया निशाना

31 दिसंबर 2007 की सुबह रामपुर में स्थित CRPF ग्रुप सेंटर पर आतंकी हमला हुआ। 7 जवान शहीद हुए। इस हमले के बाद पकड़े गए 8 आरोपियों ने नेपाल में बैठे Saifullah Khalid का नाम लिया, जिसने न केवल हमले की साजिश रची बल्कि हथियार और धन की व्यवस्था भी की।

नेपाल में आतंकी नेटवर्क की जड़ें

Saifullah Khalid वर्ष 2000 के आसपास नेपाल में सक्रिय हुआ। लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष सरगनाओं हाफिज सईद और अबू अंस के निर्देश पर वह नेपाल गया। वहाँ उसका मिशन था:

  • भारत में आतंकी फंडिंग
  • जाली करेंसी का नेटवर्क
  • सीमा पार तस्करी
  • युवाओं की भर्ती

नेपाल की धरती से वह भारत के खिलाफ नापाक मंसूबों को अंजाम देता रहा।

भारत-नेपाल खुली सीमा: आतंकियों के लिए जन्नत?

भारत और नेपाल के बीच 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जिसे पार करने के लिए किसी वीजा या पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती। सांस्कृतिक नज़दीकियाँ और ऐतिहासिक रिश्ते इस सीमा को मानवता का प्रतीक बनाते हैं, लेकिन आतंकियों के लिए यह एक सुनहरा मौका बन गया।

Saifullah Khalid ने इसी नीति का फायदा उठाया और अपने जैसे कई आतंकी भारत में दाखिल कराने में सफल रहा।

सीमा हैदर केस से तुलना

वर्ष 2023 में पाकिस्तानी नागरिक सीमा हैदर ने नेपाल से भारत प्रवेश किया और नोएडा के युवक से विवाह कर लिया। यह प्रकरण सुर्खियों में आया और इसने इस बात को पुष्ट किया कि नेपाल की सीमा का दुरुपयोग किस तरह से किया जा सकता है। Saifullah Khalid ने भी ठीक इसी राह को अपनाया था, लेकिन उसका मकसद प्रेम नहीं, नफरत और हिंसा फैलाना था।

हत्या के पीछे कौन?

हालांकि पाकिस्तान में Saifullah Khalid की हत्या की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है, लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें भारत की खुफिया एजेंसियों की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। पिछले वर्षों में कई टॉप आतंकियों को सीमापार ठिकानों पर मारा गया है, जिनमें से अधिकतर घटनाएं भारत की “साइलेंट स्ट्राइक्स” नीति से जोड़कर देखी जाती हैं।

यदि यह हत्या भारत की किसी गुप्त योजना का हिस्सा थी, तो यह निश्चित ही लश्कर और ISI के नेटवर्क के लिए बड़ा झटका है।

क्या यह भारत के लिए बड़ी जीत है?

Saifullah Khalid की मौत का असर भारत की आतंकी नीति और सीमा सुरक्षा पर व्यापक पड़ेगा। इसका मतलब है कि भारत अब सिर्फ अपने क्षेत्र में नहीं, बल्कि दुश्मन की जमीन पर जाकर भी प्रतिशोध लेने की नीति पर काम कर रहा है।

इसका मनोवैज्ञानिक असर न सिर्फ आतंकी संगठनों पर पड़ेगा, बल्कि उन लोगों पर भी जो भारत में आतंक फैलाने का सपना देखते हैं।

भविष्य की राह: सीमाएं सख्त, नीति कठोर

भारत को अब नेपाल सीमा की सुरक्षा नीति पर दोबारा विचार करना होगा। खुली सीमा का दुरुपयोग अगर लगातार होता रहा, तो केवल गुप्त हत्याएं समाधान नहीं होंगी।
जरूरत है संयुक्त निगरानी की, टेक्नोलॉजी आधारित बॉर्डर मैनेजमेंट की, और भारत-नेपाल के बीच कूटनीतिक समन्वय को मजबूत करने की।

Saifullah Khalid की हत्या एक आतंकवादी युग का अंत है, लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती। यह भारत के लिए एक सीख है कि गुप्त ऑपरेशनों से आगे बढ़कर स्थायी नीतिगत बदलाव किए जाएं। जब तक नेपाल की सीमा पर समुचित नियंत्रण नहीं होता, तब तक कोई भी Saifullah Khalid दोबारा जन्म ले सकता है।

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