हाइलाइट्स
- रूस भूकंप की तीव्रता 8.8, यूरेशिया का सबसे ताकतवर झटका
- क्ल्युचेवस्कॉय ज्वालामुखी फटा, लावे की नदी बहती देखी गई
- 125 से अधिक आफ्टरशॉक्स, कई इमारतों में दरारें
- पर्यटकों में डर नहीं, बल्कि ज्वालामुखी देखने की होड़
- 1952 के बाद कामचटका में सबसे विनाशकारी भूकंप
रूस भूकंप: प्रकृति का कहर या चेतावनी?
रूस के सुदूरवर्ती कामचटका प्रायद्वीप में बुधवार, 30 जुलाई 2025 को धरती ने जिस तरह अंगड़ाई ली, वह न केवल इस सदी की सबसे भयावह घटनाओं में से एक बन गई, बल्कि पर्यावरण वैज्ञानिकों और जियोलॉजिस्ट्स के लिए भी चिंता का विषय बन गई। इस रूस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.8 मापी गई, जो इसे पिछले 73 वर्षों में यूरेशिया महाद्वीप का सबसे शक्तिशाली भूकंप बनाती है।
भूकंप का केंद्र कामचटका प्रायद्वीप के पूर्वी हिस्से में लगभग 30 किलोमीटर गहराई में था। झटका इतना तीव्र था कि 450 किलोमीटर दूर स्थित क्ल्युचेवस्कॉय ज्वालामुखी भी सक्रिय हो गया और उसकी पश्चिमी ढलान से जलता हुआ लावा बहता देखा गया।
भूकंप के साथ ज्वालामुखी विस्फोट: दोहरी आपदा की आशंका
ज्वालामुखी से निकली आग की नदी
क्ल्युचेवस्कॉय ज्वालामुखी, जो कि यूरोप और एशिया का सबसे ऊँचा और सक्रिय ज्वालामुखी है, लगभग 4,750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। रूसी विज्ञान अकादमी की यूनाइटेड जियोफिजिकल सर्विस ने पुष्टि की है कि ज्वालामुखी के पश्चिमी ढलान से लावा बहना शुरू हो चुका है।
रात के समय इस लावे की चमक और विस्फोटों की तेज़ आवाज़ों ने भयावह दृश्य पैदा कर दिया। स्थानीय प्रशासन ने नजदीकी गांवों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है, हालांकि अभी तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है।
आफ्टरशॉक्स की दहशत: धरती अब भी कांप रही है
125 से अधिक झटके, 6.9 तक की तीव्रता
रूस भूकंप के बाद यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने बताया कि अब तक 125 से ज्यादा आफ्टरशॉक्स महसूस किए जा चुके हैं। इनमें से तीन की तीव्रता 6.0 से अधिक रही, जबकि सबसे शक्तिशाली आफ्टरशॉक 6.9 तीव्रता का था, जो मुख्य भूकंप के 45 मिनट बाद आया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह भूकंपीय क्षेत्र आने वाले कुछ दिनों तक सक्रिय बना रह सकता है। इससे इमारतों को और नुकसान हो सकता है तथा जल-जमाव और भूस्खलन की संभावनाएं भी बनी हुई हैं।
पर्यटक नहीं डरे, बल्कि बढ़ी उत्सुकता
ज्वालामुखी देखने को उमड़े लोग
रूसी पर्यटन उद्योग संघ (RUTI) के अनुसार अभी तक किसी भी पर्यटन कार्यक्रम को रद्द नहीं किया गया है। RIA नोवोस्ती की रिपोर्ट के मुताबिक कई पर्यटकों ने इस प्राकृतिक दृश्य को अपनी आंखों से देखने की इच्छा जताई है।
यद्यपि विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि ज्वालामुखी के आसपास का क्षेत्र अस्थिर है, फिर भी सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे लाइव वीडियो और चित्रों ने लोगों की जिज्ञासा को और भड़का दिया है।
Rusya’daki depremin ardından Klyuchevskoy Yanardağı’nda patlama: Lav akıntıları başladıhttps://t.co/O2VKXtE1dT pic.twitter.com/ZU1yIcfrMi
— İlke TV (@ilketvcomtr) July 30, 2025
क्या यह भूकंप 1952 से भी भयावह है?
इतिहास से तुलना
1952 में इसी क्षेत्र में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे आई सुनामी ने हवाई द्वीप तक को प्रभावित किया था। इस बार हालांकि सुनामी का खतरा तत्काल नहीं दिखा, पर रूस भूकंप के इस झटके ने 1952 की यादें ताजा कर दी हैं।
जियोलॉजिस्ट्स का कहना है कि जिस प्रकार से यह भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट एक साथ हुए हैं, उससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि कामचटका का टेक्टोनिक प्लेट क्षेत्र अत्यधिक सक्रिय हो चुका है।
प्रशासन और सेना की त्वरित प्रतिक्रिया
राहत कार्य जारी
भूकंप के कुछ ही घंटों बाद रूसी आपात सेवा और सेना की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य के लिए पहुंच गईं। हेलीकॉप्टरों से निगरानी की जा रही है और संभावित खतरों के लिए हर गांव को सतर्क किया गया है।
अभी तक किसी बड़े जनहानि की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन क्षेत्रीय अस्पतालों में इमरजेंसी अलर्ट जारी कर दिया गया है। बिजली और संचार सेवाओं में आंशिक बाधा आई है जिसे जल्द ठीक किया जा रहा है।
वैज्ञानिक चेतावनी: प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है
भविष्य की आपदा के संकेत
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन भी इन आपदाओं को प्रेरित कर सकते हैं। रूस भूकंप और क्ल्युचेवस्कॉय ज्वालामुखी का एक साथ सक्रिय होना एक सामान्य भू-प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं मानी जा रही है।
यूनिवर्सिटी ऑफ मॉस्को के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर आंद्रेई कोलेस्निकोव के अनुसार, “अगर धरती की टेक्टोनिक प्लेट्स इसी तरह सक्रिय रहीं, तो आने वाले 5-10 वर्षों में वैश्विक आपदाओं का सिलसिला और तेज हो सकता है।”
रूसी धरती से निकला चेतावनी का संदेश
रूस भूकंप और क्ल्युचेवस्कॉय ज्वालामुखी विस्फोट ने यह साफ कर दिया है कि मानव को प्रकृति के प्रति अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना होगा। पर्यावरणीय सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और सतत विकास की दिशा में ठोस कदम उठाना अब केवल विकल्प नहीं, अनिवार्यता बन चुका है।