हाइलाइट्स
- यूपी के कुशीनगर में Rocket Launch का पहला परीक्षण रहा पूरी तरह सफल, इसरो की निगरानी में हुआ लॉन्च
- तमकुहीराज के जंगलीपट्टी गांव से छोड़ा गया रॉकेट, 1.1 किमी की ऊंचाई तक पहुंचा
- पहली बार रॉकेट से ही किया गया सैटेलाइट का प्रक्षेपण, पहले होता था ड्रोन से
- 900 युवा वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए मॉडल सैटेलाइट्स की होनी है परीक्षण श्रृंखला
- Rocket Launch ने बच्चों और युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि को दी नई उड़ान
भारत के अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में एक और गौरवपूर्ण अध्याय तब जुड़ा, जब उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के तमकुहीराज तहसील के जंगलीपट्टी गांव में Rocket Launch का सफल परीक्षण किया गया। यह प्रयोग न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह पहली बार था जब उत्तर भारत में Rocket Launch के जरिए सैटेलाइट प्रक्षेपित किया गया।
इस ऐतिहासिक घटना की साक्षी बनी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वैज्ञानिक टीम, जिसने इस परीक्षण की संपूर्ण प्रक्रिया की निगरानी की। थ्रस्ट टेक इंडिया लिमिटेड के सहयोग से इसरो द्वारा आयोजित यह Rocket Launch भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
पहला परीक्षण, पहली सफलता: Rocket Launch ने रचा नया रिकॉर्ड
लॉन्चिंग की सटीक टाइमिंग और परिणाम
शनिवार की शाम ठीक 5 बजकर 14 मिनट और 33 सेकंड पर जंगलीपट्टी गांव से Rocket Launch की प्रक्रिया शुरू हुई। यह रॉकेट 1.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया और वहां से एक छोटा सैटेलाइट बाहर निकला। जैसे ही वह धरती की ओर 5 मीटर तक आया, पैराशूट एक्टिव हुआ और सैटेलाइट सुरक्षित रूप से लगभग 400 मीटर के दायरे में धरती पर आ गिरा।
रॉकेट भी पैराशूट की मदद से धरती पर धीरे-धीरे आया। इसका वजन 15 किलो था, जिसमें 2.26 किलो ईंधन लगाया गया था। केवल 2.6 सेकंड के ईंधन जलने से यह Rocket Launch सफल हो सका।
वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया: ISRO के लिए एक नई शुरुआत
ISRO के वरिष्ठ वैज्ञानिक अभिषेक सिंह ने बताया कि फरवरी महीने में इसरो की टीम ने कुशीनगर जिले का भ्रमण कर संभावित लांच साइट का चयन किया था। उन्होंने कहा कि यह Rocket Launch भारतीय प्रक्षेपण क्षमताओं का मूल्यांकन करने की दिशा में पहला मजबूत कदम है।
वहीं इसरो स्पेस के निदेशक विनोद कुमार ने भी इस सफल परीक्षण को “युवाओं के लिए प्रेरणा” बताया। उन्होंने कहा कि भविष्य में और भी परीक्षण इसी साइट से किए जाएंगे।
छात्र प्रतियोगिता 2024-25: भविष्य के वैज्ञानिकों को मिलेगा मौका
CANsat India और In-SPACe का संयुक्त आयोजन
इस Rocket Launch का आयोजन “In-SPACe मॉडल रॉकेट्री, CANsat इंडिया स्टूडेंट कॉम्पिटिशन 2024-25” के तहत किया गया, जिसे Astronautical Society of India (ASI), ISRO और In-SPACe के सहयोग से आयोजित किया गया है। इसका उद्देश्य छात्र समुदाय में अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक के प्रति रुचि बढ़ाना है।
इस प्रतियोगिता के अंतर्गत देशभर के करीब 900 छात्र वैज्ञानिक अपने बनाए मॉडल रॉकेट और कैनसैट सैटेलाइट्स का परीक्षण इसी लांच साइट से करेंगे। छात्रों को 1000 मीटर की ऊंचाई तक सैटेलाइट भेजने का मौका मिलेगा।
Thrust Tech India की तकनीकी ताकत साबित
Motor टेस्ट भी हुआ सफल
इस सफल Rocket Launch में Thrust Tech India Pvt. Ltd. की तकनीकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। कंपनी के मोटर की कार्यक्षमता भी इस परीक्षण में जांची गई, जो पूरी तरह सफल रही।
कंपनी के निदेशक विनोद कुमार ने बताया कि प्री-लांचिंग के लिए 4 रॉकेट्स का प्रयोग दो दिनों में निर्धारित किया गया है। इसरो की टीम द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद लांचिंग की जिम्मेदारी Thrust Tech India को सौंपी गई।
पहली बार रॉकेट से सैटेलाइट भेजने की ऐतिहासिक सफलता
अब तक भारत में छोटे सैटेलाइट्स को ड्रोन के माध्यम से छोड़ा जाता था, लेकिन इस Rocket Launch ने पहली बार ऐसा किया जब सैटेलाइट रॉकेट से ही छोड़ा गया और पैराशूट की मदद से सुरक्षित जमीन पर वापस लाया गया।
यह तकनीक ना सिर्फ अधिक विश्वसनीय है, बल्कि भविष्य के लिए एक सशक्त वैकल्पिक मॉडल भी प्रस्तुत करती है।
उपस्थित गणमान्य व वैज्ञानिक
इस ऐतिहासिक Rocket Launch के दौरान कई प्रमुख वैज्ञानिक और अधिकारी उपस्थित रहे। इनमें इसरो के निदेशक विनोद कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक केके त्रिपाठी, विजयाश्री, अनंत मधुकर, बृजेश सोनी, युधिष्ठिर सहित Thrust Tech India के अमन अग्रवाल, अद्वैत सिधाना, सुभद्र गुप्त आदि शामिल थे।
प्रशासन की ओर से जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर और सांसद शशांक मणि त्रिपाठी की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी गरिमा प्रदान की।
Rocket Launch के जरिए वैज्ञानिक भारत की नई उड़ान
तमकुहीराज से किया गया यह Rocket Launch न केवल तकनीकी सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह भारत के वैज्ञानिक परिदृश्य में एक नया युग शुरू करने वाला कदम भी है। इस तरह के प्रयास युवाओं में वैज्ञानिक चेतना और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करेंगे।
अब भारत का ग्रामीण क्षेत्र भी अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में अपना योगदान देने को तैयार है। यदि यही गति बनी रही, तो जल्द ही भारत छोटे उपग्रह प्रक्षेपण में भी दुनिया की शीर्ष राष्ट्रों की कतार में खड़ा होगा।