हाइलाइट्स
- रिया के अंगदान ने कई लोगों को नई जिंदगी और खुशियां दीं
- रक्षाबंधन पर रिया के हाथ से अनमता ने उसके भाई शिवम को बांधी राखी
- 13 साल के लड़के को रिया की किडनी से मिली नई ज़िंदगी
- तमिलनाडु की बच्ची के फेफड़ों में अब रिया की सांसें
- मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में हुआ जटिल हाथ प्रत्यारोपण सफल
रक्षाबंधन का दिन और एक चमत्कार जैसा संयोग
गुजरात के वलसाड में इस बार रक्षाबंधन का पर्व कुछ अलग और बेहद भावुक था। यहां, नन्ही रिया के निधन के बाद हुए रिया के अंगदान ने एक अनोखी कहानी लिखी। रिया के हाथ का प्रत्यारोपण पाने वाली मुंबई की किशोरी अनमता अहमद, राखी के दिन वलसाड पहुंची और रिया के भाई शिवम को उसी हाथ से राखी बांधी। यह नज़ारा देखकर हर आंख नम हो गई।
रिया—एक नन्ही परी जिसने मौत के बाद भी दी जिंदगी
रिया, पारडी के वल्लभ आश्रम स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा थी। 13 सितंबर 2024 को अचानक तबीयत बिगड़ी—तेज सिरदर्द और उल्टियों के बाद उसे सूरत के किरण अस्पताल ले जाया गया। जांच में पता चला कि दिमाग में रक्तस्राव के कारण वह ब्रेन डेड हो चुकी थी। अगले दिन डॉक्टरों के पैनल ने इस बात की पुष्टि की।
ऐसे कठिन समय में, रिया के माता-पिता ने साहसिक निर्णय लेते हुए रिया के अंगदान के लिए सहमति दी। यह फैसला न सिर्फ उनके दर्द को इंसानियत में बदल गया, बल्कि कई जिंदगियों में नई रोशनी भी भर गया।
अंगदान से बदल गई कई जिंदगियां
रिया के अंगदान में उसकी किडनी, लिवर, फेफड़े, आंखें, छोटी आंत और दोनों हाथ शामिल थे।
- नवसारी के 13 वर्षीय लड़के को रिया की एक किडनी मिली
- अहमदाबाद में एक अन्य मरीज को दूसरी किडनी और लिवर मिले
- तमिलनाडु की 13 वर्षीय बच्ची को रिया के फेफड़ों ने नई सांसें दीं
- हैदराबाद के अस्पताल में फेफड़ों का सफल प्रत्यारोपण हुआ
- और सबसे भावुक कहानी—रिया का हाथ मुंबई की अनमता को मिला
अनमता और रिया का अनोखा रिश्ता
मुंबई की 15 वर्षीय अनमता अहमद, दो साल पहले बिजली का झटका लगने के कारण अपना एक हाथ खो चुकी थी। उस दिन के बाद उसका जीवन शारीरिक और मानसिक रूप से बदल गया। लेकिन जब उसे रिया का हाथ मिला, तो मानो उसकी दुनिया बदल गई।
राखी के दिन अनमता वलसाड पहुंची और रिया के भाई शिवम की कलाई पर राखी बांधी। शिवम के लिए यह पल जैसे अपनी प्यारी बहन को फिर से महसूस करने जैसा था। यह लम्हा, रिया के अंगदान के जरिए बने रिश्तों की गहराई को दर्शाता है।
मानवता की सबसे बड़ी मिसाल
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि धर्म, जाति और भाषा से बढ़कर इंसानियत है। रिया एक हिंदू परिवार की बच्ची थी, जबकि अनमता एक मुस्लिम परिवार से थी। लेकिन रिया के अंगदान ने दोनों परिवारों को एक अटूट रिश्ते में बांध दिया।
डॉक्टरों और संस्थाओं की भूमिका
मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल के डॉ. नीलेश सातभाई और उनकी टीम ने यह जटिल हाथ प्रत्यारोपण सर्जरी सफलतापूर्वक की। वहीं, डोनेटलाइफ के संस्थापक निलेशभाई मांडलेवाला और वलसाड की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. उषाबेन मैशरी ने रिया के परिवार को रिया के अंगदान के महत्व को समझाया। उनके प्रयासों ने इस अद्भुत घटना को संभव बनाया।
रक्षाबंधन का असली संदेश
रक्षाबंधन का अर्थ सिर्फ भाई-बहन के बीच राखी बांधना नहीं, बल्कि एक-दूसरे की रक्षा और भलाई के लिए संकल्प लेना है। इस साल, वलसाड में मनाया गया रक्षाबंधन, रिया के अंगदान के कारण मानवता और प्रेम का प्रतीक बन गया।
अंगदान एक ऐसा कार्य है जो मृत्यु के बाद भी जीवन देता है। भारत में अंगदान की जागरूकता अभी भी कम है। रिया के अंगदान की कहानी इस दिशा में एक प्रेरणा है कि हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि मौत के बाद हमारे अंग किसी जरूरतमंद को नई जिंदगी दे सकें।
वलसाड का यह रक्षाबंधन इतिहास में एक मिसाल के रूप में दर्ज होगा। नन्ही रिया का छोटा सा जीवन, रिया के अंगदान के जरिए, अनगिनत जिंदगियों में हमेशा जिंदा रहेगा। यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है—कि असली धर्म है इंसानियत।