भारत में बलात्कार की शुरुआत का सच! क्या इस्लामिक आक्रमणकारी हैं इस घिनौनी परंपरा के जिम्मेदार?

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हाइलाइट्स

  • Rape in India की शुरुआत भारत में इस्लामिक आक्रमणों के बाद मानी जाती है
  • प्राचीन भारतीय ग्रंथों में स्त्रियों के प्रति सम्मान का ही उल्लेख मिलता है
  • यूनानी, शक, हूण जैसे आक्रांता भी महिलाओं के प्रति रहे संयमित
  • मोहम्मद बिन कासिम ने भारत में यौन हिंसा का पहला जघन्य उदाहरण पेश किया
  • महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों की जड़ें इतिहास में कहीं गहरे दबी हैं

क्या Rape in India भारतीय संस्कृति का हिस्सा था?

भारत एक ऐसा देश रहा है जहां नारी को ‘देवी’ के रूप में पूजा गया है। वेदों और उपनिषदों में स्त्रियों को ‘श्रद्धा’, ‘प्रज्ञा’ और ‘संरचना’ का स्रोत माना गया है। रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथों में युद्ध होते रहे, लाखों सैनिक मारे गए, लेकिन विजेता पक्ष की सेनाओं ने कभी पराजित स्त्रियों के साथ बलात्कार जैसा अमानवीय कृत्य नहीं किया।

इसलिए यह सवाल महत्वपूर्ण बन जाता है कि Rape in India की शुरुआत कब और कैसे हुई?

प्राचीन भारत: जहां नारी थी पूजनीय

युद्धों में भी स्त्रियों की मर्यादा बनी रही

महाभारत में पांडवों की जीत हुई, कौरव पक्ष के सैनिक मारे गए, लेकिन कहीं यह उल्लेख नहीं मिलता कि पांडवों की सेना ने किसी विधवा स्त्री के साथ अमर्यादित व्यवहार किया हो।

इसी तरह रामायण में जब श्रीराम रावण की लंका पर विजय प्राप्त करते हैं, तब भी किसी राक्षसी स्त्री को अपमानित नहीं किया गया।

यह सब दर्शाता है कि उस समय Rape in India जैसी कोई अवधारणा समाज में थी ही नहीं।

विदेशियों के आक्रमण और भारत की पवित्रता

यूनानी, शक, हूण और कुषाण

220 से 175 ईसा पूर्व में भारत पर यूनानी शासक डेमेट्रियस प्रथम का शासन रहा, लेकिन उनके काल में Rape in India जैसा कोई प्रसंग इतिहास में दर्ज नहीं है।

मीनेंडर, यूक्रेटीदस, सिकंदर, शक, हूण, और कुषाणों के शासनकाल में भी महिलाओं की इज्जत बरकरार रही। ये सब सेनाएँ क्रूर और आक्रामक ज़रूर थीं, लेकिन उन्होंने स्त्रियों के सम्मान को ठेस नहीं पहुँचाई।

इस्लामिक आक्रमण: Rape in India की शुरुआत

711 ईस्वी – मोहम्मद बिन कासिम का हमला

भारत में Rape in India की पहली क्रूर शुरुआत 711 ईस्वी में हुई, जब मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण किया और राजा दाहिर को पराजित किया।

कासिम ने दाहिर की दोनों बेटियों को यौन दासियों के रूप में बगदाद भेजा। यह भारतीय स्त्रियों पर पहला ज्ञात संगठित यौन अपराध था।

गजनवी, गौरी और इस्लामिक सुल्तनत

1001 ईस्वी में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर को तोड़ने के बाद हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार करवाया।

फिर 1192 में मोहम्मद गौरी ने तराइन की लड़ाई जीतने के बाद हजारों स्त्रियों को यौन दासता में झोंक दिया। इन आक्रमणों के बाद Rape in India केवल आक्रांताओं की विकृत मानसिकता का हथियार नहीं रहा, बल्कि वह भारतीय समाज के भीतर भी धीरे-धीरे प्रवेश करने लगा।

मुग़ल काल में स्त्रियों की स्थिति

इतिहास का शर्मनाक अध्याय

बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां, और औरंगजेब — इन सभी शासकों के दरबार में ‘जनानखाने’ या हरम हुआ करते थे, जिनमें बलपूर्वक लाई गई स्त्रियाँ रखी जाती थीं।

Rape in India का यह दौर शासकीय संरक्षण में चलता रहा। विजित क्षेत्रों की स्त्रियों को एक तरह से सैनिकों के मनोरंजन का माध्यम बना दिया गया।

अंग्रेजों का शासन: लूटपाट लेकिन कम यौन हिंसा

ब्रिटिश शासनकाल में, विशेषकर ईस्ट इंडिया कंपनी के समय, भारत को आर्थिक रूप से बहुत लूटा गया, लेकिन ब्रिटिश शासकों पर महिलाओं के साथ व्यापक बलात्कार के आरोप बहुत कम हैं।

यह जरूर है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई महिलाएं ब्रिटिश पुलिस द्वारा प्रताड़ित हुईं, लेकिन Rape in India का औपचारिक चलन उस समय तक एक सामाजिक कलंक बन चुका था।

आज के भारत में Rape in India की भयावह स्थिति

आज भारत में हर 16 मिनट में एक महिला बलात्कार का शिकार होती है। चाहे निर्भया केस हो या हाथरस की दलित युवती, घटनाएं यह दर्शाती हैं कि Rape in India अब सिर्फ आक्रांताओं की मानसिकता नहीं, बल्कि समाज की सड़ती हुई सोच का हिस्सा बन गया है।

हमें इतिहास से सबक लेना होगा

भारत ने सदियों तक नारी को सम्मान दिया, लेकिन विदेशी आक्रमणों ने उस पवित्रता को भंग किया। Rape in India की जड़ें इस्लामिक आक्रमणों के समय से हैं, लेकिन अब यह बीमारी हमारी मानसिकता में फैल चुकी है।

समाज, सरकार, न्यायपालिका और नागरिक — सभी को मिलकर इस सोच को खत्म करना होगा। क्योंकि जब तक नारी सुरक्षित नहीं, तब तक कोई सभ्यता सभ्य नहीं कहलाएगी।

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