रक्षाबंधन पर पटना में हुआ ऐसा नज़ारा, जिसे देखकर हर कोई रह गया हैरान – जानिए क्या हुआ खान सर के साथ

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हाइलाइट्स

  • रक्षाबंधन के मौके पर पटना के लोकप्रिय शिक्षक खान सर को हजारों बहनों ने राखी बांधी
  • करीब 5 हजार लड़कियां अलग-अलग राज्यों से पटना पहुंचीं
  • एस.के. मेमोरियल हॉल में हुआ भव्य आयोजन, 156 तरह के व्यंजनों की व्यवस्था
  • खान सर ने कहा – राखियों की भीड़ से हाथ का ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो गया
  • आयोजन ने भाई-बहन के रिश्ते और सामाजिक सद्भाव का संदेश दिया

रक्षाबंधन पर पटना के खान सर का अनोखा जश्न

पटना में इस बार रक्षाबंधन का त्योहार कुछ अलग और खास अंदाज में मनाया गया। शहर के मशहूर शिक्षक खान सर ने एक बार फिर हजारों बहनों से राखी बंधवाकर भाई-बहन के रिश्ते की मिसाल पेश की। इस मौके पर देशभर से आई करीब 5 हजार लड़कियों ने उन्हें राखी बांधी, जिससे उनका पूरा हाथ राखियों से भर गया।

5 हजार बहनों का प्यार

हर साल की तरह इस बार भी खान सर के रक्षाबंधन समारोह में भारी भीड़ रही। बिहार के अलावा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और असम जैसे राज्यों से लड़कियां पटना पहुंचीं। कार्यक्रम एस.के. मेमोरियल हॉल में आयोजित हुआ, जहां सुबह से ही राखी बांधने का सिलसिला शुरू हो गया।

ब्लड सर्कुलेशन पर असर

मीडिया से बातचीत में खान सर ने मुस्कुराते हुए कहा – “मेरे हाथ में इतनी राखियां हैं कि ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो गया है। कुछ बहनों ने राखी इतनी कसकर बांधी कि थोड़ी देर तक हाथ भारी हो गया।” उन्होंने हंसी-खुशी यह भी जोड़ा कि यह प्यार और अपनापन किसी भी असुविधा से कहीं ज्यादा बड़ा है।

रक्षाबंधन का सामाजिक संदेश

रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते का पर्व नहीं, बल्कि समाज में प्रेम, भरोसा और एकता का प्रतीक भी है। खान सर ने इस अवसर पर सभी बहनों को संदेश दिया कि भारतीय संस्कृति की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा –

“हम भाग्यशाली हैं कि इस कलयुग में भी बहनों का इतना प्यार मिलता है। यह सौभाग्य शायद इस पृथ्वी पर मुझे ही मिला है।”

स्वाद और संस्कृति का संगम

आयोजन में खान सर की ओर से सभी के लिए भव्य भोजन की व्यवस्था की गई थी। 156 तरह के व्यंजन, जिनमें पारंपरिक बिहारी लिट्टी-चोखा से लेकर उत्तर भारतीय पूरी-छोले और दक्षिण भारतीय डोसा-सांभर तक शामिल थे, ने मेहमानों का दिल जीत लिया। भोजन के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए, जिसमें बहनों ने भाई-बहन के रिश्ते पर गीत और कविताएं प्रस्तुत कीं।

रक्षाबंधन और शिक्षा का मेल

खान सर अपने छात्रों को केवल किताबों का ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि जीवन मूल्यों का पाठ भी पढ़ाते हैं। वे अपनी छात्राओं को बहन मानते हैं और कहते हैं कि शिक्षा और संस्कार का संगम ही समाज को सही दिशा देता है। रक्षाबंधन के दिन उन्होंने बहनों को यह संदेश भी दिया कि शिक्षा को अपना हथियार बनाएं और जीवन में आत्मनिर्भर बनें।

दूर-दराज से आई बहनें

इस बार रक्षाबंधन के लिए कई लड़कियां 500-1000 किलोमीटर का सफर तय करके पटना पहुंचीं। किसी ने ट्रेन से तो किसी ने बस से लंबी यात्रा की। उनका कहना था कि खान सर सिर्फ शिक्षक नहीं, बल्कि एक ऐसे भाई हैं जो हर बहन की खुशी और सुरक्षा का ख्याल रखते हैं।

भाई-बहन का अनोखा रिश्ता

खान सर का यह आयोजन इस बात का उदाहरण है कि रक्षाबंधन केवल पारिवारिक दायरे में सीमित नहीं, बल्कि यह एक ऐसा भाव है जो खून के रिश्तों से परे भी गहरे बंधन बना सकता है। हजारों बहनों का यह स्नेह और एक भाई का निःस्वार्थ प्रेम, रक्षाबंधन के महत्व को और भी गहरा कर देता है।

रक्षाबंधन से मिली प्रेरणा

यह आयोजन केवल खान सर और उनकी बहनों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक है। रक्षाबंधन हमें यह सिखाता है कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, भाई-बहन का रिश्ता हमेशा मजबूत रहना चाहिए और हमें एक-दूसरे के सम्मान और सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।

पटना में रक्षाबंधन के इस भव्य आयोजन ने यह साबित कर दिया कि सच्चा रिश्ता केवल रक्त-संबंध पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्रेम पर टिका होता है। खान सर ने जिस तरह से हजारों बहनों से राखी बंधवाकर उनका मान बढ़ाया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरक उदाहरण है। रक्षाबंधन का यह पर्व हर दिल में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की ज्योत जलाए रखेगा।

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