हाइलाइट्स
- पीएम मोदी के लिए राखी तैयार करने में जुटीं पाकिस्तान मूल की मुस्लिम बहन कमर मोहसिन शेख
- इस साल बनाई हैं चार राखियां, जिनमें ओम और गणेश जी की डिज़ाइन शामिल
- 30 वर्षों से बिना रुके हर रक्षाबंधन पर बांधती हैं पीएम मोदी को राखी
- दुआओं ने निभाई भूमिका: पहले मुख्यमंत्री, फिर प्रधानमंत्री बनने की दी थी शुभकामनाएं
- पीएमओ से न्योते का इंतजार, इस साल दिल्ली जाकर रक्षाबंधन मनाने की आशा
पीएम मोदी के लिए राखी: एक मुस्लिम बहन की 30 साल पुरानी परंपरा
रक्षाबंधन के इस पावन पर्व पर जब बहनें अपने भाईयों की कलाई पर प्रेम और सुरक्षा का धागा बांधती हैं, तब यह त्यौहार धार्मिक सीमाओं से परे एक मानवीय रिश्ते का प्रतीक बन जाता है। पीएम मोदी के लिए राखी बनाने वाली मुस्लिम बहन कमर मोहसिन शेख की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जो पिछले 30 वर्षों से इस त्योहार को एक खास और अनोखा आयाम दे रही हैं।
कराची से काशी तक: कमर मोहसिन शेख की यात्रा
कमर मोहसिन शेख का जन्म पाकिस्तान के कराची में हुआ था, लेकिन उन्होंने भारत को ही अपना घर बना लिया। विवाह के बाद वह लखनऊ आ गईं और यहीं से उनके जीवन की नई शुरुआत हुई। उन्होंने जब पहली बार नरेंद्र मोदी को आरएसएस कार्यकर्ता के रूप में देखा, तो उन्हें एक अनुशासित, ईमानदार और राष्ट्रभक्त युवा के रूप में पहचाना।
एक दिन नरेंद्र मोदी ने हल्के-फुल्के अंदाज में हालचाल पूछा — “बहन कैसी हो?” — और बस यहीं से एक नया रिश्ता जुड़ गया। तब से कमर शेख हर साल पीएम मोदी के लिए राखी बनाती आ रही हैं।
ओम और गणेश जी वाली राखियां बनीं खास
राखी में छिपा है श्रद्धा और संस्कृति का संगम
इस साल कमर मोहसिन शेख ने अपने हाथों से पीएम मोदी के लिए राखी के चार सुंदर डिजाइन्स तैयार किए हैं। इनमें ओम और भगवान गणेश की आकृतियां शामिल हैं। वह बताती हैं कि वह हर बार खुद ही राखी बनाती हैं और फिर उनमें से जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद आती है, वही पीएम मोदी की कलाई पर सजती है।
उनका कहना है कि राखी बनाते समय वह विशेष ध्यान रखती हैं कि उसमें भारतीय संस्कृति, सौंदर्य और श्रद्धा तीनों समाहित हों।
जब दुआ बनी तक़दीर: बहन की बातों ने बदल दी दिशा
कमर मोहसिन शेख ने एक बार नरेंद्र मोदी को दुआ दी थी — “आप गुजरात के मुख्यमंत्री बनें।” कुछ समय बाद यह दुआ सच हो गई। फिर उन्होंने कहा, “अब आप देश के प्रधानमंत्री बनें और भारत को विश्व मंच पर प्रतिष्ठा दिलाएं।” यह भी पूरा हुआ।
इस तरह, उनकी हर शुभकामना पीएम मोदी के लिए राखी के माध्यम से एक नई ऊर्जा लेकर आई। इस साल वह कहती हैं कि यह उनकी तीसरी बड़ी दुआ थी, जो अब पूरी हो चुकी है।
नहीं जा सकीं पिछले साल, इस बार कर रहीं हैं तैयारी
पिछले साल कमर मोहसिन शेख दिल्ली नहीं जा सकीं। पर इस बार उन्हें पूरी उम्मीद है कि उन्हें पीएमओ से न्योता मिलेगा और वह फिर से अपने भाई की कलाई पर राखी बांध पाएंगी। वह कहती हैं, “मेरे लिए रक्षाबंधन तब पूरा होता है जब मैं पीएम मोदी के लिए राखी बांधती हूं। यह रिश्ता मेरे जीवन का गौरव है।”
रक्षाबंधन: एक ऐसा पर्व जो जोड़ता है दिलों को
धर्म, जाति और सीमाओं से परे एक भावनात्मक बंधन
रक्षाबंधन केवल धागा बांधने का त्यौहार नहीं है, यह एक ऐसा पर्व है जो रिश्तों की गहराई और मानवता की ऊँचाइयों को दर्शाता है। जब एक मुस्लिम महिला इतने वर्षों से न केवल एक हिन्दू नेता को राखी बांध रही है, बल्कि उसे अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशी मानती है, तब यह भारत की “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना को साकार करता है।
क्या कहती हैं कमर मोहसिन शेख?
“मेरे लिए नरेंद्र भाई न सिर्फ प्रधानमंत्री हैं, बल्कि एक ऐसे इंसान हैं जिन्होंने हमेशा रिश्तों को निभाया है। मैं चाहती हूं कि वह स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों और भारत को और ऊंचाइयों तक ले जाएं।”
कमर मोहसिन शेख ने यह भी कहा कि इस बार उन्होंने विशेष रूप से “शुभ लाभ” और “सुरक्षा” के प्रतीक चिन्ह भी राखी में जोड़े हैं।
एक उदाहरण बन गई हैं कमर शेख
कमर मोहसिन शेख आज न केवल लखनऊ में बल्कि पूरे भारत में एक मिसाल बन चुकी हैं। उनका प्रेम, समर्पण और अपार श्रद्धा यह दिखाता है कि भारत की आत्मा आज भी जीवित है — एकता में, विविधता में, और प्रेम में।
रक्षाबंधन से मिली प्रेरणा
इस खबर में केवल पीएम मोदी के लिए राखी की बात नहीं है, बल्कि यह उस भावनात्मक ताकत की कहानी है जो दो दिलों को जोड़ती है — एक नेता और एक बहन के बीच। यह त्योहार न केवल रक्षाबंधन की गहराई को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि प्रेम और सम्मान की भाषा किसी धर्म, जाति या सीमा में नहीं बंधी होती।