BJP सरकार ने मंदिरों पर करोड़ों लुटाए, मगर स्कूलों की छत नहीं बचा पाई — मासूमों की मौत बनी सरकारी हत्या!

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हाइलाइट्स

  • राजस्थान BJP सरकार पर शिक्षा को नजरअंदाज कर धार्मिक स्थलों पर खर्च करने के गंभीर आरोप
  • झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से हुई मासूम बच्चों की मौत, पूरे राज्य में शोक की लहर
  • हादसे के बाद सरकार ने की जांच और मुफ्त इलाज की घोषणा, लेकिन सवालों के घेरे में शासन
  • धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों पर उठे सवाल, खुद के बच्चों को विदेश भेजने पर भी निशाना
  • शिक्षा व्यवस्था की बदहाली से उठे गंभीर सवाल—क्या सरकार अब सच में जागेगी?

राजस्थान के झालावाड़ जिले में हाल ही में एक भयावह हादसे ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया। एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से कई मासूम बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा केवल एक निर्माण दोष नहीं, बल्कि एक गहरी व्यवस्था की लापरवाही और सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़ा करता है। राजस्थान BJP सरकार इस समय विपक्ष, नागरिक समाज और मीडिया के निशाने पर है।

हादसे की पूरी कहानी: कैसे हुआ यह दर्दनाक मंजर?

शिक्षा का मंदिर बना बच्चों के लिए कब्र

झालावाड़ जिले के एक प्राथमिक सरकारी स्कूल में जब रोज की तरह बच्चे कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे, तभी अचानक छत का एक बड़ा हिस्सा गिर पड़ा। मलबे के नीचे दबकर पांच बच्चों की मौके पर मौत हो गई और सात से अधिक घायल हो गए। इस दर्दनाक घटना से स्कूल परिसर चीखों और मातम में तब्दील हो गया।

प्रशासन का दावा, लेकिन हकीकत कुछ और

राजस्थान BJP सरकार के अधिकारियों ने दावा किया कि स्कूल भवन की मरम्मत हाल ही में की गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह भवन वर्षों से जर्जर था और इसकी शिकायतें कई बार दी जा चुकी थीं। मगर जैसे हमेशा होता है, इस बार भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

राजस्थान BJP सरकार पर लगे गंभीर आरोप

मंदिरों पर करोड़ों, लेकिन स्कूल पर नहीं फूटी नजर

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब राजस्थान BJP सरकार ने हाल ही में विभिन्न मंदिरों के सौंदर्यीकरण और पुनर्निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च करने की घोषणा की है। सरकार की वेबसाइट पर जारी बजट दस्तावेजों के अनुसार, सिर्फ पिछले साल 86 करोड़ रुपये धार्मिक स्थलों पर खर्च किए गए। इसके विपरीत, कई सरकारी स्कूलों में न शौचालय हैं, न पीने का पानी, और न ही सुरक्षित छत।

शिक्षा की अनदेखी: बच्चों की मौत की असली वजह

इस हादसे ने एक बार फिर साबित किया है कि राजस्थान BJP सरकार की प्राथमिकताओं में शिक्षा कहीं पीछे है। अगर सरकार स्कूलों की हालत सुधारने पर ध्यान देती, तो शायद आज ये मासूम बच्चे ज़िंदा होते।

नेताओं की दोहरी नीति: धर्म के नाम पर वोट, बच्चों के लिए विदेश

जनता के लिए धर्म, नेताओं के बच्चों के लिए विदेश

यह एक कड़वा सच है कि जो नेता धर्म और परंपरा के नाम पर वोट मांगते हैं, वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए विदेश भेजते हैं। वहीं, जनता के बच्चे उन जर्जर स्कूलों में पढ़ने को मजबूर होते हैं, जहां किसी भी समय मौत दस्तक दे सकती है। राजस्थान BJP सरकार के कई वरिष्ठ नेताओं के बच्चे आज अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ रहे हैं।

क्या यही है लोकतंत्र?

अगर नेता अपने बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा चाहते हैं, तो जनता को क्यों नहीं? क्या गरीब के बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं? ये सवाल सिर्फ झालावाड़ की घटना नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर तमाचा है।

सरकार की प्रतिक्रियाएं: इलाज, मुआवजा और जांच

सरकारी खर्च पर इलाज का वादा

राजस्थान BJP सरकार ने हादसे के बाद तुरंत सभी घायलों के इलाज की व्यवस्था सरकारी खर्च पर करने की घोषणा की। साथ ही मृत बच्चों के परिवारों को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने की बात कही गई है। मगर सवाल ये है कि क्या कुछ लाख रुपये उन सपनों की भरपाई कर सकते हैं जो उन बच्चों की आंखों में पल रहे थे?

जांच की घोषणा—पर क्या निकलेगा कुछ?

मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय जांच की घोषणा की है। लेकिन जनता का विश्वास अब इस प्रक्रिया पर नहीं रहा। हर हादसे के बाद जांच, रिपोर्ट, और फिर फाइलों में दबी निष्कर्ष—यही होता आया है।

राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था: आंकड़ों में हकीकत

  • राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में 62% स्कूलों में टॉयलेट नहीं
  • 47% स्कूलों में पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं
  • 38% स्कूलों की छतें मरम्मत योग्य हैं
  • हर साल 20 से ज्यादा बच्चे स्कूल दुर्घटनाओं में घायल या मृत

राजस्थान BJP सरकार इन आंकड़ों से भलीभांति परिचित है, लेकिन प्राथमिकता मंदिर, मूर्ति और मंचों की है—न कि मासूम ज़िंदगियों की।

जनता का गुस्सा: क्या अब भी नहीं जागेगी सरकार?

सोशल मीडिया पर उबाल

इस हादसे के बाद सोशल मीडिया पर जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। ट्विटर पर #राजस्थान_शिक्षा_हादसा ट्रेंड कर रहा है और लोग सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

क्या हादसा सिर्फ एक आंकड़ा बनकर रह जाएगा?

सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या यह हादसा भी बाकी हादसों की तरह केवल एक और आंकड़ा बन जाएगा? या फिर सरकार, सिस्टम और समाज अब सच में जागेगा?

शिक्षा को ‘धर्म’ बनाइए, मंदिरों से भी पवित्र

अब वक्त आ गया है कि हम शिक्षा को सबसे बड़ा धर्म मानें। बच्चों की जान की कीमत चुनावी रैलियों और धार्मिक आयोजनों से कहीं अधिक है। यदि राजस्थान BJP सरकार अब भी नहीं जागी, तो ऐसे हादसे फिर होंगे और मासूम ज़िंदगियां बलि चढ़ती रहेंगी।

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