Railway Suicide

इतनी भी क्या मजबूरी थी? 71 वर्षीय बुज़ुर्ग ने क्यों चुनी ‘Railway Suicide’ जैसी दर्दनाक राह – केरल में दिल दहला देने वाली घटना

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हाइलाइट्स

  • Railway Suicide की यह घटना केरल के अलप्पुझा ज़िले की है, जिसने सबको झकझोर दिया है
  • 71 वर्षीय मुरली ने चलती ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी
  • घटना चेन्नई-अलाप्पुझा एक्सप्रेस के गुजरने के समय करुवत्ता रेलवे क्रॉसिंग पर हुई
  • अस्पताल ले जाने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया
  • पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा गया, पुलिस कर रही है मानसिक स्थिति की जांच

घटनास्थल: जहां जीवन की पटरी थम गई

केरल के अलप्पुझा ज़िले में स्थित करुवत्ता रेलवे क्रॉसिंग पर एक हृदयविदारक घटना घटी। 71 वर्षीय एक बुज़ुर्ग व्यक्ति मुरली, जो स्थानीय निवासी थे, उन्होंने Railway Suicide का रास्ता चुनते हुए चलती हुई चेन्नई-अलाप्पुझा ट्रेन के आगे छलांग लगा दी। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के यह खौफनाक कदम उठाया।

मुरली कौन थे? क्या थी उनकी ज़िंदगी की कहानी?

सामाजिक स्थिति और पारिवारिक पृष्ठभूमि

मुरली एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी थे और अलप्पुझा जिले के एक सम्मानित परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके दो बेटे और एक बेटी है, जो सभी बाहर के शहरों में नौकरी करते हैं। मुरली पिछले कुछ समय से अकेलेपन और अवसाद से जूझ रहे थे। पड़ोसियों का कहना है कि वह बहुत ही शांत और संयमी स्वभाव के थे, लेकिन हाल के कुछ महीनों से उन्होंने किसी से मिलना-जुलना कम कर दिया था।

घटना का समय और विवरण

अलुवा रेलवे स्टेशन से करुवत्ता क्रॉसिंग तक

यह Railway Suicide की घटना सुबह 6:40 बजे के आसपास घटी जब चेन्नई-अलाप्पुझा एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय पर गुजर रही थी। मुरली पहले से ही ट्रैक के किनारे खड़े थे और जैसे ही ट्रेन नज़दीक आई, उन्होंने अचानक पटरी पर छलांग लगा दी। मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत रेलवे पुलिस और एम्बुलेंस को सूचित किया।

अस्पताल में आखिरी सांसें

उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शरीर पर गंभीर चोटें आई थीं, जिनसे उबरना संभव नहीं था। पोस्टमॉर्टम के बाद शव को उनके परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस ने अस्वाभाविक मृत्यु का मामला दर्ज कर लिया है।

क्या यह सिर्फ एक अकेली घटना है?

Railway Suicide: आंकड़े और सच्चाई

भारत में हर साल सैकड़ों लोग Railway Suicide जैसी आत्मघाती प्रवृत्तियों का रास्ता चुनते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2023 में करीब 3,400 लोगों ने रेलवे ट्रैकों पर आत्महत्या की, जिनमें से बड़ी संख्या बुज़ुर्गों और मानसिक रूप से परेशान व्यक्तियों की थी।

इस घटना से यह साफ होता है कि सामाजिक ताना-बाना और पारिवारिक संवाद की कमी आज भी लोगों को टूटने पर मजबूर कर रही है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

पुलिस और रेलवे अधिकारियों की भूमिका

रेलवे पुलिस (RPF) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण Railway Suicide है। हम उनके परिवार और पड़ोसियों से बात कर मानसिक स्थिति की जांच कर रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।”

रेलवे विभाग ने इस घटना के बाद संबंधित ट्रैक पर करीब आधे घंटे के लिए ट्रेनों की आवाजाही रोक दी थी। इसके कारण यात्रियों को असुविधा का सामना भी करना पड़ा।

मनोवैज्ञानिक क्या कहते हैं?

आत्महत्या की मानसिकता को समझना

मनोरोग विशेषज्ञों का कहना है कि बुज़ुर्गों में Railway Suicide जैसी प्रवृत्ति अकेलेपन, उपेक्षा और मानसिक रोगों जैसे डिप्रेशन से जुड़ी होती है। यह आवश्यक है कि परिवारजन ऐसे बुज़ुर्गों के साथ अधिक संवाद करें और मानसिक स्वास्थ्य की नियमित जांच कराएं।

समाज के लिए एक चेतावनी

आत्महत्या कोई समाधान नहीं

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि Railway Suicide जैसी घटनाएं सिर्फ एक जान नहीं लेती, बल्कि पीछे रह गए लोगों के जीवन को भी झकझोर कर रख देती हैं। मुरली के इस कदम ने उनके पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है। समाज को चाहिए कि वह बुज़ुर्गों को उपेक्षित न करे, बल्कि उनकी भावनात्मक ज़रूरतों को भी समझे।

सरकार से अपेक्षा

आत्महत्या रोकथाम के लिए ठोस नीति ज़रूरी

इस घटना के बाद सवाल उठते हैं कि आखिर रेलवे स्टेशनों और ट्रैकों पर आत्महत्या रोकने के लिए क्या व्यवस्थाएं हैं? क्या CCTV और गश्ती दल पर्याप्त हैं? सरकार को चाहिए कि वह Railway Suicide की बढ़ती घटनाओं पर गंभीरता से विचार करे और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने वाले अभियान चलाए।

मुरली की आत्महत्या सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, यह पूरे समाज के लिए एक सवाल बनकर उभरी है। अगर हम अब भी नहीं जागे तो शायद आने वाले समय में ऐसी घटनाएं और बढ़ेंगी। Railway Suicide को रोकना सिर्फ पुलिस या प्रशासन का काम नहीं, यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है

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