हाइलाइट्स
- राहुल गांधी का बयान एक बार फिर राजनीतिक भूचाल का कारण बना।
- बीजेपी ने राहुल गांधी के दावे को फेक न्यूज़ बताते हुए जमकर निशाना साधा।
- दिवंगत अरुण जेटली को लेकर दिए गए बयान पर जेटली परिवार ने जताई नाराजगी।
- केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर बोले—राहुल गांधी को झूठ बोलने की आदत है।
- कांग्रेस के सालाना लीगल कॉन्क्लेव में राहुल ने जेटली को लेकर किया विवादास्पद दावा।
कांग्रेस के लीगल कॉन्क्लेव में राहुल का चौंकाने वाला दावा
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का बयान एक बार फिर सुर्खियों में है। शनिवार को दिल्ली में आयोजित कांग्रेस के वार्षिक लीगल कॉन्क्लेव में राहुल गांधी ने एक ऐसा दावा किया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया। राहुल ने दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को लेकर कहा कि कृषि कानूनों पर विरोध जताने के दौरान जेटली उन्हें धमकी देने आए थे।
उन्होंने मंच से कहा, “मुझे याद है जब मैं कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा था, वो (अरुण जेटली) अब नहीं हैं, इसलिए मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए लेकिन फिर भी कहूंगा—अरुण जेटली जी को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था।”
राहुल गांधी का यह बयान इतना विवादास्पद था कि भाजपा नेताओं और अरुण जेटली के परिवार ने तुरंत ही तीखी प्रतिक्रिया दे डाली।
बीजेपी का पलटवार: “झूठ और भ्रम फैलाना बंद करें राहुल गांधी”
अमित मालवीय ने बताया “फेक न्यूज़ अलर्ट”
बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी के बयान पर कटाक्ष करते हुए लिखा, “Fake News Alert! राहुल गांधी कह रहे हैं कि जेटली जी ने उन्हें कृषि कानूनों को लेकर धमकाया, लेकिन जेटली जी का निधन तो 24 अगस्त 2019 को हुआ था, जबकि कृषि कानून 2020 में आए।”
मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी का बयान सरासर झूठ और भ्रामक है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता बार-बार टाइमलाइन को तोड़-मरोड़कर अपनी राजनीतिक पटकथा गढ़ते हैं।
बेटे रोहन जेटली की भावुक प्रतिक्रिया
🚨 Fake News Alert 🚨
Rahul Gandhi claims that Shri Arun Jaitley approached him to water down his opposition to 2020 Farm Laws. Let’s set the record straight:
📍 Arun Jaitley ji passed away on 24 August 2019.
📍 The draft Farm Bills were brought to the Union Cabinet on 3 June… https://t.co/aCGmcnf4mc— Amit Malviya (@amitmalviya) August 2, 2025
“पिता की आत्मा को शांति से रहने दीजिए”
अरुण जेटली के बेटे और डीडीसीए अध्यक्ष रोहन जेटली ने भी राहुल गांधी के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “राहुल गांधी अब यह दावा कर रहे हैं कि मेरे दिवंगत पिता ने उन्हें धमकी दी थी। यह बेहद अपमानजनक है। मेरे पिता का निधन 2019 में हुआ था और कृषि कानून 2020 में लाए गए थे।”
रोहन ने आगे कहा कि उनके पिता कभी किसी को विचार के लिए धमकाते नहीं थे। वे एक लोकतांत्रिक व्यक्ति थे जो संवाद और सहमति में विश्वास रखते थे। उन्होंने राहुल से आग्रह किया कि दिवंगत नेताओं को राजनीति में घसीटना बंद करें।
अनुराग ठाकुर का हमला: “राहुल गांधी को आदत है झूठ बोलने की”
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “राहुल गांधी की हर बात में झूठ छुपा होता है। कांग्रेस कब तक झूठ की राजनीति करती रहेगी?” उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का बयान पूरी तरह से काल्पनिक और अपमानजनक है।
उन्होंने कांग्रेस नेता से मांग की कि उन्हें अरुण जेटली के परिवार से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
Rahul Gandhi now claims my late father, Arun Jaitley, threatened him over the farm laws.
Let me remind him, my father passed away in 2019. The farm laws were introduced in 2020. More importantly, it was not in my father’s nature to threaten anyone over an opposing view. He was a…— Rohan Jaitley (@rohanjaitley) August 2, 2025
सवाल उठता है: राहुल गांधी की भूल या सियासी रणनीति?
राहुल गांधी का बयान केवल एक “गलती” है या इसके पीछे कोई रणनीतिक उद्देश्य है? यह प्रश्न अब देश की जनता के सामने है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कांग्रेस की ओर से सत्तारूढ़ दल पर दबाव बनाने की रणनीति भी हो सकती है। लेकिन इस प्रयास में राहुल गांधी का बयान पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर जब तथ्यों के सामने बयान टिक नहीं पा रहा हो।
कांग्रेस की चुप्पी सवालों के घेरे में
अब तक कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी के इस बयान पर कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं दिया है। न ही किसी वरिष्ठ नेता ने बयान को सही या गलत ठहराया है।
इस चुप्पी को विपक्षी दल राहुल गांधी की ‘बेपर्दा झूठ बोलने की रणनीति’ के रूप में देख रहे हैं।
अतीत की गलतियों की पुनरावृत्ति
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी का बयान तथ्यों से परे पाया गया है। इससे पहले भी वे पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की बीमारी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर चुके हैं, जिसके लिए उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी।
राजनीति में संवेदनशीलता और शालीनता की अपेक्षा होती है, खासकर जब बात दिवंगत नेताओं की हो। राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ नेता से यह अपेक्षा करना बिल्कुल भी गलत नहीं है।
राजनीति में जिम्मेदारी ज़रूरी
राजनीतिक विमर्श में विचारों का मतभेद स्वाभाविक है, लेकिन जब बात संवेदनशील विषयों और दिवंगत व्यक्तियों की होती है, तब जिम्मेदारी और संवेदनशीलता अनिवार्य हो जाती है।
राहुल गांधी का बयान एक बार फिर यह साबित करता है कि राजनीति में बयानबाज़ी से पहले तथ्यों की पड़ताल करना आवश्यक है। वरना जनता की नजरों में विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगते हैं।