हाइलाइट्स
- Rahul Gandhi Court Case के दौरान वायरल हुई सेल्फी को लेकर वकील ने किया खुलासा
- फोटो में दिख रहे शख्स को सोशल मीडिया पर जज बताया गया, जबकि वह महज अधिवक्ता निकले
- वकील महमूद हसन ने खुद सामने आकर बताई फोटो की असलियत, बोले- “मैं कोई जज नहीं”
- कोर्ट में पेशी के बाद राहुल गांधी को जमानत मिली, लेकिन वायरल फोटो बन गई चर्चा का केंद्र
- सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों के बाद उठे न्यायपालिका की गरिमा से जुड़े सवाल
राहुल गांधी Court Case के दौरान वायरल हुई सेल्फी पर मचा बवाल
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की अदालत में पेश हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को मानहानि मामले में जमानत मिल गई। लेकिन इस Rahul Gandhi Court Case में कानूनी बहस से ज्यादा ध्यान खींची एक वायरल सेल्फी, जिसमें दावा किया गया कि जज साहब राहुल गांधी संग फोटो खिंचवा रहे हैं।
यह खबर सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गई, और कई बड़े ट्विटर (अब X) अकाउंट्स ने इस तस्वीर को साझा करते हुए न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए।
वायरल फोटो का सच: क्या वाकई सेल्फी जज साहब ने ली?
किसने ली थी फोटो?
वायरल हो रही फोटो में राहुल गांधी के साथ एक व्यक्ति मुस्कुराते हुए नजर आ रहा है। दावा किया गया कि वह व्यक्ति लखनऊ कोर्ट के जज हैं और उन्होंने Rahul Gandhi Court Case के दौरान अपने कार्यस्थल पर फोटो खिंचवाई। यह दावा इतना तेजी से वायरल हुआ कि लाखों लोगों ने इसे रिट्वीट कर डाला।
अधिवक्ता महमूद हसन ने दी सफाई
लेकिन अब इस तस्वीर की सच्चाई सामने आ चुकी है। फोटो में दिख रहे व्यक्ति महमूद हसन हैं, जो राहुल गांधी के वकील हैं। उन्होंने खुद मीडिया के सामने आकर स्पष्ट किया कि—
“मैं राहुल गांधी से मिलने गया था। मैं कोई जज नहीं हूं, बल्कि पेशे से वकील हूं। यह फोटो उसी दौरान ली गई थी।”
गलत दावा कैसे फैला और किसने फैलाया?
सोशल मीडिया पर अफवाहों का तूफान
Rahul Gandhi Court Case के चलते अदालत के बाहर पहले से ही मीडिया और समर्थकों की भारी भीड़ थी। इसी दौरान किसी अज्ञात अकाउंट से यह फोटो वायरल की गई और लिखा गया कि “जज साहब खुद राहुल गांधी के फैन हैं”।
इसके बाद कई राजनीतिक दलों के समर्थक इस मुद्दे पर कूद पड़े और इसे न्यायपालिका की निष्पक्षता पर हमला बताने लगे।
फेक न्यूज फैलाने वाले अकाउंट्स की जांच शुरू
सूत्रों के अनुसार लखनऊ पुलिस और साइबर सेल अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस झूठे दावे की शुरुआत कहां से हुई और क्या यह किसी संगठित साजिश का हिस्सा थी? Rahul Gandhi Court Case से पहले और बाद में सोशल मीडिया पर फैलाई गई ऐसी खबरें अब कोर्ट के आदेशों के दायरे में आ सकती हैं।
कोर्ट से मिली जमानत, लेकिन चर्चा में रही सेल्फी
क्या था मामला?
Rahul Gandhi Court Case में कांग्रेस नेता पर मानहानि का आरोप था। यह मामला रायबरेली से जुड़ा था और लखनऊ कोर्ट में इसकी सुनवाई होनी थी। राहुल गांधी कोर्ट में पेश हुए, और उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद हसन ने जमानत याचिका दाखिल की।
कोर्ट ने दी राहत
कोर्ट ने राहुल गांधी को निजी मुचलके पर जमानत दे दी। हालांकि, कानूनी प्रक्रिया पूरी तरह औपचारिक रही, लेकिन वायरल तस्वीर ने इस पूरी घटना को एक अलग मोड़ दे दिया।
न्यायपालिका की गरिमा पर उठे सवाल
फर्जी खबरों से कोर्ट की साख पर आंच
वायरल सेल्फी ने कई सवाल खड़े कर दिए। क्या कोर्ट परिसर में कोई भी व्यक्ति जज बनकर प्रचार कर सकता है? क्या वकीलों के साथ खिंचवाई गई फोटो को इस तरह गलत संदर्भ में पेश किया जाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक नहीं?
वकीलों की बार काउंसिल भी सक्रिय
उत्तर प्रदेश की बार काउंसिल ने भी इस वायरल फोटो पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि—
“किसी भी अधिवक्ता को गलत तरीके से जज बताना सिर्फ संबंधित व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे न्यायिक ढांचे की छवि धूमिल करना है।”
Rahul Gandhi Court Case की आड़ में हुआ ‘फोटो मैनिपुलेशन’
Rahul Gandhi Court Case के दौरान सोशल मीडिया पर वायरल हुई सेल्फी ने साबित कर दिया कि डिजिटल युग में अफवाहें सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी हैं। जब तक व्यक्ति स्वयं सामने आकर सफाई न दे, तब तक लोग एक फोटो को देखकर पूरी कहानी गढ़ लेते हैं।
इस घटना से एक बार फिर यह सीख मिलती है कि फैक्ट चेक किए बिना किसी भी फोटो, वीडियो या खबर पर भरोसा करना लोकतंत्र और न्याय दोनों के लिए घातक हो सकता है।