हाइलाइट्स
- Rahul Gandhi Citizenship पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र को 10 दिन में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश
- याचिका में कांग्रेस नेता की भारतीय नागरिकता को किया गया है चुनौती
- कोर्ट ने पूछा– क्या राहुल गांधी भारत के नागरिक हैं या नहीं, केंद्र को देना होगा स्पष्ट जवाब
- अगली सुनवाई 5 मई को होगी, राजनीतिक गलियारों में बढ़ी हलचल
- विपक्ष ने बताया यह राजनीति से प्रेरित प्रयास, भाजपा ने कहा– हर नागरिक को जवाब देना होगा
लखनऊ | विशेष संवाददाता – कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता नजर आ रहा है। Rahul Gandhi Citizenship से जुड़ी एक याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश देते हुए 10 दिन के भीतर इस संबंध में स्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
कोर्ट ने सीधे शब्दों में केंद्र से पूछा– “बताइए कि राहुल गांधी भारत के नागरिक हैं या नहीं?” इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित की गई है। कोर्ट की यह टिप्पणी राजनीतिक और कानूनी गलियारों में हलचल पैदा करने वाली रही।
क्या है Rahul Gandhi Citizenship विवाद का पूरा मामला?
Rahul Gandhi Citizenship पर सवाल उस समय उठे जब वर्ष 2019 में भाजपा नेता डॉ. सुभ्रमण्यम स्वामी ने यह दावा किया कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन की एक कंपनी ‘Backops Limited’ के दस्तावेजों में खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया है। यह कंपनी राहुल गांधी से जुड़ी बताई जाती है।
इसी आधार पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें दावा किया गया कि राहुल गांधी ने यदि विदेशी नागरिकता स्वीकार की है, तो उनकी भारतीय नागरिकता स्वत: निरस्त हो जाती है।
कोर्ट की टिप्पणी: केंद्र को देना होगा स्पष्ट और लिखित जवाब
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केंद्र सरकार से इस मामले में स्पष्टता की मांग की है। न्यायमूर्ति ने कहा कि, “यह विषय केवल एक व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि देश के संवैधानिक मूल्यों और नागरिकता अधिनियम से जुड़ा हुआ है।”
केंद्र को 10 दिनों के भीतर कोर्ट में लिखित रिपोर्ट देनी होगी, जिसमें यह साफ हो कि Rahul Gandhi Citizenship का क्या वैधानिक आधार है।
राजनीतिक बयानबाज़ी: कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने
जैसे ही कोर्ट का निर्देश सामने आया, राजनीतिक हलकों में बयानबाज़ी तेज हो गई।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने इसे “राजनीतिक द्वेष से प्रेरित साजिश” बताया। उन्होंने कहा:
“Rahul Gandhi Citizenship पर बार-बार सवाल उठाना एक साजिश है, ताकि असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। कोर्ट में हमारा पक्ष स्पष्ट है।”
भाजपा का जवाब
वहीं भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा:
“यदि किसी व्यक्ति की नागरिकता पर सवाल हैं, तो उसका जवाब देना ज़रूरी है। यह कानून का सवाल है, राजनीति का नहीं। Rahul Gandhi Citizenship पर कोर्ट को तय करने दीजिए।”
क्या कहता है भारतीय नागरिकता कानून?
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक यदि स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त मानी जाती है।
इस अधिनियम के अंतर्गत Section 9 विशेष रूप से उस स्थिति को कवर करता है, जहां एक भारतीय नागरिक विदेशी नागरिकता ग्रहण करता है।
यदि यह साबित हो जाए कि राहुल गांधी ने विदेशी नागरिकता ली है, तो उनकी Rahul Gandhi Citizenship वैध नहीं रह जाती।
सुबूत और दस्तावेज: किसके पास क्या है?
याचिकाकर्ता ने ब्रिटेन की कंपनी ‘Backops Limited’ के दस्तावेज कोर्ट में पेश किए हैं, जिनमें राहुल गांधी का नाम एक डायरेक्टर के तौर पर दर्ज है और उनकी नागरिकता ब्रिटिश बताई गई है।
कांग्रेस की ओर से यह तर्क दिया गया कि कंपनी के दस्तावेजों में त्रुटि हो सकती है, और राहुल गांधी ने कभी भी भारत की नागरिकता छोड़ी नहीं।
अब केंद्र को तय करना है कि इन दस्तावेजों की वैधानिक स्थिति क्या है और क्या वे Rahul Gandhi Citizenship को प्रभावित करते हैं।
5 मई की सुनवाई पर टिकी निगाहें
अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई 5 मई को होनी है, और उससे पहले केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी होगी। यदि कोर्ट को लगता है कि Rahul Gandhi Citizenship पर संदेह की गुंजाइश है, तो आगे की कार्यवाही अधिक गंभीर हो सकती है।
यह मामला सिर्फ एक नेता की नागरिकता का नहीं, बल्कि लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की मिसाल भी बन सकता है।
जनता की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
सोशल मीडिया पर Rahul Gandhi Citizenship ट्रेंड कर रहा है। जहां कांग्रेस समर्थक इसे ‘प्रोपगैंडा’ बता रहे हैं, वहीं भाजपा समर्थक इसे ‘सच सामने लाने का प्रयास’ करार दे रहे हैं।
युवा मतदाता भी इस बहस में शामिल हैं और इस बात को लेकर चिंता जता रहे हैं कि यदि एक प्रमुख विपक्षी नेता की नागरिकता ही संदिग्ध हो, तो लोकतंत्र का क्या होगा?
क्या Rahul Gandhi Citizenship बनेगा चुनावी मुद्दा?
यह कहना गलत नहीं होगा कि Rahul Gandhi Citizenship आने वाले चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। कांग्रेस के लिए यह प्रतिष्ठा की लड़ाई है, वहीं भाजपा इसे जवाबदेही के प्रतीक के तौर पर देख रही है।
अब सबकी निगाहें 5 मई की सुनवाई और केंद्र द्वारा कोर्ट में दाखिल की जाने वाली रिपोर्ट पर टिकी हैं। क्या राहुल गांधी को अपनी नागरिकता साबित करनी होगी या यह विवाद वहीं थम जाएगा?