केरल के कोट्टायम जिले के एक सरकारी नर्सिंग कॉलेज में रैगिंग की एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पुलिस ने इस मामले में तृतीय वर्ष के पांच छात्रों को गिरफ्तार किया है, जो प्रथम वर्ष के छात्रों को अमानवीय यातनाएँ देने के आरोपी हैं। यह घटना तब प्रकाश में आई जब तीन प्रथम वर्ष के छात्रों ने इस उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई।
घटना का पूरा विवरण
पीड़ित छात्रों के अनुसार, यह प्रताड़ना पिछले तीन महीनों से चल रही थी। आरोपियों ने जूनियर छात्रों को नग्न कर दिया और उनके निजी अंगों पर व्यायाम के डम्बल लटकाए। इतना ही नहीं, कम्पास जैसी नुकीली वस्तुओं से उनके शरीर पर हमला किया गया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। इसके अलावा, उनके घावों पर लोशन लगाने के लिए भी मजबूर किया गया और चेहरे व सिर पर क्रीम लगवाई गई।
रैगिंग के इस अमानवीय कृत्य के अलावा, आरोपी सीनियर छात्र अपने जूनियर्स से जबरन पैसे भी ऐंठते थे और हर रविवार शराब खरीदने के लिए उनसे धन की मांग करते थे। जब छात्रों ने इसका विरोध किया, तो उनकी पिटाई भी की गई। इस बर्बरता से परेशान होकर, तीन प्रथम वर्ष के छात्रों ने कोट्टायम के गंधीनगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पांच तृतीय वर्ष के छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस व प्रशासन की कार्रवाई
शिकायत मिलने के बाद, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। कोट्टायम पुलिस के अनुसार, मामले की गहन जांच की जा रही है और अन्य छात्रों की भी पूछताछ की जा रही है। कॉलेज प्रशासन ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और एक आंतरिक जांच समिति का गठन किया है।
केरल सरकार ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। राज्य के शिक्षा मंत्री ने कॉलेज प्रशासन को निर्देश दिया है कि रैगिंग रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।
रैगिंग के खिलाफ कड़े कानून
भारत में रैगिंग के खिलाफ सख्त कानून लागू हैं। 2009 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने रैगिंग रोकने के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए थे। इनमें दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी रैगिंग को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है और इसके दोषियों को सजा देने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। यदि कोई छात्र रैगिंग में लिप्त पाया जाता है, तो उसे न केवल कॉलेज से निष्कासित किया जा सकता है, बल्कि उसके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा सकता है।
समाज की भूमिका और जिम्मेदारी
रैगिंग जैसी घटनाओं को रोकने के लिए समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। शिक्षण संस्थानों को अपने परिसरों में सख्त निगरानी रखनी चाहिए और छात्रों के बीच जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। अभिभावकों को भी अपने बच्चों के व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए और यदि कोई असामान्य गतिविधि दिखाई दे, तो तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करना चाहिए।
इसके अलावा, छात्रों को भी रैगिंग के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। यदि किसी छात्र को इस तरह की प्रताड़ना सहनी पड़ रही हो, तो उसे चुप रहने के बजाय प्रशासन और पुलिस से संपर्क करना चाहिए। सरकार द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबरों का भी उपयोग किया जा सकता है।
रैगिंग की बढ़ती घटनाएँ और प्रभाव
भारत में रैगिंग की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं, जिससे छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। हाल ही में, केरल के कोच्चि में एक 14 वर्षीय छात्र ने रैगिंग के कारण आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद सरकार ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है।
रैगिंग केवल शारीरिक हिंसा तक सीमित नहीं होती, बल्कि मानसिक उत्पीड़न भी इसका एक बड़ा हिस्सा है। कई छात्र इस मानसिक तनाव को सहन नहीं कर पाते और गंभीर मानसिक समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं।
निष्कर्ष
केरल के कोट्टायम जिले में हुई इस घटना ने एक बार फिर रैगिंग के गंभीर प्रभावों को उजागर किया है। यह केवल एक कानूनी अपराध ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक बुराई भी है, जिसे जड़ से खत्म करने की जरूरत है। शिक्षण संस्थानों, प्रशासन, अभिभावकों और छात्रों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा।
इस घटना के बाद, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में रैगिंग रोकने के लिए और भी सख्त कदम उठाने की जरूरत है। दोषियों को कठोरतम सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।