हाइलाइट्स
- देह व्यापार के खिलाफ मेरठ पुलिस की बड़ी कार्रवाई, कबाड़ी बाजार क्षेत्र में हुआ खुलासा
- दिल्ली के मुक्ति फाउंडेशन की शिकायत पर चला छापा
- 21 लड़कियां, दलाल और कोठा मालिक पुलिस की गिरफ्त में
- नाबालिग लड़कियों को भी बनाया गया इस गंदे धंधे का शिकार
- 2019 में बंद हुए कोठों को 2023 में शर्तों पर खोला गया था, लेकिन फिर वही खेल शुरू
मेरठ के कबाड़ी बाजार में देह व्यापार का बड़ा खुलासा
उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के कबाड़ी बाजार क्षेत्र में एक बार फिर देह व्यापार का खुलासा हुआ है। पुलिस ने शुक्रवार देर रात बड़ी कार्रवाई करते हुए इस क्षेत्र में छापा मारा और 21 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें लड़कियां, दलाल और कोठा मालिक शामिल हैं। यह छापा दिल्ली स्थित मुक्ति फाउंडेशन की शिकायत के बाद डाला गया।
पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल स्थानीय प्रशासन को बल्कि पूरे इलाके को हिला दिया है, क्योंकि इस मामले में कई नाबालिग लड़कियों को भी इस गंदे धंधे में धकेले जाने की पुष्टि हुई है।
शिकायत के आधार पर चला अभियान
मुक्ति फाउंडेशन की सक्रियता
दिल्ली के सामाजिक संगठन मुक्ति फाउंडेशन ने मेरठ पुलिस को लिखित शिकायत दी थी कि कबाड़ी बाजार क्षेत्र में देह व्यापार के अड्डे फिर से सक्रिय हो गए हैं। संगठन ने आरोप लगाया कि यहां न केवल वयस्क बल्कि नाबालिग लड़कियों को भी जबरन धंधे में धकेला जा रहा है।
पुलिस की तत्परता
शिकायत मिलते ही पुलिस ने गंभीरता दिखाई और एक विशेष टीम गठित की। रात करीब 9 बजे विशेष पुलिस टीम ने कई कोठों पर छापा मारा और मौके से 21 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें से कई कोठा मालिक पहले भी इस तरह की गतिविधियों में पकड़े जा चुके थे।
देह व्यापार में नाबालिगों की मौजूदगी
नाबालिग लड़कियों की दुर्दशा
पुलिस ने पुष्टि की है कि पकड़ी गई लड़कियों में से कई की उम्र 18 साल से कम है। इन नाबालिग लड़कियों को अलग से चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के हवाले किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह बेहद शर्मनाक है कि सामाजिक प्रतिबंधों और कानूनी सख्ती के बावजूद देह व्यापार के इस गंदे धंधे में नाबालिगों को शामिल किया जा रहा है।
परिवार और आर्थिक स्थिति का फायदा
जानकार बताते हैं कि इन नाबालिगों को अक्सर गरीबी, परिवारिक दबाव और दलालों के झूठे वादों के चलते इस धंधे में लाया जाता है। एक बार जब ये लड़कियां इसमें फंस जाती हैं, तो बाहर निकल पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
इतिहास दोहराया गया
2019 में बंद हुए थे कोठे
कबाड़ी बाजार क्षेत्र लंबे समय से देह व्यापार का केंद्र माना जाता रहा है। 2019 में प्रशासन ने यहां बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर सभी कोठों को बंद करा दिया था। उस समय यह माना गया था कि अब इस इलाके को पूरी तरह साफ कर दिया जाएगा।
2023 में फिर खुले दरवाजे
लेकिन साल 2023 में 15 कोठों को फिर से खोलने की अनुमति दी गई। शर्त रखी गई थी कि यहां रहने वाले लोग केवल निवास और सामान्य व्यवसाय करेंगे, देह व्यापार जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे। हालांकि, ताज़ा छापे ने यह साफ कर दिया है कि पुरानी स्थिति दोबारा लौट आई और कोठों में वही गंदा धंधा चालू हो गया।
पुलिस और प्रशासन का रुख
सख्त कार्रवाई का ऐलान
मेरठ पुलिस के अधिकारियों ने कहा है कि अब इस बार किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। पकड़े गए कोठा मालिकों और दलालों के खिलाफ कठोर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। साथ ही यह भी तय किया गया है कि ऐसे सभी कोठों को स्थायी रूप से बंद किया जाएगा।
स्थानीय प्रशासन की चुनौतियां
प्रशासन का कहना है कि कबाड़ी बाजार का इलाका घनी आबादी वाला है और यहां पुराने मकानों में कई परिवार रहते हैं। ऐसे में गुप्त रूप से देह व्यापार का धंधा चलाना आसान हो जाता है। लगातार निगरानी के बावजूद दलाल नए-नए तरीकों से इस धंधे को जिंदा रखते हैं।
चर्चित कबाड़ी बाजार में देह व्यापार क़े कई अड्डे चलते मिले, 21 लड़कियां-दलाल-कोठा मालिक पकडे गए
UP मेरठ के कबाड़ी बाजार क्षेत्र में एक बार फिर देह व्यापार क़े अड्डे पकडे गए। दिल्ली क़े मुक्ति फाउंडेशन द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 21 लड़कियों,… pic.twitter.com/8TgHOSh18R
— TRUE STORY (@TrueStoryUP) September 12, 2025
समाज और कानून पर सवाल
नैतिक और सामाजिक चुनौती
देह व्यापार सिर्फ कानून तोड़ने का मामला नहीं, बल्कि समाज की नैतिकता और मानवीय संवेदनाओं पर भी गहरा सवाल उठाता है। जब नाबालिग लड़कियों को इस धंधे में धकेला जाता है, तो यह इंसानियत पर सबसे बड़ा धब्बा बन जाता है।
कानून की कठोरता जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल छापेमारी और गिरफ्तारी से समस्या का समाधान नहीं होगा। जरूरत है कि दलालों और कोठा मालिकों पर कठोर सज़ा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की गतिविधि शुरू करने से पहले सौ बार सोचे।
आगे की राह
पीड़ितों का पुनर्वास
पकड़ी गई लड़कियों को सुरक्षित आश्रय गृहों में भेजा गया है। समाजसेवी संस्थाओं का कहना है कि इन लड़कियों के लिए पुनर्वास और शिक्षा की विशेष व्यवस्था करनी होगी, वरना यह खतरा बना रहेगा कि वे फिर से देह व्यापार के जाल में फंस जाएं।
जागरूकता अभियान की जरूरत
स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना बेहद जरूरी है। जब तक समाज इस गंदे धंधे के खिलाफ एकजुट नहीं होगा, तब तक पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई अधूरी रहेगी।
मेरठ का कबाड़ी बाजार एक बार फिर देह व्यापार के अड्डों का गवाह बन गया है। यह केवल कानून व्यवस्था की नाकामी नहीं, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है। नाबालिग लड़कियों को बचाने और इस गंदे कारोबार को जड़ से खत्म करने के लिए प्रशासन, समाज और कानून तीनों को मिलकर काम करना होगा।