हाइलाइट्स
- मद्यनिषेध एवं उत्पाद विभाग की विशेष टीम ने महिला तस्करों के बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया
- दिल्ली, यूपी और हरियाणा से शराब की तस्करी कर बिहार लाने का खुलासा
- 11 धंधेबाज गिरफ्तार, जिनमें 8 महिलाएं शामिल
- झोला, बैग और बच्चों के डायपर का इस्तेमाल कर लाई जाती थी शराब
- मास्टरमाइंड मोहम्मद अब्दुल से पूछताछ में कई चौंकाने वाले राज उजागर
बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से ही मद्यनिषेध एवं उत्पाद विभाग लगातार अवैध शराब कारोबार पर नकेल कसने में जुटा है। इसके बावजूद तस्कर नए-नए तरीके अपनाकर शराब की तस्करी कर रहे हैं। हाल ही में विभाग की विशेष टीम ने समस्तीपुर जिले में एक बड़े गिरोह का उद्भेदन किया है, जिसमें महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने सभी को चौंका दिया।
गिरोह का खुलासा
बटलर चौक पर बड़ी कार्रवाई
काजीमोहम्मदपुर थाना क्षेत्र के बटलर चौक के पास मद्यनिषेध एवं उत्पाद विभाग की टीम ने छापेमारी कर इस नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। टीम ने 11 तस्करों को गिरफ्तार किया, जिनमें 8 महिलाएं शामिल थीं। उनके पास से 69 लीटर अंग्रेजी शराब जब्त की गई।
गिरफ्तार आरोपी
गिरफ्तार तस्करों की पहचान इस प्रकार हुई है:
- समस्तीपुर की नजीया खातून, रूपा देवी, ममीता देवी, शनिचरी देवी, ममता देवी और शहनाज बेगम
- बेगूसराय की मीना देवी और अस्मिता देवी
- बेगूसराय के प्रिंस कुमार और समस्तीपुर के विकास कुमार
- मास्टरमाइंड मोहम्मद अब्दुल, जो नगर थाना के मगदही मुहल्ला का रहने वाला है
शराब तस्करी का नेटवर्क
दिल्ली और यूपी से शराब की खेप
पूछताछ में मास्टरमाइंड अब्दुल ने स्वीकार किया कि वह लंबे समय से दिल्ली, यूपी और हरियाणा से शराब की तस्करी कर रहा था। इसके लिए वह महिलाओं को काम पर लगाता था, जिन्हें एक ट्रिप पर 1000 से 1500 रुपये तक दिए जाते थे।
खास ट्रेन और रूट का इस्तेमाल
अब्दुल ने बताया कि वह ऐसे रूट और ट्रेन चुनता था जहां चेकिंग कम होती है। ट्रेन से उतरने के बाद शराब को ऑटो रिजर्व कर भगवानपुर ले जाया जाता और वहां से समस्तीपुर पहुंचाया जाता।
महिलाओं की भूमिका
पुलिस की नजर से बचने का तरीका
मद्यनिषेध एवं उत्पाद विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाएं शराब को झोला, बैग, सूटकेस और बच्चों के डायपर बैग में छुपाकर ले जाती थीं। महिला यात्री होने की वजह से उन पर पुलिस का ध्यान कम जाता और वे आसानी से जांच से बच निकलतीं।
सामान्य यात्री बनकर सफर
महिलाएं खुद को सामान्य यात्री की तरह प्रस्तुत करती थीं, जिससे सुरक्षा जांच में उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता। यह तरीका गिरोह के लिए काफी सफल साबित हो रहा था, लेकिन विभाग की सतर्कता ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
प्रशासन की कार्रवाई
अभियोग दर्ज और जेल भेजे गए आरोपी
मद्यनिषेध एवं उत्पाद विभाग के इंस्पेक्टर दीपक कुमार सिंह ने बताया कि सभी गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है।
पुलिस टीम की भूमिका
इस कार्रवाई में एसआई अभिमन्यु सिंह, तारकेश्वर पांडेय, ज्योति कुमार और एएसआई नीरज कुमार शामिल थे। उनकी सक्रियता की वजह से यह बड़ा रैकेट उजागर हुआ।
शराबबंदी और चुनौतियां
शराबबंदी कानून का असर
बिहार में लागू शराबबंदी कानून का उद्देश्य समाज को नशामुक्त बनाना था। लेकिन तस्कर लगातार इसके खिलाफ नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं।
महिलाओं की भागीदारी
इस मामले ने एक नई चुनौती को उजागर किया है, जिसमें महिलाएं तस्करी में शामिल होकर गिरोह को बचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। यह न केवल कानून व्यवस्था के लिए बल्कि समाज के लिए भी चिंताजनक है।
भविष्य की रणनीति
निगरानी और सख्ती
मद्यनिषेध एवं उत्पाद विभाग अब ऐसे मामलों पर खास नजर रख रहा है। रेलवे स्टेशनों और सीमावर्ती इलाकों पर निगरानी बढ़ाई जा रही है।
जनजागरूकता की जरूरत
विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल सख्ती ही पर्याप्त नहीं है। समाज में शराबबंदी के महत्व को लेकर जनजागरूकता फैलाना जरूरी है, ताकि लोग इस अवैध धंधे का हिस्सा न बनें।
मद्यनिषेध एवं उत्पाद विभाग की इस कार्रवाई ने साबित कर दिया कि कानून से बच पाना आसान नहीं है। हालांकि गिरोह महिलाओं का इस्तेमाल कर पुलिस को चकमा देने में सफल रहा था, लेकिन विभाग की तत्परता ने उनके नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया। यह घटना एक चेतावनी है कि अवैध कारोबार चाहे कितना भी मजबूत क्यों न हो, कानून अंततः उस पर भारी पड़ता है।