अगर आप अकेले में मोबाइल पर देखते हैं एडल्ट वीडियो और सोचते हैं कोई नहीं देख रहा, तो यह सच्चाई आपकी नींद उड़ा देगी

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Table of Contents

हाइलाइट्स 

  • Private Mode में भी आपकी हर हरकत पर नजर रख रहे होते हैं AI Bots और App Trackers।
  •  मोबाइल ऐप्स और ब्राउजर एक्सटेंशन करते हैं आपकी ब्राउज़िंग हिस्ट्री का विश्लेषण।
  •  सोशल मीडिया प्रोफाइल और ऑनलाइन पैटर्न से बनाया जाता है आपका साइकोलॉजिकल प्रोफाइल।
  •  एडल्ट साइट्स के जरिए मोबाइल में डाला जा सकता है मैलवेयर और वायरस।
  •  पेड सब्सक्रिप्शन लेने वाले यूज़र्स सबसे ज्यादा होते हैं साइबर ठगों के निशाने पर।

Private Mode: क्या वाकई है यह सेफ?

जब हम इंटरनेट पर कुछ निजी सर्च करना चाहते हैं, जैसे एडल्ट कंटेंट, तो अधिकांश लोग ब्राउजर के Private Mode का इस्तेमाल करते हैं। उन्हें लगता है कि इससे उनका सर्च हिस्ट्री सेव नहीं होगा और कोई उन्हें ट्रैक नहीं कर पाएगा। लेकिन आज के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ट्रैकिंग टूल्स के युग में, यह सोच एक बहुत बड़ी भूल है।

Private Mode में भी ट्रैक हो रही है आपकी हर क्लिक

 मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर से लेकर ऐप्स तक सब देखते हैं

जब भी आप अपने स्मार्टफोन पर Private Mode में कोई वीडियो देखते हैं, सबसे पहले इसकी जानकारी आपके मोबाइल नेटवर्क को हो जाती है। इसके अलावा आपके फोन में मौजूद कई ऐप्स, खासकर जो मुफ्त में इंस्टॉल होते हैं, आपकी गतिविधियों पर नज़र रखते हैं। ये ऐप्स यूज़र के व्यवहार को रिकॉर्ड करके विज्ञापन कंपनियों तक भेजते हैं।

 टारगेटेड ऐड का खेल

आपने जरूर देखा होगा कि जैसे ही आप किसी खास टॉपिक से जुड़ी वेबसाइट विज़िट करते हैं, अगले ही पल सोशल मीडिया या गूगल पर वैसा ही ऐड दिखने लगता है। यही होता है डेटा एनालिसिस और यूज़र ट्रैकिंग का नतीजा। Private Mode में भी आपकी ट्रैकिंग बंद नहीं होती, बल्कि AI Bots उस गतिविधि को और बारीकी से नोट करते हैं।

Private Mode में Adult Content देखने का साइबर खतरा

 ब्राउजिंग पैटर्न से बनती है आपकी डिजिटल प्रोफाइल

कई बार यूज़र सोचते हैं कि Private Mode का इस्तेमाल कर वे खुद को इंटरनेट पर ‘गुमनाम’ बना लेते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इस मोड में भी आपकी IP Address, डिवाइस डिटेल, लोकेशन और टाइमस्टैम्प सेव होते रहते हैं। इससे आपकी ब्राउजिंग प्रोफाइल तैयार होती है।

 पेड सब्सक्रिप्शन से खतरा और बढ़ जाता है

जो लोग एडल्ट साइट्स पर जाकर पेड सर्विस लेते हैं, वे सबसे ज्यादा जोखिम में होते हैं। जैसे ही आप कार्ड डिटेल डालते हैं, आपकी बैंकिंग इंफॉर्मेशन ट्रैक हो सकती है। कई फर्जी वेबसाइट्स इस बहाने आपके बैंक अकाउंट तक पहुंच बना लेती हैं।

AI Bots कैसे करते हैं जासूसी?

 AI Bots और Data Trackers का गठजोड़

जब आप Private Mode में होते हैं, तो भी आपके ब्राउजर में मौजूद Cookies, JavaScript और अन्य ट्रैकिंग एल्गोरिद्म्स आपकी गतिविधियों को नोट करते हैं। AI Bots का काम होता है आपके व्यवहार के पैटर्न को समझना, ताकि आपको टारगेट किया जा सके।

 व्यवहारिक विश्लेषण से होती है विज्ञापन प्लानिंग

AI Bots आपकी गतिविधियों से यह तय करते हैं कि आप किस प्रकार के कंटेंट में रुचि रखते हैं। इसके आधार पर आपको पर्सनलाइज्ड ऐड दिखाए जाते हैं और आपकी रुचि का लाभ उठाकर कंपनियाँ मोटी कमाई करती हैं।

Private Mode में कैमरा और माइक्रोफोन तक हो सकता है एक्सेस

 फोन का कैमरा बन सकता है आपकी जासूसी का जरिया

कुछ वेबसाइट्स और मैलवेयर ऐसे होते हैं जो आपके कैमरा और माइक्रोफोन का एक्सेस मांगते हैं। एक बार अगर आपने अनजाने में परमिशन दे दी, तो वो वेबसाइट या ऐप आपकी रिकॉर्डिंग शुरू कर सकती है—even in Private Mode.

मैलवेयर और ब्लैकमेलिंग का खतरा

 एडल्ट कंटेंट के ज़रिए आता है वायरस

Private Mode में अगर आप कोई वीडियो डाउनलोड करते हैं, तो वह वायरस या मैलवेयर लेकर आ सकता है। इसके बाद आपके फोन की सारी जानकारी हैकर्स के हाथ लग सकती है।

 निजी फोटो और चैट हो सकते हैं लीक

कई साइबर क्राइम केस में देखा गया है कि यूज़र को ब्लैकमेल किया गया, क्योंकि उन्होंने अनजाने में ऐसी वेबसाइट का इस्तेमाल किया जो उनका डेटा स्टोर कर रही थी। इसमें फोटो, वीडियो और चैट्स तक शामिल होते हैं।

कैसे करें खुद को सुरक्षित?

 साइबर सेफ्टी के लिए कुछ जरूरी उपाय

  1. Private Mode पर भरोसा न करें; ब्राउजर हिस्ट्री न दिखे इसका मतलब यह नहीं कि डेटा सेव नहीं हो रहा।
  2. किसी भी संदिग्ध वेबसाइट पर अपनी कार्ड डिटेल न डालें।
  3. ऐप इंस्टॉल करने से पहले उसकी परमिशन ज़रूर चेक करें।
  4. VPN का उपयोग करें जिससे आपकी IP Address छुपी रहे।
  5. एडवांस एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर फोन में रखें।

Private Mode नहीं है आपकी निजता की गारंटी

इस डिजिटल युग में Private Mode सिर्फ एक भ्रम बन चुका है। यूज़र्स को लगता है कि वह अदृश्य हो जाते हैं, लेकिन असल में वह और भी ज्यादा ट्रैकिंग टूल्स और AI Bots के निशाने पर आ जाते हैं। अगर आपको वाकई में इंटरनेट पर सुरक्षित रहना है, तो आपको सतर्क रहना होगा और अपने डिजिटल व्यवहार को समझदारी से नियंत्रित करना होगा।

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