हाइलाइट्स
- Police Violence को लेकर करछना क्षेत्र में उपद्रव, भीम आर्मी समर्थकों द्वारा पुलिस पर पथराव
- उपद्रवियों ने कई सरकारी व निजी गाड़ियों में की तोड़फोड़, कुछ को आग के हवाले किया
- पुलिस ने अब तक कुल 51 लोगों को गिरफ्तार कर भेजा जेल, NSA के तहत की गई कार्यवाही
- अधिकतर आरोपी युवा, कुछ नाबालिग भी शामिल, भड़काऊ भाषणों के प्रभाव में आकर बिगड़ा भविष्य
- प्रशासन की चेतावनी- उपद्रवियों से वसूली की जाएगी भरपाई, बुलडोजर की कार्यवाही भी संभव
इलाहाबाद/करछना – उत्तर प्रदेश के करछना क्षेत्र में हुई Police Violence की घटना ने प्रशासन और आमजन में खलबली मचा दी है। शनिवार देर शाम भीम आर्मी के सैकड़ों समर्थकों ने पुलिस टीम पर अचानक हमला बोल दिया। देखते ही देखते स्थिति बेकाबू हो गई और पुलिसकर्मियों पर पथराव, सरकारी गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं सामने आईं। अब तक 51 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि 200 से अधिक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत सख्त कार्यवाही की जा रही है।
कैसे शुरू हुआ Police Violence?
विवादित गिरफ्तारी बना उपद्रव की वजह
पुलिस सूत्रों के अनुसार, एक स्थानीय भीम आर्मी कार्यकर्ता की गिरफ्तारी को लेकर समर्थक पहले से ही नाराज चल रहे थे। शनिवार को जैसे ही पुलिस ने कुछ संदिग्ध युवकों को पूछताछ के लिए बुलाया, भीम आर्मी के दर्जनों कार्यकर्ता थाने के बाहर इकट्ठा हो गए। कुछ ही देर में नारेबाजी शुरू हुई और मामला उग्र हो गया।
योजनाबद्ध थी हिंसा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब पूर्वनियोजित था। उपद्रवियों के पास लाठी, डंडे, पेट्रोल और पत्थर जैसी सामग्रियाँ पहले से मौजूद थीं। हमला सुनियोजित तरीके से किया गया। यह न केवल Police Violence की गंभीर घटना थी, बल्कि कानून व्यवस्था को सीधी चुनौती भी थी।
👉🏾 करछना क्षेत्र में भीम आर्मी के समर्थकों द्वारा पुलिस पर पथराव, कई गाड़ियों में तोड़फोड़ व आग के हवाले करने वाले मामले में, 200 से अधिक लोगों के खिलाफ NSA की कार्यवाही की गई है। कल से आज तक में कुल 51 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
👉🏾 अभी भी अन्य आरोपियों… pic.twitter.com/h3sl3Jdohk
— Abhimanyu Singh Journalist (@Abhimanyu1305) June 30, 2025
पुलिस की प्रतिक्रिया और कार्रवाई
51 गिरफ्तार, 200 पर NSA
पुलिस अधीक्षक ने मीडिया को बताया कि अब तक 51 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। इन सभी के खिलाफ दंगा फैलाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, आगजनी और Police Violence के तहत मामला दर्ज किया गया है। कुल 200 लोगों के खिलाफ NSA के तहत कार्यवाही शुरू की गई है।
CCTV और ड्रोन से पहचान
प्रशासन ने घटना स्थल के आसपास लगे CCTV कैमरों और ड्रोन फुटेज के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की है। कुछ नाबालिग भी सामने आए हैं, जिन्हें किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया जाएगा।
युवाओं का भविष्य और समाज पर प्रभाव
भड़काऊ भाषणों में फंसे युवा
अधिकतर आरोपी युवा हैं, जिनमें से कुछ स्कूल-कॉलेज में पढ़ते हैं। एक अधिकारी ने बताया, “इन्हें नेताओं के भड़काऊ भाषणों ने भटका दिया। कुछ युवकों ने स्वीकार किया कि वे सोशल मीडिया से प्रभावित होकर मौके पर पहुंचे।”
नाबालिगों की भागीदारी चिंता का विषय
कई नाबालिग उपद्रवियों की पहचान होने से समाजशास्त्रियों ने चिंता जताई है। इससे स्पष्ट होता है कि असामाजिक तत्व कैसे बच्चों को गुमराह कर रहे हैं। यह Police Violence न केवल कानून व्यवस्था के लिए खतरा है बल्कि सामाजिक तानेबाने को भी तोड़ रहा है।
प्रशासन की चेतावनी और आगे की कार्यवाही
नुकसान की भरपाई, बुलडोजर की तैयारी
प्रशासन ने ऐलान किया है कि जिन लोगों ने तोड़फोड़ और आगजनी की है, उनसे नुकसान की भरपाई की जाएगी। इसके लिए चिन्हित किए गए उपद्रवियों की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी गई है। ज़रूरत पड़ी तो बुलडोजर की कार्यवाही भी की जा सकती है।
परिजनों से अपील
पुलिस ने आमजन और खासकर उपद्रवियों के परिवारजनों से अपील की है कि वे बच्चों को ऐसे संगठनों से दूर रखें। “विरोध करें लेकिन संविधान और कानून के दायरे में,” अधिकारियों का यही संदेश है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आरोप-प्रत्यारोप
विपक्षी दलों ने सरकार पर साधा निशाना
घटना के बाद राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी नेताओं ने राज्य सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया है, वहीं सत्तारूढ़ पार्टी ने इसे “सुनियोजित साजिश” बताया है।
भीम आर्मी का पक्ष
भीम आर्मी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सोशल मीडिया पर समर्थकों ने गिरफ्तारी को “राजनीतिक उत्पीड़न” करार दिया है। हालांकि, प्रशासन इस पूरे प्रकरण को Police Violence और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला मानकर ही देख रहा है।
करछना क्षेत्र की यह घटना केवल एक स्थानीय कानून व्यवस्था का मामला नहीं है, बल्कि यह संकेत देती है कि Police Violence की घटनाएं समाज में कितना गहरा असर छोड़ सकती हैं। यह युवाओं को गुमराह करने, राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भीड़ का इस्तेमाल करने और राज्य की सुरक्षा को चुनौती देने का गंभीर मामला है। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में प्रशासन और समाज किस तरह से मिलकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के प्रयास करते हैं।