हाइलाइट्स
- Police Verification के नाम पर अब कुछ हिंदू संगठन खुद ही पहचान पत्रों की जांच करने लगे हैं।
- कांवड़ यात्रा से पहले मुजफ्फरनगर के ढाबों और होटलों पर की जा रही है जबरन पूछताछ।
- ढाबा कर्मचारियों का आरोप—पहले आधार कार्ड मांगा, फिर कपड़े उतरवाकर तलाशी ली गई।
- स्थानीय प्रशासन की चुप्पी, पुलिस की गैरमौजूदगी से बढ़ा तनाव।
- सवाल खड़ा—Police Verification का अधिकार क्या अब भीड़ को सौंप दिया गया है?
कांवड़ यात्रा की तैयारी या कानून व्यवस्था की अनदेखी?
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा की तैयारियों के बीच एक खतरनाक चलन शुरू हो गया है। कुछ स्वयंभू “सुरक्षा कर्मियों” ने Police Verification के नाम पर स्थानीय ढाबों और होटलों में काम कर रहे कर्मचारियों से जबरन पूछताछ शुरू कर दी है। यह मामला तब उजागर हुआ जब वैष्णो ढाबे के कर्मचारी गोपाल ने मीडिया को बताया कि उनसे पहले आधार कार्ड मांगा गया और फिर नंगा कर तलाशी ली गई।
हकीकत से डराने वाली घटना
क्या कहा ढाबा कर्मचारी गोपाल ने?
गोपाल ने आरोप लगाया,
“पहले उन्होंने मुझसे आधार कार्ड मांगा, जो पहले ही खो चुका था। जब मैंने कहा कि नहीं है, तो उन्होंने मुझे अंदर ले जाकर नंगा कर दिया। पूछते रहे कि मैं कहां से हूं, मेरा धर्म क्या है, और यहां क्यों काम करता हूं।”
यह बयान न केवल दिल दहला देने वाला है बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि क्या अब आम नागरिकों को Police Verification के नाम पर अपमानित किया जाएगा?
धर्म की आड़ में कानून का उल्लंघन
पहले आधार कार्ड मांगा , जो पहले ही खो चुका था। फिर वे मुझे अंदर ले गए और नंगा करके चेक किया।पंडित जी वैष्णो ढाबे के कर्मचारी गोपाल ने बताया।
कांवड़ यात्रा शुरू होने को है इसी बीच मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) में कुछ हिंदू संगठनों के सदस्य स्थानीय होटलों और ढाबों पर पहुँचकर वहाँ काम… pic.twitter.com/d7bIQyoFDA
— Pasha Nadeem (@PashaNadeem3) June 30, 2025
कौन लोग कर रहे हैं यह कार्रवाई?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह कार्रवाई कुछ कट्टर हिंदू संगठनों के लोग कर रहे हैं। इनका दावा है कि कांवड़ यात्रा के दौरान आतंकी गतिविधियों की आशंका को देखते हुए ये “सावधानी” बरती जा रही है। लेकिन क्या कानून अपने हाथ में लेना सावधानी कहलाता है?
क्या है पुलिस की भूमिका?
प्रशासनिक चुप्पी क्यों?
मुजफ्फरनगर के पुलिस अधीक्षक को इस पूरे मामले की जानकारी दी गई, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है। अगर Police Verification की जरूरत थी, तो यह कार्य स्थानीय पुलिस का है, न कि किसी संगठन विशेष का।
Police Verification की वैधानिक प्रक्रिया क्या कहती है?
Police Verification एक विधिक प्रक्रिया है जो:
- किसी व्यक्ति की पृष्ठभूमि की जांच के लिए होती है।
- केवल मान्यता प्राप्त पुलिस अधिकारी ही कर सकते हैं।
- यह प्रक्रिया बिना व्यक्ति की अनुमति के नहीं की जा सकती।
- तलाशी केवल संदेह के पर्याप्त आधार और मजिस्ट्रेट की अनुमति के साथ ही की जा सकती है।
इस घटना में इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया।
माहौल में डर और दहशत
इस तरह की घटनाओं से स्थानीय मुस्लिम और बाहरी राज्यों से आए श्रमिकों में भय व्याप्त हो गया है। कई लोगों ने अपने गांव लौटने की तैयारी शुरू कर दी है। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश की छवि और अधिक धूमिल हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय
पूर्व IPS अधिकारी विभूति नारायण राय ने कहा:
“Police Verification एक संवेदनशील कार्य है। यह अगर असामाजिक तत्वों के हाथ में चला गया, तो यह भीड़तंत्र का रूप ले लेगा। यह संविधान और कानून का खुला उल्लंघन है।”
राजनैतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्ष ने उठाए सवाल
सपा नेता अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा:
“जब सब काम दंगाई ही करेंगे, तो पुलिस का क्या काम?
क्या अब संविधान की व्याख्या सड़कों पर होगी?”
कांग्रेस की प्रियंका गांधी ने भी इस घटना को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि राज्य में अब “न्याय नहीं, भय का शासन” चल रहा है।
धार्मिक आयोजन बनाम नागरिक अधिकार
कांवड़ यात्रा एक धार्मिक उत्सव है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा है। लेकिन क्या यह आस्था इतनी बड़ी है कि किसी को कानून हाथ में लेने का अधिकार दे दे?
अगर कांवड़ यात्रा के नाम पर Police Verification जैसा कार्य बिना कानूनी प्रक्रिया के शुरू कर दिया गया, तो इसका मतलब साफ है कि भीड़तंत्र को बढ़ावा मिल रहा है।
समाधान क्या हो?
प्रशासन को तुरंत कदम उठाने होंगे:
- जिले में सभी होटलों और ढाबों पर पुलिस की निगरानी हो।
- सभी संगठनों को चेतावनी दी जाए कि Police Verification सिर्फ पुलिस का अधिकार है।
- पीड़ित कर्मचारियों को सुरक्षा और न्याय मिले।
- दोषियों पर सख्त कानूनी कार्यवाही हो।
धार्मिक यात्राएं समाज की सांस्कृतिक धरोहर हैं। लेकिन अगर इन्हीं आयोजनों की आड़ में Police Verification जैसे कानूनी कार्यों को गैरकानूनी ढंग से किया गया, तो इसका न केवल कानून पर असर पड़ेगा बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचेगा। शासन और प्रशासन को चाहिए कि ऐसी घटनाओं पर सख्ती से रोक लगाएं और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी संगठन खुद को कानून से ऊपर न समझे।