हाइलाइट्स
- पिलुआ हनुमान मंदिर उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित है और अपने अद्भुत चमत्कारों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।
- बाल स्वरूप में लेटी हुई हनुमान जी की प्रतिमा भक्तों द्वारा अर्पित लड्डू और दूध का प्रसाद स्वयं ग्रहण करती है।
- इस प्राचीन मंदिर का इतिहास लगभग 700 वर्ष पुराना है और इसे सिद्ध पीठ के नाम से भी जाना जाता है।
- मंदिर का वास्तुशिल्प और मूर्तिकला आज भी पुरातत्वविदों के लिए शोध का विषय बना हुआ है।
- बुढ़वा मंगल और शनिवार को लाखों भक्त यहां पहुंचकर भगवान बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
पिलुआ हनुमान मंदिर: चमत्कारों से भरा इटावा का प्राचीन सिद्ध पीठ
उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के प्रताप नगर ग्राम रुरा में स्थित पिलुआ हनुमान मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि यह अपने अद्भुत चमत्कारों के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर यमुना नदी के किनारे बीहड़ों के बीच स्थित है और यहां स्थापित बाल स्वरूप हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा भक्तों के लिए अद्भुत अनुभव का स्रोत है।
पिलुआ हनुमान मंदिर की अद्भुत प्रतिमा
पिलुआ हनुमान मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसकी लेटी हुई बाल स्वरूप प्रतिमा है। प्रतिमा का मुख खुला हुआ है, और श्रद्धालु जो भी प्रसाद—लड्डू या दूध—अर्पित करते हैं, वह प्रतिमा के पेट में समा जाता है। यह रहस्यमय चमत्कार आज तक पुरातत्वविदों के लिए एक पहेली बना हुआ है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह प्रतिमा हजारों टन प्रसाद ग्रहण कर चुकी है, लेकिन आज तक प्रतिमा का मुख कभी भरा नहीं।
700 वर्ष पुराना सिद्ध पीठ
पिलुआ हनुमान मंदिर का इतिहास लगभग 700 वर्ष पुराना है। पहले यह प्रतिमा एक पिलुआ पेड़ के नीचे स्थापित थी, लेकिन समय के साथ मंदिर का भव्य स्वरूप निर्मित हुआ। ‘पिलुआ’ पेड़ों की अधिकता के कारण इस मंदिर को यही नाम मिला। आज यह मंदिर अपनी चमत्कारी विशेषताओं के कारण विश्वभर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
महाभारत काल से जुड़ा इतिहास
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस सिद्ध पीठ पर आने वाले हर भक्त की सच्चे मन की मनोकामना पूर्ण होती है। यही कारण है कि मंगलवार, शनिवार और विशेष अवसरों पर यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। विशेष रूप से बुढ़वा मंगल के दिन मंदिर में लाखों श्रद्धालु भगवान बजरंगबली का आशीर्वाद लेने आते हैं।
रामधुन के साथ जीवंत प्रतीत होती प्रतिमा
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि हनुमान जी की प्रतिमा से हमेशा जल और दूध का रिसाव होता है, और उसके मुख से बुलबुले निकलते रहते हैं। उनका मानना है कि यह बुलबुले इस बात का प्रतीक हैं कि हनुमान जी निरंतर रामधुन का जाप करते हैं और सांस लेते हैं। इस अद्भुत घटना को देखने के लिए देशभर से भक्त यहां आते हैं।
पिलुआ हनुमान मंदिर का महत्व और चमत्कार
पिलुआ हनुमान मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। यहां आने वाले भक्त अपनी समस्याओं के समाधान और जीवन में सुख-शांति की कामना के साथ भगवान बजरंगबली की शरण लेते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में की गई हर प्रार्थना का फल अवश्य मिलता है।
पर्यटन और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व
यह प्राचीन मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यमुना नदी के किनारे बीहड़ों में स्थित होने के कारण यहां का प्राकृतिक वातावरण भी अत्यंत मनमोहक है। मंदिर का वास्तुशिल्प और मूर्तिकला भारतीय संस्कृति की प्राचीनता का प्रतीक है, जो इतिहासकारों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
आस्था का महासंगम: भक्तों का विश्वास
देशभर से भक्त यहां पहुंचकर भगवान बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि चाहे कोई भी संकट क्यों न हो, पिलुआ हनुमान मंदिर में प्रार्थना करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। यही कारण है कि यह मंदिर सिर्फ इटावा या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी ख्याति पूरे देश और विदेशों तक फैली हुई है।
पिलुआ हनुमान मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह चमत्कार और आस्था का अद्वितीय संगम है। बाल स्वरूप लेटी हुई हनुमान जी की प्रतिमा, मंदिर का प्राचीन इतिहास, और इसकी सिद्ध शक्तियां इसे विशेष बनाती हैं। यह मंदिर भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक शक्ति का जीवंत प्रमाण है, जहां हर भक्त को शांति, विश्वास और प्रेरणा मिलती है।